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अदनासा-

ग़ज़ल सौजन्य एवं हार्दिक आभार🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है सरशार सैलानी https://rek.ht/a/1aac/2सरशारसैलानीजी #हिंदी #Instagram #SunSet #SocialMedia #Facebook #विचार #Pinterest #अदनासा

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Er Avi

जहाँ मैं हूँ वहाँ तुम हो,सामने न सही ज़ेहन में हो क्या गिला क्या शिकवा करूँ,अब तो बस तुम ही तुम हो... तुम्हे यक़ीन नही रहा कभी वफ़ा ए सैलानी का #Poetry #Life #Love #Hindi #poem #writer #Life_experience #LoveOnline

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Sahaj Sabharwal

लो आ गया नया ज़माना,  स्वच्छ भारत  बन गया है एक बहाना । क्या भारत की स्वच्छता का इरादा , टूट रहा है यह स्वच्छ भारत का वादा ।

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Parasram Arora

सैलानी नदिया..... #विचार

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पहले सैलानी  नदियों  का अस्तित्व  सुरक्षित्त. था..
ज़ब तक उन्हे  वनो  का संरक्षण  प्राप्त था. l 
जबकि. नदियों संग चलते चलते वन  भी उदास  हो चुके है क्योंकि वृक्षों के कटने से  वे भी
अपना अस्तित्व खोते जा रहे  है 
अब वे नदिया  उदास मैदानों  से  गुजरने लगी  थीं. l. 
जबकि मैदानी  इलाको की बस्तियों के  नागरिको ने
उन नदीयौ  क़ो  मैल और गंदगी के ज़हर से
प्रदूषित कर दिया  हैl और  अब  उनकी रुग्नता
के उपचार के  लिये उन नदियों क़ो सुयोग्य  
चिकतसको  के हाथ में  सौपना  j लाज़मी. हो गया .है

©Parasram Arora सैलानी नदिया.....

Satyaprem Upadhyay

चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो अँधेरी रात तूफ़ानी हवा टूटी हुई कश्त #Poetry

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चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू 
से बात बनती है 

हम ही हम हैं तो क्या हम हैं 
तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है 
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो 

अँधेरी रात तूफ़ानी हवा टूटी हुई कश्त

Bhaskar Joshi

भागो रे! भागो देश छोड़कर, आया दौर बलात्कारी.. यहाँ नहीं अब तन सुरक्षित, यहाँ नहीं अब मन सुरक्षित; आया दौर बलात्कारी.. यहाँ नग्नता धरी हैं व

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भागो रे! भागो देश छोड़कर,
आया दौर बलात्कारी..

यहाँ नहीं अब तन सुरक्षित,
यहाँ नहीं अब मन सुरक्षित;
आया दौर बलात्कारी..

यहाँ नग्नता धरी हैं व

Varsha Sharma

नदी के दो किनारे हैं, एक वो जिस पर ठहरने को मन तैयार नहीं और दूसरा किनारा वो, जहां के बीच से मांझी ही भटक गया हो! क्या होगा उस सैलानी का बीच #तुम #yqdidi #yqhindi #tumhari_yaad #नाविक #soulfulshunya #मेरेमांझी

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 नदी के दो किनारे हैं, एक वो जिस पर ठहरने को मन तैयार नहीं और दूसरा किनारा वो, जहां के बीच से मांझी ही भटक गया हो! क्या होगा उस सैलानी का बीच

Sahaj Sabharwal

लो आ गया नया ज़माना,  स्वच्छ भारत  बन गया है एक बहाना। क्या भारत की स्वच्छता का इरादा , टूट रहा है यह स्वच्छ भारत का वादा। सैलानी  हैं  आत #India #jammu #bharat #SahajSabharwal #PoemsBySahajSabharwal #Swatchh

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India quotes  लो आ गया नया ज़माना, 
स्वच्छ भारत  बन गया है एक बहाना।

