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Dilip Singh Harpreet
हेली कि अचरज कहूं हळ्दी दुकड्यो भैळ लाड़ी गालां चौपड़े हल मल खैले खैल कि हेली इचरज कहूं हळ्दी पीळ पतंग लाड़ी संग सब पै चढ्यौ देखौ कसूमल रंग।। ©Dilip Singh Harpreet हेली कि अचरज कहूं हळ्दी दुकड्यो भैळ लाड़ी गालां चौपड़े हल मल खैले खैल कि हेली इचरज कहूं हळ्दी पीळ पतंग लाड़ी संग सब पै चढ्यौ देखौ कसूमल रंग।
N S Yadav GoldMine
बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणे छोरी पतासे बाट्टण आई। करले दादी मुह नैं मिट्ठा मेरी मां की कोथली आई। {Bolo Ji Radhey Radhey} बूड्ढी बोल्ली के खाउं बेट्टा, घर की बणी या चीज कोन्या। सारे त्योहार बाजारु होगे, ईब पहले आली तीज कोन्या। कोथली तो वा होवै थी जो म्हारे टैम पै आया करती। सारी चीज बणा कै घरनै मेरी मां भिजवाया करती। पांच सात सेर कोथली मैं, गुड़ की बणी सुहाली हो थी। गैल्या खांड के खुरमें हो थे, मट्ठी भी घर आली हो थी। सेर दो सेर जोवे हों थे, जो बैठ दोफारे तोड्या करती। पांच सात होती तीळ कोथली मैं, जो बेटी खातर जोड़्या करती। एक बढिया तील सासू की, सूट ननद का आया करता। मां बांध्या करती कोथली, मेरा भाई लेकै आया करता। हम ननद भाभी झूल्या करती, झूल घाल कै साम्मण की। घोट्या आली उड़ै चुंदड़ी, लहर उठै थी दाम्मण की। डोलै डोलै आवै था, भाई देख कै भाज्जी जाया करती। बोझ होवै था कोथली मैं, छोटी ननदी लिवाया करती। बैठ साळ मैं सासू मेरी, कोथली नैं खोल्या करती। बोझ कितना सै कोथली मैं, आंख्या ए आंख्या मैं तोल्या करती। फेर पीहर की बणी वे सुहाली, सारी गाल मैं बाट्या करती। सारी राज्जी होकै खावैं थी, कोए भी ना नाट्या करती। कोथली तो ईब भी आवै सै, गैल्या घेवर और मिठाई। पर मां के हाथ की कोथली सी, मिठास बेबे कितै ना पाई। सावन की कोथली और तीज की बधाई।🌳🌴🌳🌴🙏🙏 N S Yadav GoldMine 🌹🌹🙏🙏🌹🌹 ©N S Yadav GoldMine #DiyaSalaai बूड्ढी बैट्ठी घर के बाहरणे छोरी पतासे बाट्टण आई। करले दादी मुह नैं मिट्ठा मेरी मां की कोथली आई। {Bolo Ji Radhey Radhey} बूड्ढी
HINDI SAHITYA SAGAR
खाने को घर में खाद्य नहीं, संग रहना उनको त्याज्य नहीं। आराध्य था उनका जो कल तक, अब उनका वो आराध्य नहीं। मर जायेंगे-मिट जाएंगे, पर घर रहना स्वीकार्य नहीं। ले लो विदा अब चलो पार्थ, पै लगना अब अनिवार्य नहीं। ©HINDI SAHITYA SAGAR खाने को घर में खाद्य नहीं, संग रहना उनको त्याज्य नहीं। आराध्य था उनका जो कल तक, अब उनका वो आराध्य नहीं। मर जायेंगे-मिट जाएंगे, पर घर रहना स्
बाबा ब्राऊनबियर्ड
i थिंक .. अपणी ठाडी करतुतां तै अपणी ए ज़िन्दगी म्ह आग लगाई मन्नै,, Twitter has sent a notifications "बाबा ब्राऊनबियर्ड, जन्मदिन की भौत भौत बधाई तन्नै..!! 🌹🌹 ©बाबा ब्राऊनबियर्ड आज मै तकिये पै तारे बोण लाग रहया हूं, जन्मदिन है अर एकला रोण लाग रहया हूं, शायद खुद न ए खोण लाग रहया हूं ! #July_1🌹
Monika Rathee (Raisin Vimal)
जबतै तू मिला मेरे चेहरे की खुशी देख, जबतै तू मिला मेरी परेशानियां नै अपणा रास्ता बदल लिया तेरे आण तै होई मेरी ज़िन्दगी मैह रौनक देख गुलमोहर के season में मिला तू मन्नै पहली बार तेरे आण तै मेरी ज़िन्दगी बनी गुलमोहर देख तेरे आण तै होई मेरी ज़िन्दगी की नई शुरुआत देख मेरे बदलते हालात देख अर मेरी बात सुनकै आई जो तेरे चेहरे पै वा मुस्कान देख! ©Monika Rathee (Raisin Vimal) 💌👣 जबतै तू मिला मेरे चेहरे की खुशी देख, जबतै तू मिला मेरी परेशानियां नै अपणा रास्ता बदल लिया तेरे आण तै होई मेरी ज़िन्दगी मैह रौनक देख
HINDI SAHITYA SAGAR
खाने को घर में खाद्य नहीं, संग रहना उनको त्याज्य नहीं। आराध्य था उनका जो कल तक, अब उनका वो आराध्य नहीं। मर जायेंगे-मिट जाएंगे, पर घर रहना स्वीकार्य नहीं। ले लो विदा अब चलो पार्थ, पै लगना अब अनिवार्य नहीं। ©HINDI SAHITYA SAGAR #Likho #thoughts खाने को घर में खाद्य नहीं, संग रहना उनको त्याज्य नहीं। आराध्य था उनका जो कल तक, अब उनका वो आराध्य नहीं। मर जायेंगे-मिट जाएं
Nishaaj
तारों भरी पलकों की, बरसाई हुई गज़लें है कौन पिरोऐ जो बिखराई हुई गज़लें वो लब हैं कि दो मिसरे और दोनों बराबर के ज़ुल्फ़ें कि दिले शायर पै छायी हुई ग़ज़लें ये फूल है या शेरों ने सूरतें पाई हैं शाखें हैं कि शबनम मे नहलाई हुई गज़लें खुद अपनी ही आहट पर चौंके हों हिरन जैसे यूँ,राह मे मिलती हैं घबराई हुई ग़जलें इन लफ्जों की चादर को सरकाओ तो देखोगे ऐहसास के घूँघट मे शर्माई हुई गज़ले उस जाने तग़ज्जुल ने जब भी कहा कुछ कहिये मैं भूल गया अक्सर याद आई हुई ग़जलें ©Nishaaj तारों भरी पलकों की, बरसाई हुई गज़लें है कौन पिरोऐ जो बिखराई हुई गज़लें वो लब हैं कि दो मिसरे और दोनों बराबर के ज़ुल्फ़ें कि दिले शायर पै छाय