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Dalip Kumar 'Deep'
मैं अपनों में रहा जरूर पर मरे हुये अहसास के साथ नाशुक्रे बेफिक्रे कदर न करने वाले रिश्तों के साथ इस्तेमाल करने के हुनर में माहिर कमाल की फितरत रखते हैं ये जो अपने से हैं ©Dalip Kumar Deep ना शुक्रे बेफिक्रे✍🏿🌿🌿☕☕🌿 good evening
Pawan Chahal
अपने गुरु पे विशवास है तभी तो बेफिक्रे होके जी रहे है देवी देवता को पूजते तो गुलाम होते
karishma
वो जहां जो नया बनाते है वो जहां बेफिक्र सब कह जाते हैं पलकों पे ओस की बूंदे हैं इन आंखों में तारे टिमटिमाते हैं #NojotoQuote #nojoto#nojotohindi वह जहां जो नया बनाते हैं वह जहां बेफिक्रे सब कह जाते हैं पलकों पर ओस की बूंदे हैं इन आंखों में तारे टिमटिमाते हैं देखो छ
Ayush Raj
मैं तुम्हारा धन्यवाद करना चाहता हूं एक बेफिक्रे को प्यार से जान पहचान करवाया है एक तुम ही तो थे जिसने एक बंजर दिल में बारिश करवाया है थोड़ा बहुत तो गुस्सा है दिल में वो भी वक्त हो जायेगा लेकिन जो नमी छोर गए हो क्या वो फीका हो पाएगा? बस यही एक सवाल है जिसका मुझे मलाल है क्या फिर बारिश होगी या अगर हुई तो क्या मैं खुदको प्यासा पाऊंगा ©Ayush Raj मैं तुम्हारा धन्यवाद करना चाहता हूं एक बेफिक्रे को प्यार से जान पहचान करवाया है एक तुम ही तो थे जिसने एक बंजर दिल में बारिश करवाया है थोड़ा
Suchita Pandey
क्या झूठ , क्या गलत, ये तो बस एक आदत की बात है! लोग तो आते हैं ज़िन्दगी में, एक दिन चले जाने के लिए! बेफिक्रे जितने भी रहोगे कि वो न कभी जायेगा, एक दिन रोना ही पड़ेगा! जितना सोचेंगे, वो अपना है, उतना ही उसे खोना ही पड़ेगा! दिल की क्या दुहाई देते हो, ज़ब रखें हैं सीने में पाल इतने गिले शिकवे हज़ार..! ज़िंदगानी कब तलक लुटाओगे उस पर, जो न समझे कभी तुम्हारे दिल का हाल! हिसाब भला उससे क्या मांगते हो जिसने अपनी ज़िन्दगी ही जी रखी है अब तक उधार..!!! - सुचिता पाण्डेय✍ #उधार_की_ज़िन्दगी क्या झूठ , क्या गलत, ये तो बस एक आदत की बात है! लोग तो आते ही हैं ज़िन्दगी में, चले जाने को, बेफि
Suchita Pandey
बच्चो से सीखो.. रोते से हसाना, रूठ कर ख़ुद ही फिर से मान जाना, टूटी हुई खिलौनों से ही खुश हो जाना.. दुनियादरी कि जंगलों से दूर अपनी धुन में गुम हो जाना खेल खेल में दोस्तों से कट्टी और फिर से यारी हो जाना दिल के बड़े साफ न रखे कोई मैल सारे रंग बिरंगे फूलों जैसे तितलियों के पंख लगा कर बेफिक्रे से उड़ते न किसी से बैर,न ही कोई छल, दिल के सच्चे ये प्यारे बच्चे इनके एक मुस्कान पे टिकी सारी घर कि रौनक.. सुप्रभात। बहुत कुछ है जो हम बच्चों से सीख सकते हैं। #बच्चोंसेसीखो #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #suchitapandey
सुसि ग़ाफ़िल
