Find the Latest Status about छवि नेत्रालय जबलपुर from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, छवि नेत्रालय जबलपुर.
Sheetal Vishwakarma
पास हो कर भी नहीं मिट सकी जो दूरिया दूर हो कर कुछ एहसासों में समितने लगी थी शिकायते करना छोड़ दिया सब से क्योंकि वक्त के साथ साथ खामोसिया भी अच्छी लगाने लगी ©Sheetal Vishwakarma j #जबलपुर
Shraddha ✍
जबलपुर की शाम के अलग ही नजारे हैं।घुमना है तुमको तो जाओ भेड़ाघाट किनारे, ग्वारीघाट में क्या कभी तुमने शाम गजारे हैं,खो जाओगे वहां के वो है नजारे। तिलवारा पुल के भी तो गजब ही नजारे है। जबलपुर की शान हमारे हैं। देवताल लोगों को खूब भाता है,शाम को यहाँ प्रेमियो का मेला लग जाता है। भंवरताल पार्क भी बहुत प्यारा है बच्चों के लिए इसने खुद को संवारा है सदर चौपाटी अपने आप में होती कुछ खास है कचनार सिटी में जो तुमने कभी शाम गुजारे भूल ना पाओगे कभी इसको तुम प्यारे ✍श्रद्धा #weather# अपना जबलपुर
#weather# अपना जबलपुर
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
किसी की नजर में बुरे हम बने हैं। किसी की नजर में भले हम बने हैं। मगर लोग ऐसे भी हमको मिले कुछ- कि जिनके लिए हम भले ना बुरे हैं। जो जैसे थे वैसा ही हमको बताया। हमारी छवि को जगत को दिखाया। किया हमने स्वीकार हर भावना को- हमारे लिए जिसने जैसा बनाया। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #छवि
Pragya Amrit
कवियित्री की कल्पना सी सूरत तेरी, आंखो से रूह में उतरती मूरत तेरी। नयनों से नूर बिखेर जो प्राणों में समाते, होंठो से मुस्कान बिखरे तो कयामत ढाते। ©Pragya Amrit छवि
छवि
read moreअर्पिता
जब भी किसी से मिलो.... तो खुश होकर मिलों, समय तो उतना ही जा रहा हैं, जितनी देर मिल रहे हों, तो फिर अपनी छवि ही सुन्दर बनाओ।। ©अर्पिता #छवि
Riya Anshulika
हमने आंखो से देखा नहीं हैं मगर, उनकी तस्वीर सीने में मौजूद है। ©Riya Anshulika #छवि
Prakash Shukla
हो कौन जिसको देखते ही, सिहर जाता तन बदन। आप भूधरा का अंश हो,या हो विचारों की पवन।। आपको पहचानने को मेरा,हो रहा विक्षिप्त मन। आभा अलौकिक देखनें को,झुलसते मेरे नयन।। मैं काल हूँ हाँ काल हूँ,हाँ मैं ही महाकाल हूँ,। मैं शान्त हूँ मैं ज्वाल हूँ,मैं प्राणहारक काल हूँ। मै दिक् दिगन्त में लीन हूँ,रूप में विकराल हूँ। मैं काल हूँ हाँ काल हूँ,हाँ मैं ही महाकाल हूँ,। नदियों की बहती धार हूँ,सारे विश्व की हुँकार हूँ ममता में छलकता प्यार हूँ,ज्वालामुखी उद्गार हूँ। मुझसे सृजन है सृस्टि का,मुझमें ही होता है पतन कण कण में मैं ही व्याप्त हूँ,प्रकाश का मैं जाल हूँ। मैं काल हूँ हाँ काल हूँ,हाँ मैं ही महाकाल हूँ,। ब्रह्मांड का मै आदि हूँ,मैं अन्त हूँ मैं अनादि हूँ मैं भूत हूँ मैं आज हूँ,मैं ही भविष्य का राज हूँ। मै विकटसम मैं विराट हूँ,मैं ही समस्या काट हूँ मैं गगन हूँ मैं चन्द्र भी ,मैं ही प्रभाकर लाल हूँ। मैं काल हूँ हाँ काल हूँ,हाँ हाँ मैं ही महाकाल हूँ,।। अलौकिक छवि
अलौकिक छवि
read moreParasram Arora
माना क़ि धूमिल है तुम्हारा दर्पण और तुम्हरी साफ सुथरी छवि और ऊर्जावांन प्रतीमा का ये बिम्ब तुम्हारा गलत प्रचार करने मे सक्षम है लेकिन अगर तुम्हे अपने आचरण पर संदेह नहीं है और ये दर्पण अगर तुम्हारा परिहास नहीं कर पा रहा है तो उस दर्पंण . की धूमिलता से तुम्हे विचलित होने की जरूरत नहीं है क्योंकि तुम्हारी तथाकथित स्वच्छ छवि चिरस्थाई रहने वाली है #स्वच्छ छवि.......
#स्वच्छ छवि.......
read more