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Ek villain
झारखंड में बिजली की बढ़ती खपत ने ऊर्जा संरक्षण की ओर ध्यान दिलाया केंद्र सरकार का भी यह प्रयास है कि अधिकाधिक नवीनीकरण ऊर्जा की दिशा में सभी राज्य आगे बढ़े इसके लिए गैर परंपरागत नवीनीकरण में बदला जा रहा है झारखंड देश के ऐसे राज्य की सूची में शामिल है जहां अदालत परिसर पूरी तरह से और ऊर्जा जरिए संचालित हो रहे हैं खूंटी में से कुछ पहले प्रधानमंत्री ने इसका संदेश उद्घाटन किया लगातार इसी दिशा में हो रहे और प्रयास की रेखांकित करते हुए और लगातार बढ़ती पद की दौड़ में इसमें कमी दूर कर सकते हैं अभी तक सबसे ज्यादा ऊर्जा का उत्पादन विधि संयंत्रों से होता है राज्य में इसकी पूर्ति सर्वाधिक है लेकिन इसका बुरा असर पड़ता है ©Ek villain #ऊर्जा संरक्षण जरूरी #drowning
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ऊर्जा संरक्षण दिवस वायु और खनिज पदार्थों से विद्युत भरपूर मात्रा में बनाते हैं,और विद्युतयंत्रो का उपयोग करके घर आँगन अपना हम उजाले से भर लेते हैं,डीजल पेट्रोल के सहयोग से छोटे वाहनों से लेकर बड़े वाहनों का मेला सा अक्सर सड़कों पर सरपट दौड़ते नजर आते हैं,अणु-परमाणु से भी विद्युतधारा उत्पन्न करना होता कितना हानिकारक दुनिया ये अच्छे से है पहचानें,छोटे बड़े कारोबार में विद्युत है सबको लगती जरूरी,विद्युतीकरण में कमी हो तो रूक जाये दुनिया सारी, विद्युत से संबंधित सभी उपकरण अधिक विद्युत खाते हैं,विद्युतधारा पर कर लो समय रहते नियंत्रण जेब पर पड़े है बोझ भारी एक सुझाव है सबको है बतलाते सूर्य वायु भी विद्युत है बनाते, होती नहीं प्रदूषित धरती हरी भरी होती है धरती,कभी कुछ न हानि होती सोर-ऊर्जा के सहयोग से वायु सूर्य से विद्युत खूब बनाओ,ये लाभदायक विद्युतीकरण तुम सब भी अपनाओ, करके ऊर्जा संरक्षण जीवन और धरती को खुशहाल बनाओ, चौथी रचना- राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस #tarunasharma0004 #trendingquotes #hindipoetry #
Ek villain
जब मैदान रखते हैं तो लोग हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों की ओर रुख करते हैं लेकिन इस बार स्थिति भिन्न है अभी तक पर्यटक की आम आदमी उत्साहवर्धक नहीं मार्च में ही तापमान में बढ़ोतरी हो गई मौसम विभाग का तो कई जिलों में गर्म हवा चलने का पूर्व अनुमान है जिससे वैश्विक तापन बढ़ने के कारण ही उत्पन्न हो रही है यह लोग के भविष्य के प्रति भी सचेत करता है विकास के नाम पर प्राकृतिक से खूब चर्चा हुई है इस पहाड़ भी अछूत नहीं रहे हरियाली होती थी अब वहां बड़े-बड़े वन खड़े हो गए हैं मौसम चक्र भी पूरी तरह बदल गया सर्दियों में बर्फ गिर रही है और बरसात में बारिश कम हो रही है गर्मी बढ़ने से गले सर भी तेजी से पिघल रहे हैं नदियों में पानी की आवक अधिक हो गई है यह अलग बात है कि नदी में पानी की अधिक से बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है इससे