तुमको लगता है , इश्क की बेचैनियों से हम गुजरे नहीं है , आज भी हम वही बेफिक्रे हैं सुधरे नहीं हैं ! तुमको लगता है मैं बेदर्द हूं दर्द से गुजरे नहीं हैं , आज भी हम वही पत्थर है सुधरे नहीं है ! तुमको लगता है मैं खिलाड़ी हूं पर खेल से गुजरे नहीं है , आज भी हम खिलौनों से खेलते हैं सुधरे नहीं हैं! तुमको लगता है मैं शराबी हूं पर मैं मयखानों से गुजरे नहीं हैं ! आज भी हम बोतलों के शौकीन हैं हम सुधरे नहीं हैं। तुमको लगना चाहिए हम सिगरेट के आदी हैं , पर इसको छोड़ने की लत से हम गुजरे नहीं है , हां हम सच में पीते हैं तेरी याद में अब भी सुधरे नहीं हैं! तुमको लगता है , इश्क की बेचैनियों से हम गुजरे नहीं है , आज भी हम वही बेफिक्रे हैं सुधरे नहीं हैं ! तुमको लगता है मैं बेदर्द हूं दर्द से गु
Harshit kashyap
आज फिर, एक दर्द का अभाश सा है। ना जाने क्यूँ, मन उदास सा है। मिल जाए कोई, जिस से कह दूँ सब कुछ ऐसे किसी अपने का तलाश सा है। इस बेफिक्रे की भी, करे कोई फिकर ऐसे दिल का आस सा है। इक चुभन है, जैसे मानो, कोई काँटा आस पास सा है। भरे साहिल की तरह, पर खारे पानी से मिल जाए एक बून्द, सादा पानी ये कुछ ऐसा प्यास सा है। देखते ही चेहरे को, जो कह दे ये मुस्कुराहट तो, एक नक़ाब सा है। महफ़िल में हो के भी, तन्हाइयों से घिरा हर आदमी, एक लाश सा है। और वो खेल जिसमें, हर इक्के ने राजा को गिराया ये ज़िन्दगी भी तो, एक ताश सा है। आज फिर, एक दर्द का अभाश सा है। ना जाने क्यूँ, मन उदास सा है। मिल जाए कोई, जिस से कह दूँ सब कुछ, ऐसे किसी अपने का तलाश सा है। इस बेफिक्रे की
"Narendu"❤️
मेरी प्यारी कविता, अक्सर लिखती हूँ तुम्हे हर बात के लिये लो आज कुछ बात लिखूं तुम्हारे लिए हर ज़ुबाँ में पहचान लिए, बिना जिस्म के जान लिए कभी चुप-खामोश,कभी रुदन-क्रंदन तो कभी जोश-आक्रोश लिए तुम हर भाव हर स्वभाव को खुद में समेट के रखती हो, तुम जला देती है उम्मीद की हर लौ तो स्वाह कर देती हो हर निराशा,हर हताशा को तुम बचपन सी चहकती हो जवानी सी बहकती हो चाँद तारे,बारिश,पुरवाईयाँ बेचैनी,सुकूँ,इश्क़,रुसवाईयाँ सबकी कहानी कहती हो, कभी आह बन,कभी वाह बन कैसे भी उतर ही जाती हो दिल में न वक़्त की मोहताज तुम न जिस्म, जगह और न ज़ुबाँ की, जब भी झिझकता है दिल कुछ कहने से चंद अल्फ़ाज़ों का बुरक़ा पहन तुम सब कुछ कह देती हो, और समेट लेती हो मेरे बिखरे-बिखरे से मन को सखी,सहेली,हमसफर,मेरी राज़दार या मेरे ज़ज़्बातों की पोटली हमारे रिश्ते का कुछ भी हो शीर्षक हम बेफिक्रे,बिंदास कहे "इंदु" हमें पड़ता कोई फर्क नहीं इस बात का कोई तर्क नहीं😉 मेरी हर दुविधा में सुविधा मेरी "कविता"😊 "इंदु रिंकी वर्मा" #poem अक्सर लिखती हूँ तुम्हे हर बात के लिये लो आज कुछ बात लिखूं तुम्हारे लिए हर ज़ुबाँ में पहचान लिए, बिना जिस्म के जान लिए कभी चुप-खामोश,क