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Vivek
वो सिर्फ मेरी है ये ख़्वाब दिखाया हर शाम करती थी वो जिस्मों की सौदागर होना हर किसी का हर शाम चाहती थी !! ©Vivek #जिस्मों की सौदागर #
लेखक ओझा
वो चौखट भला कैसे चूक गया तेरे पैरो के निशान से कुछ गफलत तो तूने भी की होगी सौदागर अपने ईमान से… ©लेखक ओझा #GateLight सौदागर अपने ईमान से
Babli BhatiBaisla
वो वादो का भी सौदा करने पर उतारू था उसके लिए तो जैसे हरेक रिश्ता बाजारू था ख्वाबों का सौदा करने का ही उसे गहरा चस्का है ऊंच-नीच सब समझता है सौदागर भी पक्का है वो जानबूझकर हर बार मुझे ही नजरंदाज करता है झगड़े का इल्ज़ाम बड़ी सफाई से मुझी पर रखता है बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla सौदागर Sethi Ji R... Ojha Ashutosh Mishra Neel abhishek sharma वंदना ....
KUNWA SAY
Life Like इस शहर में हम जैसा सौदागर कहाँ मिलेगा यारो हम गम भी खरीद लेते हैं किसी की खुशी के लिए। फॉलो तो करदो भाई साहब ©KUNWA SAY #Lifelikeइस शहर में हम जैसा सौदागर कहाँ मिलेगा यारो हम गम भी खरीद लेते हैं किसी की खुशी के लिए।
Umme Habiba
White उनकी राहों से गुज़रना महँगा पड़ गया मुझे, लगता है इस बार घाटे का सौदा कर आए हम ©Umme Habiba घाटे का सौदा #Trending #Nojoto #nojotohindi #Shayar #nojotoshayari #writer #nojotowriters #Poet #nojotopoetry #Road Niaz (Harf) Sethi Ji NIK
Mahadev Son
मनोरंजन के लिए न सौदा कर संस्कारों का भटक दर बदर न मिटा धरोहर पूर्वजों की जन्म हुआ जहाँ तेरे कर्मों के हिसाब से सोच जब यहाँ बनी कुंडली क्या वहाँ न होगी बस थाम कुल का हाथ हो जायेगा बेड़ापार माँ बाप से पहचान प्रमाण रगो बहता खून उनका कुल वंश का नाम रोशन करेगा पाला तुझको मुक्ति दिलएगा वंश उनका कर्म करेगा ऐसा खुद तो भटक रहा न भटका अपनी पीढ़ी को खोला जायेगा जब बहीखाता तेरा फिर से.... ©Mahadev Son मनोरंजन के लिए न सौदा कर इन संस्कारों का भटकर दर बदर मिटा रहा क्यूँ पूर्वजों की धरोहर जायेगा जब ऊपर तब क्या ज्वाब व हाल होगा दूसरे देश जात
Govind Singh rajput GSR
Kushal - कुशल
" कब, कहां, और कैसे " उलझा देती है ये जिंदगी... और सौदा अक्सर हलातों से, जज्बातों का हो जाता है..!❣️ ©Kushal - कुशल " कब, कहां, और कैसे " उलझा देती है ये जिंदगी... और सौदा अक्सर हलातों से, जज्बातों का हो जाता है..!❣️✍️✍️ #GoldenHour #Poetry #Shayari #Quo
Sangeeta Kalbhor
इक समा ऐसा भी था थे हम हमारे जैसे अब प्रश्न हम हमसे ही करते है हम है किसके जैसे ना तो मन में उमंग है ना ही दिल को भाता रंग है चल रही है जिंदगी मानो कोई कटी पतंग है हम है अब जैसे हम ना थे कभी ऐसे अब प्रश्न हम हमसे ही करते है हम है किसके जैसे रहा ना साथ साथी रहा ना कोई सारथी जिसे भी हम पुकारे निकलता है वो स्वार्थी भावनाओं का सौदा यहाँ हर कोई चाहता है पैसे अब प्रश्न हम हमसे ही करते है हम है किसके जैसे..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #stilllife इक समा ऐसा भी था थे हम हमारे जैसे अब प्रश्न हम हमसे ही करते है हम है किसके जैसे ना तो मन में उमंग है ना ही दिल को भाता रंग है चल
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- ख्वाब आँखों में क्या पला था तब । छोड़कर जब सनम गया था तब ।।१ खत वहीं पे जला दिया था तब । बेवफ़ा जब सनम हुआ था तब ।।२ वक्त पे मैं पहुँच नहीं पाया । प्यार नीलाम हो चुका था तब ।।३ फासला चाह के किया उसने । प्यार का सिलसिला रुका था तब ।।४ कैसे कर ले यकीं सितमगर पे । उसकी हर बात में दगा था तब ।।५ राह कोई नजर न थी आती । पास कुछ भी न तो बचा था तब ।।६ खेल हम जाते जान की बाजी । साथ कोई नही खड़ा था तब ।।७ अब तो आँखों से बस बहे पानी । जख्म़ ऐसा हमें मिला था तब ।।८ दिल का सौदा करें प्रखर कैसे । प्यार में ही ठगा गया था तब ।।९ ०६/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- ख्वाब आँखों में क्या पला था तब । छोड़कर जब सनम गया था तब ।।१ खत वहीं पे जला दिया था तब ।