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Archana pandey
जिनकर मन साहित्य हो जिन संगीत पुसाय... कलिकाली वृत्ति कभौ तिनमन पहुँच ना पाय....अर्चना'अनुपमक्रान्ति' ©Archana pandey कलिकाली वृत्ति कभौ #hills
Author Harsh Ranjan
वो बारह सूरजों का सवेरा मेरी बाट जोह रहा है.... मुझे पता है कि गंगा को सूख जाना है, मुझे पता है कि धर्म को मिट जाना है, मुझे पता है कि आकाश काला होगा, मुझे पता है योजनों रक्त का नाला होगा, मुझे पता है अच्छाइयों को गुमना है, ये सच है आगे बुराइयों को जमना है, मैं देखूंगा देवताओं को लोक की सीमा से परे जाते हुए, सभ्यता के कमल को कुम्भलाते हुए, पाप को सहते, अभिशाप को कहते, वासना के साथ रहते, मैं बौने होते इंसानों को देखूंगा। मैं दस वर्षीया का गर्भ और तीस वर्षीय को मौत तक लाता मर्ज, जिंदगी पर कालिख का वर्क देखूंगा और मैं किसी अंत में या नए आरम्भ में हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर किसी शिला की शीतल छाँव बैठ जल का प्रवाह देख ये सोचूंगा, हाँ सत से लेकर कलि कली के खिलकर, मिट्टी में मिलने की कहानी है, ये बस इतनी ही जिंदगानी है। सूर्य उदय होता है, अस्त होता है, पर जब अंधेरा गिरता है, सृष्टि को बड़ा कष्ट होता है। कलिकाल Amazon.com/author/harshranjan #yqbaba #yqhindi #yqdidi #yqchallenge #yqquotes #collab
Author Harsh Ranjan
वो बारह सूरजों का सवेरा मेरी बाट जोह रहा है.... मुझे पता है कि गंगा को सूख जाना है, मुझे पता है कि धर्म को मिट जाना है, मुझे पता है कि आकाश काला होगा, मुझे पता है योजनों रक्त का नाला होगा, मुझे पता है अच्छाइयों को गुमना है, ये सच है आगे बुराइयों को जमना है, मैं देखूंगा देवताओं को लोक की सीमा से परे जाते हुए, सभ्यता के कमल को कुम्भलाते हुए, पाप को सहते, अभिशाप को कहते, वासना के साथ रहते, मैं बौने होते इंसानों को देखूंगा। मैं दस वर्षीया का गर्भ और तीस वर्षीय को मौत तक लाता मर्ज, जिंदगी पर कालिख का वर्क देखूंगा और मैं किसी अंत में या नए आरम्भ में हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर किसी शिला की शीतल छाँव बैठ जल का प्रवाह देख ये सोचूंगा, हाँ सत से लेकर कलि कली के खिलकर, मिट्टी में मिलने की कहानी है, ये बस इतनी ही जिंदगानी है। सूर्य उदय होता है, अस्त होता है, पर जब अंधेरा गिरता है, सृष्टि को बड़ा कष्ट होता है। कलिकाल Amazon.com/author/harshranjan #yqbaba #yqhindi #yqdidi #yqchallenge #yqquotes #collab
राजकिशोर मिश्र राज
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
हरे कृष्ण हरे हरे ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust हरिनाम कीर्तन महिमा - नाम जपत मंगल दिशा दसहुँ By: Dr. Krishna भगवन्नाम अनंत माधुर्य, ऐश्वर्य और सुख की खान है। नाम और नामी में अभिन्नता होती
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
