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Sunil Kumar Maurya Bekhud
सोने जैसा चमक रही सूरज की किरणों में तपकर जलधारा विचरण करती है गोदी में अगणित जलचर इनका रूप रंग बदला है देख उसे खुद इठलाती जैसे कोई मूर्ति बनी हो काट छांट करके पत्थर ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #,जलधारा
DR. LAVKESH GANDHI
लाश बह थी जब मैं लाश बनकर नदी की जलधारा में तब मुझे कोई रोकने-टोकने वाला नहीं था जब मैं जिंदा थी तो लोग पूजते थे मुझे चारों तरफ से घेर लेते थे मुझे लोग आज बह जाने देते हैं मुझे लोग नहीं कोई टोकते हैं मुझे लोग ©DR. LAVKESH GANDHI #feelings # # समय की जलधारा #
अजय शुक्ला
कतर कर ज़ेब, अपनी ही वो मुझे मालामाल करता रहा उसकी ख्वाहिशों में था मैं फिर भी उसे बदनाम करता रहा पता चला मुझे भी, बाद में जब बेटे की जेबें भरता रहा वो भी पिता मैं भी पिता ख़ुद से आज सवाल करता रहा पिता पिता
Rajesh Raana
"पिता" एक बाप के कंधे कभी बूढ़े नही होते , मैंने लाठी से मज़बूत पिता के कंधे देखे है, उम्मीदों का आसमान और अरमानो का बोझ उठाये , मेरे पिता के कंधे कभी नही झुके , चाहे कितनी भी चले वक्त की आंधियां, मेरे आँगन में खड़े बरगद और , मेरे घर को उठाये मेरे पिता की हौसलों की जड़े कभी नही उखड़ी , न जाने कौन सा वरदान लेके आते है पिता , उनके कंधें कभी झुकते नही , उनके पैर कभी रुकते नही , उनकी तारीफ के काबिल , कोई शब्द नही पाता मैं । ✍ राजेश "राणा" पिता #father #FathersDay #पिता
Rajesh Raana
घर की सुरक्षा में तैनात आँखे पिता , बच्चों की उड़ान के लिए पाखें पिता । तिनके-तिनके जुटाकर बनाता जो घोंसला , तोड़ न पाए कोई वो फौलादी हौसला पिता । माँ स्नेह की मूरत तो अनुशासन की धुरी पिता , ज़िन्दगानी लगे जिसके बिना अधूरी वो पिता । ✍🏻 राजेश "राणा" पिता #father #Fathersday #पिता
Anand mokhra
पिता स्वर्ग:पिता धर्म: पिता हि परमं तप:| पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवता: || ©Anand mokhra पिता #पिता #आनन्दमोखरा #Anandmokhra
Shivam Tiwari
किधर से आते हो तुम, और कहाँ तुम्हे जाना है, एक दिन तो तुम्हे भी, किसी सागर मे मिल जाना है। इतने ऊपर से गिरकर जब, चट्टानों से टकराते हो, सारे जख़्म छुपा कर भी, मधुर धुन सुनाते हो । अपना वजुद मिटा कर तुम, समन्दर में खो जाते हो, पर पीछे अपनी एक मीठी झनकार छोड़ जाते हो । अपने पल भर के जीवन को तुम, साकार बना देते हो, बहकर अविरल धारा से, हम में सौ भाव जगा देते हो। है विनम्रता पहचान तुम्हारी, इतना सहज तुम्हारा स्वभाव है जल कहे अपनालो मुझसे, इन गुणों का तुझमें अभाव है । क्यों बेवजह डरते हो तुम, क्यों भय तुम्हे गिरने का सोचो मैं ही अगर डर जाता तो, क्या दीदार करता कोई झरने का । --शिवम् तिवाड़ी (Image clicked at Nidaan Waterfall, Jabalpur 23/9/19) संदेश सुनाती जलधारा रचयिता- शिवम् तिवाड़ी अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें #nojotohindi #HindiPoetry