क्या भारत की स्वच्छता का इरादा ,
टूट रहा है यह स्वच्छ भारत का वादा।

सैलानी  हैं  आते यहाँ, 
दिखती है गंदगी देखें जहाँ ।

क्या  वैष्णो देवी की पवित्र पहाड़ियां,
लिपटी  जो रहतीं  हैं,  बर्फीली  साड़ियां ।

एवं  मनुष्य  की अपवित्रता  का साथ,
दया करो हम पर तो भैरवनाथ ।

इसी गंदगी का करना है अंत,
तभी काम करेंगी भक्ति और मेलों में प्रभु या संत ।
                                                       
-Sahaj Sabharwal
( Author of Book "Poems by Sahaj Sabharwal" )
-Jammu city,
Jammu and Kashmir, India .
©All Rights Reserved
CONTACT-: sahajsabharwal12345@gmail.com
+917780977469 लो आ गया नया ज़माना, 
स्वच्छ भारत  बन गया है एक बहाना।

क्या भारत की स्वच्छता का इरादा ,
टूट रहा है यह स्वच्छ भारत का वादा।

सैलानी  हैं  आत

Odysseus

गीत बंजारों सी फितरत मेरी, हरदम चलता जाता हूं मस्त पवन के झोंके सा निसदिन मैं बहता जाता हूं ऊपर अंबर नीचे धरती और नहीं कोई मेरा आज किसी बस #Travel #Song #Hindi #decemberchallenge

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बंजारों सी फितरत मेरी, हरदम चलता जाता हूं
मस्त पवन के झोंके सा मैं निसदिन बहता जाता हूं

ऊपर अंबर नीचे धरती और नहीं कोई मेरा
आज किसी बस्ती में तो कल जंगल में लगता डेरा
ना घर है ना ठौर-ठिकाना, यूं ही बढ़ता जाता हूं

ऐसा इक सैलानी हूं मैं जिस की ना कोई मंज़िल
रहता हूं अपनी ही धुन में, क्या तनहाई क्या महफ़िल
दिल का इकतारा लेकर बस गीत ख़ुशी के गाता हूं

धूप रहे या छांव घनेरी, सहरा हो या गुलशन हो
पांव नहीं रुकते हैं मेरे, पतझड़ हो या सावन हो
ग़म के तूफ़ानों में भी लब पर मुस्कान सजाता हूं

पत्थर पर सोता हूं पर बातें‌ करता हूं तारों से
प्यार गुलों से करता हूं पर बैर नहीं है ख़ारों से
मुफलिस हूं पर दिल में शहज़ादों सा जश्न मनाता हूं
- Charudatta_Kelkar

©Odysseus गीत

बंजारों सी फितरत मेरी, हरदम चलता जाता हूं
मस्त पवन के झोंके सा निसदिन मैं बहता जाता हूं

ऊपर अंबर नीचे धरती और नहीं कोई मेरा
आज किसी बस

Divyanshu Pathak

राजस्थान का लोक जीवन अपनी विशेष रीति-रिवाजों के कारण दुनियाभर में कौतूहल का विषय बना ही रहता है।जब भी कोई बाहर का सैलानी यहाँ आता है तो देख #yqdidi #yqhindi #पाठकपुराण #राजस्थान_के_इतिहास_की_झलकियाँ_1

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मौसर और औसर
किसी के देहावसान के बाद बारहवां या तेरहवीं (मृत्यु-भोज) मौसर कहलाता है और मृतात्मा की शान्ति के लिए गरुण पुराण का पाठ करवाया जाता है।

औसर- जीवित व्यक्ति के द्वारा स्वयं का मृत्यु-भोज करना और ईश्वर से कामना करना कि मरणोपरांत उसे शान्ति और मुक्ति मिले। राजस्थान का लोक जीवन अपनी विशेष रीति-रिवाजों के कारण दुनियाभर में कौतूहल का विषय बना ही रहता है।जब भी कोई बाहर का सैलानी यहाँ आता है तो देख
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