आगामी दिनों में बिजली की कमी से नहीं जुड़ना पड़ेगा लेकिन इसे पढ़ सकते हैं गर्मी बढ़ने के साथ ही कई क्षेत्रों में पेयजल की कमी हो गई है लेकिन कुछ दिन बाद नहीं किया जा सकता गर्मी बढ़ने से भोजन का अधिक उपयोग होने लगेगा जिन स्थानों पर सिंचाई की सुविधा नहीं है वहां फसलें सूखने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है सहित कई फलदार पौधे फूल लगाने आदि होने होंगे ©Ek villain #प्रकृति का संरक्षण #selfhate
manoj kumar jha"Manu"
परोऽपि हितवान् बन्धु: बन्धुरप्यहित: पर:। अहितः देहजो व्याधि: हितमारण्यमौषधम् ॥ (हितोपदेश) बीमारियाँ हमारे शरीर के भीतर रहते हुए भी हमारा बुरा करती हैं और औषधियाँ (जड़ी-बूटियाँ) हमसे दूर पेड़-पौधों में रहकर भी हमारा भला करती हैं (अर्थात् व्याधियाँ हमारे दुश्मन हैं और औषधियाँ मित्र)। इसी प्रकार से जिनसे हमारा रक्त का सम्बन्ध अर्थात् किसी प्रकार की रिश्तेदार न हो किन्तु वह हमारा हित करे तो वे अपने होते हैं और यदि रिश्तेदार होकर भी कोई हमारा अहित करे तो वह पराया होता है। वनस्पतियों का संरक्षण करें।
Amit Sir KUMAR
Environment पर्यावरण को बचाने के लिए पुरी मनुष्यता के पास अब केवल एक ही मंत्र है,"मुड़ो प्रकृति की ओर "। जिस प्रकार से मनुष्य जाति ने, प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किया है, उसी के परिणाम स्वरूप आज पुरी प्रकृति का संतुलन बिगड़ चुका है, और मनुष्य के साथ-साथ, पृथ्वी के संपूर्ण प्राणियों का जीवन, संकट में है । अब पुरी मनुष्य जाति का यह उत्तरदायित्व है,कि प्रकृति के साथ संतुलन को फिर से स्थापित करे,टेक्नोलॉजी को इस तरह बनाया जाए कि वह पर्यावरण को संरक्षित और बेहतर कर सके।एक काम जो हम सभी कर सकते हैं, अधिक से अधिक वृक्ष लगाए,हर महत्वपूर्ण अवसर पर, चाहे वह किसी कि शादी हो, किसी का जन्मदिन या फिर बच्चे का जन्म, हर महत्वपूर्ण अवसर पर, एक वृक्ष अवश्य लगाए । "धन्यवाद " ©Amit Sir KUMAR प्रकृति का संरक्षण ... #EnvironmentDay2021
manoj kumar jha"Manu"
पौधों और वृक्षों को तोड़ना कदापि उचित नहीं, चाहे वे अपवित्र स्थान पर क्यों न उगते हों, क्योंकि जो वृक्ष फल देते हैं और जो पौधे फूलों को उत्पन्न करते हों, वे कभी दूषित नहीं होते। बौधायन स्मृति (१/५/४) प्रकृति का संरक्षण करें।
Writer Chatra Ram
Environment जल जीवन की धार हैं इसे न तोड़ ये धरा जीवन की आस हैं इसे न उजाड़ है मानव तेरा इनके बिना कैसा होगा संसार अब कर तू भी मंथन अपने आप ©Writer Chatra Ram प्रकृति का कारो संरक्षण #EnvironmentDay2021 #WorldEnvironmentDay
Ek villain
