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हार्दिक कुमार झा
चिंगारी उठते देखी है बस्ती मै आज फिर कोई घर जलाने वाली है सो रहे है बच्चे बड़े सुकून से क्या पता उन्हें की कयामत आने वाली है फ़िक्र कैसी जब सलामत है अपना ठिकाना भीड़ तो बस तालियां बजाने वाली है सुना था जिसका कोई नहीं उसका रब है ऊपर देख मेघा नीर बरसाने वाली है हार्दिक झा #चिंगारी_उठते_देखा_है #घर_जलाने_वाली
Omkar Sharma
लोगों का क्या साहब --- लोग तो चिंगारी से ही नहीं चुगली से भी घर में आग लगा देते हैं! #चिंगारी_चुगली #hindipoem #Omkarsharma omkarsharmablog.wordpress.com kaviomkarsharma.blogspot.com
vimlesh Gautam https://youtube.com/@jindgikafasana6684
मोहब्बत का जुनून बारूद पर बैठने जैसा है विश्वास की एक चिंगारी दो दिलों में आग लगने से प्यार स्फुटित होकर ही रहता है।। ©Vimlesh Gautam # चिंगारी
Vimlesh Miledar Saroj
शर्दियों में सबसे खूबसूरत दोपहर का पहर होता है, गाँव के हर एक घर में एक छोटा सा शहर होता है। बड़ी होशियारी से सम्भल कर रहना मेरे यारों, क्योंकि, गैरों से घातक अपनों का ज़हर होता है।। -सरोज #चिंगारी
ठाकुर नीलमणि
चिंगारी ------------------------------------------------------- ये उजलि ये काली, धुआ संग लाली, लपटो से बिखरती हूई ये चिंगारी, बस्ती को जला के मचल क़्यो रही है ! कभी इस गली तो कभी उस मोहल्ले , हवा मैं तैरती हुई चल रही है, घरो से निकलकर , तो छत से फिसलकर,, चौराहे पे जा के .... सभंल क़्यो रही है! ये उजली ये काली..............................रही है! लपलपाती जिभ से कच्चे घरो को , छोटे - बडो को , दरवाजे से निकलकर तो, खिड्र्की से फिसलकर, खूद मे लपेटे निगल क़्यो रही है! जख्मि झुलसे बदन ये, चिथड्रो से कफन ये, रातो को घरो से, निकल कंधो पर बोझ , चल क़्यो रही है! करुणा का नजारा , था किसका दोस सारा, अजनबी मैं बेचारा , पूछ्ता किससे कि ये... बस्ती जल क़्यो रही है! ये उजली ये काली........................................रही है! by - Nilmani Thakur #चिंगारी
N Kumar
मोहब्बत की राख से चिंगारीयां निकली,,, जिसने मेरे आशियां को पूरा जला डाला... # चिंगारी...
Sabir Khan
ये जो चिंगारियां तुम जमाने में सुलगाते फिरते हो, किसी बेबस की बददुआ बनके तुम्हें झपटेंगी। चिंगारी
प्रतिभा Jain
निराशा के , गहन अंधेरे में , आशा की हल्की , रोशनी नजर आ गई , पास जाकर टटोला तो , आग की एक चिंगारी थी , जो मेरे हाथ को जला गई । को jla ©प्रतिभा Jain चिंगारी #
V Gurjar
शीशे में कैद है वो रोशनी , जो कभी शीशे में रुकी ही नही ? हैरत है ना ! वो कहती थी की कभी झुकी नही??? ©V Gurjar चिंगारी