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hey_lyricist
Read it till last . there is a turn in poem. आंखें उसकी इतनी गहरी, जैसे गहरी कोई खाई गिरने वाला था बस उसमे जैसे तैसे जान बचाई जान बचाई मैंने पाया गिरे पड़े थे उसमें कितने मैंने बोला माफ करो मैं हूं मानुस साधारण सा इस चक्कर में पड़ा तो बेटे पड़ जाएंगे लेने देने आव ना देखा ताव सीधे नज़रे अधरों पर आईं सोचा मन ही मन मैंने अब क्या करना रामगुसाई अब क्या करना रामगुसाई लड़की है या बला कोई है अधर हैं जैसे मैखाना ये, आंखें जैसे ये मोती हैं पहला थोड़ा हिचका फिर बोला देवी नाम बताओ वो कर्कश वाणी में बोली पहले दस का नोट बढ़ाओ #कविता #onlinepoetry #हास्य #noori #doalfaaz #शायारिनामा #कविताएं
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read moreDr.Tarachand 'Tanha'
डॉ. ताराचंद 'तन्हा' , अयोध्या की हास्य-व्यंग्य कविताएं, हंसे और हंसाए.. .
read moreAmol M. Bodke
औरतों ने बखूबी सीखा है मायका छूट गया जब से रोना हंस कर भूला है ©Amol M. Bodke कविताएं कविताएं
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read moreHariom Shrivastava
White - कुण्डलिया छंद - समझौता होने लगा, हर रिश्ते में आज। समझौतों पर ही टिका, सारा मनुज समाज।। सारा मनुज समाज, स्वार्थवश प्रीति जताता। सटते से ही स्वार्थ, अँगूठा है दिखलाता।। केवट जैसा आज, लिए हैं सभी कठौता। करें परस्पर पार, लगाने का समझौता।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava #love_shayari कविताएं कविताएं
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read moreजयश्री_RAM
एक बार ऐसा व्यक्ति, चेहरा कुछ खास नहीं कतई बेहुदा कपटी, उससे सारा गाँव परेशान था। उसकी उपस्थिति में जीना मुहाल था। नये-नये ढंग की शरारत में उसे बेहद मजा आता था। लोगों का सिर छोड़ो, उससे सारा गाँव चकराता था। लेकिन अचानक एक दिन सारा गाँव और भी डर गया। वो जान का दुश्मन व्यक्ति जाने कैसे मर गया। परन्तु शैतान इन्सान मर कर भी शैतानी कर गया। उसने अपनी अंतिम इच्छा वसीयत में छोड़ दी। पूरे गाँव में, पहले मैं पहले मैं ऐसी होड़ थी। कृपया मान्यवर मेरी एक प्रार्थना सुन लें। कोई चार तन्दुरूस्त व्यक्ति चुन लें। जो बारी-बारी मुझे शमशान तक ले जायेगें, सबसे ज्यादा जो जितना मुझे घसीटेगा। सबसे बड़ा पुण्य वही लपेटेगा। बस फिर तो लाश को कभी पैर से कभी हाथ से पकड़ कर घसीटा जाने लगा। ऐसा करके लोगों को जीवन भर का आनन्द आने लगा। इस अवसर पर पहली बार बड़े स्तर पर गाँव में चहल-पहल हुई। लेकिन बात में अजीब रहस्य था फैल गयी। सुनकर चौकी के सोते सिपाही गाडी़ में भरकर आये। किसी को दी गाली किसी पर डन्डे बरसाये। बोले-जिन्दा तो कुछ कर नहीं सके मरे को खींच रहे हो। लाश को घसीटने का पौधा सींच रहे हो। आप लोग अपनी हँसी में, लाश घसीटने की खुशी में। बिल्कुल बुद्धि से मंद हो गये। थानेदार सभी को लाया थाने और उस मरे आदमी की आदत से सभी जेल में बन्द हो गये। ®राम उनिज मौर्य® बनबसा जिला-चम्पावत. #हास्य
Avnindra Jha
फुर्सत नहीं है इन्सान को घर से मन्दिर तक जाने की..!ख्वाहिश रखता है श्मशान से सीधे स्वर्ग जाने की… हास्य
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