Aprasil mishra
"अन्तर्द्वण्द एवं चिरसमाधि पथ प्रशस्तिकरण" (In the caption) ************************ मृत्यु आलिंगन मेरा करती नहीं है प्राण को मैं स्वर्ग करना चाहता हूँ। प्रभु ! एक ही पथ है हमारे हाथ में, नरदेह का
DURGESH AWASTHI OFFICIAL
भक्ति क्या है? भक्ति से क्या लाभ है? * भाव सहित खोजइ जो प्रानी। पाव भगति मनि सब सुख खानी॥ मोरें मन प्रभु अस बिस्वासा। राम ते अधिक राम कर दासा॥ भावार्थ:-जो प्राणी उसे प्रेम के साथ खोजता है, वह सब सुखों की खान इस भक्ति रूपी मणि को पा जाता है। हे प्रभो! मेरे मन में तो ऐसा विश्वास है कि श्री रामजी के दास श्री रामजी से भी बढ़कर हैं॥ भक्ति की भावना से ही हम इस सत्य को अनुभव करते हैं, कि ईश्वर ने हमे कितना कुछ दिया है।वह हमारे प्रति कितना उदार है। इससे हमें अपनी लघुता और उसकी महानताका बोध होता है, अपनी इच्छाओं और इंद्रियों पर नियंत्रण की शक्ति प्राप्त होती है ,और दूसरे जीवों के प्रति प्रेम काभाव पैदा होता है। भक्ति कैसे की जाती है? शास्त्रों में हमें अनेक प्रकार के भक्ति मार्गों का वर्णन मिलेगा।हमारे श्रीरूप गोस्वामी जी ने भक्ति के 64 तरीके बताए हैं। प्रहलाद ने श्रीमद््भागवत में भगवान को प्रसन्न करनेके 9 तरीके बताए हैं। ये हैं श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चन व दास्य भाव आदि। श्री चैतन्य चरितामृतमें भगवान के ही मुख से कहलायागया है कि मैं पाँच तरह से बहुत प्रसन्न होता हूँ। ये हैं साधु-संग, नाम-कीर्तन, भगवत्-श्रवण, तीर्थ वास औरश्रद्धा के साथ श्रीमूर्ति सेवा। वे आगेकहते हैं कि इन पांचों में से यदि किसीमार्ग का अवलंबन श्रद्धा के साथ कियाजाए तो वह हृदय में भगवत प्रेमउत्पन्न करेगा। इस विषय में महाप्रभुकहते हैं कि नवधा भक्ति के नौ अंगों में से किसी एक अंग का भी आचरणकरने से भगवत-प्रेम की प्राप्ति होसकती है। परन्तु इन नौ अंगों में भीश्रवण, कीर्तन व स्मरण रूप श्रेष्ठ है। इन सभी मार्गों में श्रेष्ठ भक्ति मार्ग कौन सा है? सरल भक्त-जीवन मेंकेवल नामाश्रय ही सर्वोत्तम साधन हैभगवान की प्राप्ति का। नवधा भक्ति मेंभी श्रीनाम के जाप और स्मरण कोसर्वश्रेष्ठ बताया गया है। यदि निश्छलभाव से हरिनाम का कीर्तन किया जाएतो अल्प समय में ही प्रभु की कृपाप्राप्त होगी। नाम संकीर्तन करना हीभगवान् को प्रसन्न करने का सर्वोत्तमतरीका है, यही सर्वोत्तम भजन है। जिसयुग में हम रह रहे हैं, इस में तोभवसागर पार जाने का यही एक उपायहै। शास्त्र तो कहते हैं कि कलिकाल मेंएकमात्र हरिनाम संकीर्तन के द्वारा हीभगवान की आराधना होती है। नाम संकीर्तन का सुझाव किन ग्रंथों में दिया गया है? श्रीमद्भागवत कहता है कि कलियुग में श्रीहरिनाम-संकीर्तनयज्ञ के द्वारा ही आराधना करनाशास्त्रसम्मत है। वे लोग बुद्धिमान हैं जोनाम संकीर्तन रूपी यज्ञ के द्वारा कृष्णकी आराधना करते हैं। रामचरित मानसमें भी कहा गया है कि कलियुग में भवसागर पार करने के लिए राम नामछोड़ कर और कोई आधार नहीं है। कलियुग समजुग आन नहीं, जो नरकर विश्वास। गाई राम गुण गनविमल, भव तर बिनहिं प्रयास। पावन पर्बत बेद पुराना। राम कथा रुचिराकर नाना॥ मर्मी सज्जन सुमति कुदारी। ग्यान बिराग नयन उरगारी॥ भावार्थ:-वेद-पुराण पवित्र पर्वत हैं। श्री रामजी की नाना प्रकार की कथाएँ उन पर्वतों में सुंदर खानें हैं। संत पुरुष (उनकी इन खानों के रहस्य को जानने वाले) मर्मी हैं और सुंदर बुद्धि (खोदने वाली) कुदाल है। हे गरुड़जी! ज्ञान और वैराग्य ये दो उनके नेत्र हैं॥ नाम संकीर्तन में कथा श्रवण काक्या महत्व है? जीवन में ऐसाअक्सर देखने को मिलता कि किसीव्यक्ति या स्थान को हमने देखा तकनहीं होता, परन्तु उनके बारे में समाचारपत्रों व पत्रिकाओं में पढ़ने से हमें काफीआनंद मिलता है। ठीक इसी प्रकारभगवद धाम, आनन्द धाम, वहाँ केवातावरण या प्रभु की लीलाओं के बारेमें सुन कर हमें आनंद प्राप्त होता है, हमारा चित्त स्थिर होता है और चंचलमन भटकने से रुकता है। ये कथाएंहमारे वेद-शास्त्रों में वर्णित हैं, जिन्हेंपढ़ने या सुनने से हमें भगवान केविषय में कुछ जानकारी भी प्राप्त होतीहै। भजन -कीर्तन करने से क्याहोता है और इसे किस प्रकार करनाचाहिए? गोस्वामी जी कहते हैं किआप भक्ति का कोई भी मार्ग अपनाएं, उसे श्रीनाम कीर्तन के संयोग से हीकरें। इसका फल अवश्य प्राप्त होता हैऔर शीघ्र प्राप्त होता है। सब कहते हैंकि भगवान का भजन करो.....भजनकरो! तो क्या करें हम भगवान काभजन करने के लिए? सच्चे भक्तों केसंग हरिनाम संकीर्तन करना ही सर्वोत्तम भगवद भजन है। सच्चे भक्तों के साथमिलकर, उनके आश्रय में रहकर नाम-संकीर्तन करने से एक अद्भुत प्रसन्नताहोती है, उसमें सामूहिकता होती है, व्यक्तिगत अहंकार नहीं होता और उतनीप्रसन्नता अन्य किसी भी साधन सेनहीं होती, इसीलिए इसे सर्वोत्तमहरिभजन माना गया है। ||आचार्य डॉ0 विजय शंकर मिश्र:|| ©Surbhi Gau Seva Sanstan #BookLife भक्ति क्या है? भक्ति से क्या लाभ है? * भाव सहित खोजइ जो प्रानी। पाव भगति मनि सब सुख खानी॥ मोरें मन प्रभु अस बिस्वासा। राम ते अधिक
यशवंत कुमार
दोनों हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने खाया धोखा! खून के प्यासे दो जनों में रिश्ता भाई का चोखा !! जिंदगी की भीख मांगता बेटे से पिटता बाप! मंदिर - मंदिर माथा टेका मिल गया अभिशाप !! माँ ने जब समझाया लाडली चिल्ला कर बोली ! इतना रोका-टोका मत कर खा लूंगी नींद की गोली!! Read in Caption... हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने खाया धोखा! खून के प्यासे दो जनों में रिश्ता भाई का चोखा !! जिंदगी
यशवंत कुमार
दोनों हाथों में बेकारी है! Read in caption... #desh #duniya #corruption #riste #sarkar #terrorism #change #unemployment हाथों में बेकारी है !! घूम-घूम, सब देख-देख नज़रों ने