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Arjun Singh

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Nandkishor Saini

भीमलत जलप्रपात #nojotovideo

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manoj kumar jha"Manu"

सहस्रधारा जलप्रपात देहरादून

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 ❤️❤️❤️❤️❤️❤️
आप सभी का 
        घुमक्कड़ पथिक 
             का सहयोग 
करने के लिए 
           हृदय से धन्यवाद।
       ❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️ सहस्रधारा जलप्रपात
देहरादून

Sunita D Prasad

#समरसता एक आँसू एक सिसकी एक क्रंदन और एक क्षोभ बस.... फिर खो देगी धरा #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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#समरसता

एक आँसू
एक सिसकी
एक क्रंदन
और एक क्षोभ
बस....
फिर खो देगी धरा 
अपनी समरसता..!

तब..
अतिरेक क्षार के बोझ से
उफनने लगेंगे समुद्र..!
आँखों की रिक्तता से तर जाएगा आसमान..।
विषाद/अवसाद से ढक जाएँगे पहाड़-जंगल..।

पर ऐसा होगा नहीं..!!!!!

एक आस
एक विश्वास
और एक मुस्कान से..
बना रहेगा.. संतुलन..।
नाभि पर अपनी, साध लेगी धरा..
गहरे से गहरा, खारे से खारा समुद्र..।
अनघ किलकारियों से फूट पड़ेंगे
जलप्रपात और नदियाँ..!
तितलियों के रंगों और पक्षियों की चहचहाहट से
भर जाएगी, 
आसमान की रिक्तता..।
हल के एक प्रहार से..
कोंपलों के स्फुटन से..
चटक जाएगा
पहाड़ों-जंगलों को घेरता 
गहरे से गहरा संताप..।

हर क्षोभ, हर विषाद 
और हर अवसाद पर 
भारी है..
एक मुस्कान
एक सृजन और
एक उम्मीद..!!

--सुनीता डी प्रसाद💐💐 #समरसता

एक आँसू
एक सिसकी
एक क्रंदन
और एक क्षोभ
बस....
फिर खो देगी धरा

राजेश कुशवाहा 'राज'

------!! गजल / कोहरा !!----- धुँधला धुँधला शहर लग रहा, सर्द हवा झकझोर रही है। उजले उजले से पर्दों पर, श्यामल परछाई पुकार रही है।। कदम तले #शायरी #findyourself #कुशवाहाजी

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------!! गजल / कोहरा !!-----

धुँधला धुँधला शहर लग रहा, सर्द हवा झकझोर रही है।
उजले उजले से पर्दों पर, श्यामल परछाई पुकार रही है।।

कदम तले है चुपके से आती, नरमी सुर्ख सुर्ख रातो में।
ज्यों आँचल में माँ की ममता, वो हाथों को फेर रही है।।

अब  आवाजें हैं आती जाती, किसी और का पता नही।
पिघली पिघली बर्फें उड़कर, चँहुदिशि रंगत घोर रही है।।

क्या आगे क्या पीछे देखें, है चारों ओर लहरों का साया।
कुछ भागें कुछ पास बुलाएं, कुछ चित्रों को उकेर रही है।।

छूता हूँ नाजुक हाथों से, फिर भी उनको न छू पाता हूँ।
पर ये अंगों को छू करके, मन तृष्णा को बिखेर रही है।।

क्या है राज इन उड़ते मोती का, राज नही पहचान रहा।
जलप्रपात के दुग्धधार से, प्रकृति स्वयं को बुहार रही है।।

©राजेश कुशवाहा ------!! गजल / कोहरा !!-----

धुँधला धुँधला शहर लग रहा, सर्द हवा झकझोर रही है।
उजले उजले से पर्दों पर, श्यामल परछाई पुकार रही है।।

कदम तले

Vijay Tyagi

मित्रो के बार बार poke करने पर आज कुछ लिख ही दिया है... मुझे याद करने के लिए "सीमा शकुनि जी, पुखराज जी और कल्पनामोहन भगवती दीदी का हृदय से आ #yqbaba #yqdidi #yqhindi #मौन #yqquotes #yqlove #निशब्द #yqbhaijann

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"निःशब्दता"

कृपया पूरी कविता
 अनुशीर्षक में पढ़े..
🙏🙏🙏 मित्रो के बार बार poke करने पर आज कुछ लिख ही दिया है... मुझे याद करने के लिए "सीमा शकुनि जी, पुखराज जी और कल्पनामोहन भगवती दीदी का हृदय से आ

Asha Giri

कल रात की धमाकेदार बारिश ने सभी के होश उडा़ दिए। बादलों की जो़र-जो़र की गड़गडा़हट और धुँवाधार बारिश की आवाज़ ने नींद उडा़ दी। सोने के कईं प् #yqbaba #yqdidi