2 फरवरी को दुनिया विश्व वेटलैंड दिवस मनाती है इस बार संयुक्त राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है इसके लिए बीते साल अगस्त में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पारित हुआ विश्व आंध्रभूमि दिवस की शुरुआत कैंपेनिया सागर के तट पर बसे ईरान के छोटे पर्यटन प्रदान शहर राम रस से हुई थी 2 फरवरी 1971 को ईरान के राम सागर में आंध्र भूमि संधि पर हस्ताक्षर किया गया 1977 में 2 फरवरी को आंध्र भूमि के महत्वपूर्ण के बारे में जन जागरूकता और संरक्षण के प्रयासों को बढ़ाने की दृष्टि से इस दिवस की शुरुआत हुई थी दुनिया में आंध्र भूमि का कुल क्षेत्रफल ढाई करोड़ वर्ग किलोमीटर है जो भारत के भू भाग को ही कम करता है यह एड्रेस क्या है जिसे के नाम से यह स्पष्ट है कि इन क्षेत्रों में मौसम में या फिर नियंत्रण वर्षा होती है भूजल पूरे वर्ष लगभग स्थल पर ही होता है यही प्रकार नामी या दलाली भूमि क्षेत्र आंध्र कहते हैं इसलिए क्षेत्रों में जलीय पौधों का अधिक विकास होता है पौधों और पशुओं की एक समृद्धि से भरी आंध्र भूखंडों की अन्य सभी तंत्रों की जय विविधता से अधिक समृद्ध होती है यही विशेषता इन अनमोल बनाती है हालांकि मन में एक लालच का अपना स्वाभाविक है कि हम ना कि वैलेंटाइन डे क्यों स्वीकार अधिक ठोस बनाएं खासकर उन शहरी परिवेश में जहां संपदा कम होती जा रही है ©Ek villain #आंध्र भूमि का संरक्षण जरूरी #friends
Ek villain
चाहे आप शौक में हो या खुशी में किसी भी स्थिति में आपकी ऊर्जा का कारण होता ही है ना केवल ऊर्जा का कारण होता है आप उर्दू समय का सरल और शरीर का स्वर्ण भी साथ चलता है विवित्र भारत है किंतु यह देखा गया है कि मनुष्य का जिन चीजों पर नियंत्रण नहीं है वह उन पर विलाप में ऊर्जा नष्ट करता रहता है हमने बहुत परिश्रम से एक महल खड़ा किया था भूकंप आया और एक क्षण में वह बराबर गिर ©Ek villain #hugday ऊर्जा का सही इस्तेमाल करें
Ek villain
1 जुलाई 2022 से पूरे देश में सिंगल न्यूज़ यानी केवल एक बार उपयोग में आने वाले प्लास्टिक के उपयोग पर पाबंदी के लिए नए आदेश से मणिपुर की राजधानी इंफाल के एक नदी की जान में जान आई है दरअसल हर बार विधानसभा चुनाव के समय हर राजनीतिक दल बेशुमार कचरे के कारण मौत के कगार पर खड़ी इंफाल की एक नदी के संरक्षण का मसला जरूर अनूठा व्यवसाय स्थल है जहां केवल महिलाएं ही दुकान चला दी है सदियों पुराने इस बाजार में लगभग 5000 महिलाओं का व्यवसाय है बीते दो दशक के दौरान जिस वस्तु ने खरीदारी करने वालों के सामने ले जाने की सुविधा दी थी वही आज इस बाजार से यमुना नदी के अस्तित्व पर संकट का कारण बन रही है इस बाजार में आने वाले फल सब्जियों का उत्पादन इस नदी के जल से होता है नदी के जल के तहत धारा कभी यहां के परिवेश को मुग्ध कर दी थी आज इस नदी में जल के स्थान पर केवल पॉलिथीन पानी की बोतले वह अन्य प्लास्टिक पैकिंग सामग्री का अंबर दिखाई देता है यह नदी आगे चलकर विश्व की एकमात्र नेशनल पार्क में गोवा के लिए प्रसिद्ध झील में मिलती है वर्ष 2019 में धनबल नदी के कार्यकलाप और संरक्षण के शुभारंभ में नदी के प्रदूषण स्तर को कुछ हद तक कम करने में मदद की है लेकिन आज भी यह नदी सबसे दूषित नदियों में शामिल है ©Ek villain #मणिपुर चुनाव में नदी संरक्षण का मसला #Nofear