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Shaarang Deepak
Bali Inspiration
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानीं भवति भरत अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मनम् श्रीजाम्यहम् Yada Yada Hi Dharmasya Glanir Bhavati Bharata Abhyuthanam Adharmasya Tadaatmaanam Srijaamyaham Meaning: Whenever There Is A Decline In Righteousness And An Increase In Sinfulness, O Arjun, At That Time I Manifest Myself On Earth. Bali Inspiration again prayer for your reincarnation because sin is increasing. Oh! God come on earth again and destroy this sinfulness from roots and established again Ram Rajya 🙏❤️🤗 ©Bali Inspiration यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानीं भवति भरत अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मनम् श्रीजाम्यहम् #RadhaKrishna #jai_shree_ram #God #Love #Ram #nojotoquote
ÅJÎT KÙMÅR
अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम् | पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् || इस श्लोक के अनुसार दुर्योधन के पास अपरिमेय शक्ति होती है जो पितामह द्वारा भली-भांति संरक्षित होती है साथ ही पांडव की शक्ति भीम द्वारा भली-भांति संरक्षित होती है ! एक तरफ दुर्योधन के पास बलशाली सेना और अनुभवी लोग दूसरी तरफ पांडवों के पास सेना और संसाधन की अपार कमी साथ ही एक कम अनुभवी भीम द्वारा संरक्षण का प्राप्त होना! भगवत गीता की यह श्लोक हमें साफ संदेश देती है कि हमें किसी को भी छोटा नहीं समझना चाहिए हमें ऊंच-नीच धन-दौलत जात-पात से ऊपर उठकर लोगों की सेवा करनी चाहिए अगर नहीं करेंगे तो हमारी हाल भी कौरवो जैसी होगी और हमें हराने वाला भी पांडवों जैसा ही होगा.. आज गीता जयंती के शुभ अवसर पर आपको एवं आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं साथ ही भगवान कृष्ण की असीम कृपा हम सभी पर बनी रहे... राधे राधे 🌹🌹🌹 अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम् | पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् || इस श्लोक के अनुसार दुर्योधन के पास अपरिमेय शक्ति हो
Divyanshu Pathak
करना तय तुम भूल गए हद मेरे अपमान की! क्यों तुम तोड़ रहे हो यूँ सरहद अभिमान की? ममता समता गुरुता प्रभुता सब कुछ नारी है! बेशर्म ज़रा सी शर्म करो लाज़रखो ईमान की। आदिकाल से ही मेरा मन दंश झेलता आया है। ख़्वाब - ख़यालों से मेरे पुरुष खेलता आया है। मेरा ग़ुनाह है देह मेरी! या स्त्री होना गलती है! जाने क्यों हिस्से में मेरे समझौता ही आया है? जिसके हाथ में शक्ति है मानव के निर्माण की। नारी निर्माता भवति क्या तुमने ये पहचान की? तुम हठ में बस खींच रहे ऐसे अपनी ओर मुझे! या बात समझ में आई है अब मेरे सम्मान की। समझौता कहाँ तक ------------------------- करना तय तुम भूल गए हद मेरे अपमान की! क्यों तुम तोड़ रहे हो यूँ सरहद अभिमान की? ममता समता गुरुता प्र
Divyanshu Pathak
यां मेधां देवगणाः पितृश्चोपासते। तया मामद्य मेधयाअग्ने मेधाविनं कुरु स्वाहा।। (यजुर्वेद अ.- 32 मंत्र-14) जिस बुद्धि की उपासना देवता और हमारे पूर्वजों ने की है उसी ज्ञानरूप अग्नि को हमें देकर मुझे विद्वान बनाओ। तेजोअसि तेजो मयि धेहि।वीर्यमसि वीर्यं मयि धेहि। बलमसि बलं मयि धेहि।ओजोअस्योजो मयि धेहि। मन्युरसि मन्युं मयि धेहि।सहोअसि सहो मयि धेहि। यजुर्