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बारिश का कहर।।






(पूर्ण भाग अनुशीर्षक में)
 कल रात की धमाकेदार बारिश ने सभी के होश उडा़ दिए।
बादलों की जो़र-जो़र की गड़गडा़हट और धुँवाधार बारिश की आवाज़ ने नींद उडा़ दी।
सोने के कईं प्

Abhishek Yadav

कुछ झर रहा भीतर असंख्य रङ्ग बदल रहे समय करवट घूम रहा जो घनीभूत हो सिमट गया था वह अघन हो प्रसर रहा एक लोक गढ़ रहा, अपने से परे कई लोक। अर्पण क

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कुछ झर रहा भीतर
असंख्य रङ्ग बदल रहे
समय करवट घूम रहा
जो घनीभूत हो सिमट गया था
वह अघन हो प्रसर रहा
एक लोक गढ़ रहा, अपने से परे कई लोक।
अर्पण कर दिया 
सञ्चित जलधार महारुद्र की जटा को
फूट पड़ा निर्बाध सा जलप्रपात
महाविलय का यह संगम
समवेत हो बह गया..
और मैं हुआ अक्षुण्ण सनातन।
मैं अखण्डित ही रहा
और देखता रहा सबकुछ होते खण्ड-खण्ड
राम का अन्तिम वियोग
या कि कृष्ण से सब छूट जाना
किन्तु अस्तित्व ने सब बचा लिया।
मैं सृष्टि का वह गीत बना
जिसे ऋषियों के अनुभव ने गाया था
पल भर का चलना
और सदियों का ठहर जाना
मैंने इसे ही जीवनगीत बना लिया।
मेरा तारा खो गया
जहाँ नभ आर-पार था
मेरी अपनी उतनीं ही दुनिया थी
जितना आकाश उतरा था हँसते-हँसते मेरी मुट्ठी में
क्योंकि वह दुनिया भी बस इतनी ही थी।
मैंने छोड़ दिया था
सबेरे को उसी जगत के किसी कोने में
मेरी रात पर्याप्त थी
मुट्ठी खोलकर रात के आलोक में सिकुड़ लेने को
रात की बयार चली
अनकही बातें, अनकही ही रह गईं।
यह झरना भी रह गया
क्योंकि न मुझे याद है,और न याद है उस 'याद' को!
कि भूलना मेरे ही चेत के हिस्से था
याद आए तो आधे शून्य में कुछ लिखूँ।
अभी भी मुझे याद है, पूरे शून्य की उधारी।
अटपटा सा वह ज्वार
बड़बड़ करे, तो उसे भी सुन लेता हूँ
पकने व फूटने में
सदैव कोई बुलबुलाहट टीसती है
और मैं अपने एक हिस्से की अर्ध-चंद्रिका में
देखता जाता हूँ..
अपने दूसरे हिस्से का सूरज-तारा।।😍😍
     -✍️अभिषेक यादव कुछ झर रहा भीतर
असंख्य रङ्ग बदल रहे
समय करवट घूम रहा
जो घनीभूत हो सिमट गया था
वह अघन हो प्रसर रहा
एक लोक गढ़ रहा, अपने से परे कई लोक।
अर्पण क

Vibha Katare

मेरी माँ का बड़ी ही फुर्सत से सजाया गया पूजाघर और उस में हमेशा ही दोनों किनारों पर लाल चूनर से सजी काँच की दो शीशियाँ। इन शीशियों में साधारण #Hindi #yqbaba #yqdidi #Narmada #नर्मदा #waterbody

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"तरंग रंग सर्वदा, नमामि देवी नर्मदा"


कृप्या अनुशीर्षक पढ़े .. मेरी माँ का बड़ी ही फुर्सत से सजाया गया पूजाघर और उस में हमेशा ही दोनों किनारों पर लाल चूनर से सजी काँच की दो शीशियाँ। इन शीशियों में साधारण

2novicity

अटल थे जिनके इरादे, नमन उनको कर बाँधे... #अटलबिहारीवाजपेयी (25 दिसम्बर 1924 - 16 अगस्त 2018) हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा पर #YourQuoteAndMine

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दुनिया के वीराने पथ पर जब जब नर ने खाई ठोकर
दो आँसू शेष बचा पाया जब जब मानव सब कुछ खोकर
मै आया तभि द्रवित होकर मै आया ज्ञान दीप लेकर
भूला भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जगकर
पथ के आवर्तोंसे थककर जो बैठ गया आधे पथ पर
उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढनिश्चय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥ अटल थे जिनके इरादे,
नमन उनको कर बाँधे...
#अटलबिहारीवाजपेयी  (25 दिसम्बर 1924 - 16 अगस्त 2018)

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