manoj kumar jha"Manu"
प्रियो भवति अद्वेष्टा द्वेष न करने वाला सबका प्रिय होता है। (स्कन्दपुराण, श्रावण मास महात्म्य) प्रियो भवति अद्वेष्टा द्वेष न करने वाला सबका प्रिय होता है। (स्कन्दपुराण, श्रावण मास महात्म्य)
Dr Jayanti Pandey
सबसे मुश्किल होता है अपने बच्चों के स्वार्थी किरदार को स्वीकार करना और फिर उसे नज़र अंदाज़ करना। कुपुत्रो जाएत: क्वचिदपि कुमाता न भवति सब कुछ समझकर, उसे नज़र अंदाज़ करते हैं मां बाप बच्चों से किस स्वार्थ में प्यार करते हैं? कभी धन कभी आ
adv Ritam pandey
Vikas Sharma Shivaaya'
☀️सूर्य नमस्कार🙏 सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है..., इसके अभ्यास से साधक का शरीर निरोग और स्वस्थ होकर तेजस्वी हो जाता है..., 'सूर्य नमस्कार' स्त्री, पुरुष, बाल, युवा तथा वृद्धों के लिए भी उपयोगी बताया गया है..., आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने। आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ॥ (जो लोग प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं, उनकी आयु, प्रज्ञा, बल, वीर्य और तेज बढ़ता है...)..., मन्त्र चक्र आसन... बीज नमस्कार 1 ॐ ह्रां ॐ मित्राय नमः अनन्तचक्र- प्रणामासन 2 ॐ ह्रीं ॐ रवये नमः विशुद्धिचक्र- हस्तोत्थानासन 3 ॐ ह्रूं ॐ सूर्याय नमः स्वाधिष्ठानचक्र- हस्तपादासन 4 ॐ ह्रैं ॐ भानवे नमः आज्ञाचक्र- एकपादप्रसारणासन 5 ॐ ह्रौं ॐ खगाय नमः विशुद्धिचक्र- दण्डासन 6 ॐ ह्रः ॐ पूष्णे नमः मणिपुरचक्र- अष्टांगनमस्कारासन 7 ॐ ह्रां ॐ हिरण्यगर्भाय नमः स्वाधिष्ठानचक्र-भुजंगासन 8 ॐ मरीचये नमः विशुद्धिचक्र- अधोमुखश्वानासन 9 ॐ ह्रूं ॐ आदित्याय नमः आज्ञाचक्र- अश्वसंचालनासन 10 ॐ ह्रैं ॐ सवित्रे नमः स्वाधिष्ठानचक्र- उत्थानासन 11 ह्रौं ॐ अर्काय नमः विशुद्धिचक्र- हस्तोत्थानासन 12 ॐ ह्रः ॐ भास्कराय नमः अनन्तचक्र- प्रणामासन 13 ॐ श्रीसवितृसूर्यनारायणाय नमः अनन्तचक्र-प्रणामासन 14 ॐ हे भो हरे नमः विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 550 से 561 नाम 550 कृष्णः कृष्णद्वैपायन 551 दृढः जिनके स्वरुप सामर्थ्यादि की कभी च्युति नहीं होती 552 संकर्षणोऽच्युतः जो एक साथ ही आकर्षण करते हैं और पद च्युत नहीं होते 553 वरुणः अपनी किरणों का संवरण करने वाले सूर्य हैं 554 वारुणः वरुण के पुत्र वसिष्ठ या अगस्त्य 555 वृक्षः वृक्ष के समान अचल भाव से स्थित 556 पुष्कराक्षः हृदय कमल में चिंतन किये जाते हैं 557 महामनः सृष्टि,स्थिति और अंत ये तीनों कर्म मन से करने वाले 558 भगवान् सम्पूर्ण ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य जिनमें है 559 भगहा संहार के समय ऐश्वर्यादि का हनन करने वाले हैं 560 आनन्दी सुखस्वरूप 561 वनमाली वैजयंती नाम की वनमाला धारण करने वाले हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ☀️सूर्य नमस्कार🙏 सूर्य नमस्कार योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है। यह अकेला अभ्यास ही साधक को सम्पूर्ण योग व्यायाम का लाभ पहुंचाने में समर्थ है...,