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Vaibhav Thakre
Abasaheb Patil
Abasaheb Patil
आमचेकडे सर्व प्रकारचे शासकीय व निमसासकीय ऑनलाईन फॉर्म योग्य दरात भरून मिळतील. व्हाट्सअँप वरून माहिती पाठवा ऑनलाईन पैसे ट्रान्सफर करा सेवा देण्यास तत्पर राहू. ७/१२ ऑनलाईन सर्व्हिसेस, कुकटोळी आबासाहेब पाटील 9172683363 ©Abasaheb Patil आमचेकडे सर्व प्रकारचे शासकीय व निमसासकीय ऑनलाईन फॉर्म योग्य दरात भरून मिळतील. व्हाट्सअँप वरून माहिती पाठवा ऑनलाईन पैसे ट्रान्सफर करा सेवा द
Shiv Narayan Saxena
Sonu Goyal
Sethi Ji
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟 🌟 World Health Day 🌟 🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟 आओ अब से हर हेल्थ केअर वर्कर को सलाम करते है जो दिन रात पूरी शिद्दत से अपना काम करते हैं डॉक्टर ने ज़िन्दगी भर , हर कदम पर दिया हमारा साथ और अपनी ज़िम्मेदारी से आज " कोरोना " जैसी महामारी को भी नाकाम करते हैं थक जाता है इंसान पूरे दिन मेहनत करते करते कभी कभी हम सबको अपने दिमाग को आराम भी देना चाहिए रहते हमेशा मन से स्वस्थ और तन से तंदुस्र्स्त वोही लोग दुनिया में अपना नाम करते हैं 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 ©Sethi Ji ❣️ स्वस्थ मन , तंदुस्र्स्त तन ❣️ स्वस्थ जीवन , सबकी ज़िन्दगी का मौलिक आधार होता है स्वास्थ्य सुविधा पर सबका समान अधिकार होता हैं ।। जब सब
Raj Singh
Mili Saha
// अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है // औरत" जिसके बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती को अगर इस सृष्टि का मूल कहा जाए तो यह सर्वाधिक उचित ही होगा, क्योंकि नारी शक्ति में ही संपूर्ण ब्रह्मांड समाया हुआ है। एक पुरुष जो नारी को कमज़ोर कहता है, उसे सम्मान नहीं देता, उसका तिरस्कार करता है। उसे इस बात का ज्ञान क्यों नहीं कि औरत के बिना आखिर उसका अस्तित्व ही क्या है? औरत उस वृक्ष के समान है जो विषम से विषम परिस्थितियों में भी तटस्थ खड़ी रहकर राहगीरों को छाया प्रदान करता है। किंतु उसकी इस सहनशीलता और कोमलता को पुरुष प्रधान समाज उसकी कमज़ोरी समझ लेता है। ये समाज क्यों नहीं समझता कि नारी की सहनशीलता और कोमलता के बिना मानव जीवन का अस्तित्व संभव ही नहीं। इस बात में किंचित मात्र भी संदेह नहीं है कि औरत ही वो शक्ति है जो समाज का पोषण से लेकर संवर्धन तक का कार्य करती है। संसार में चेतना के अविर्भाव का श्रेय औरत को ही जाता है। हमारी भारतीय संस्कृति में औरतों के सम्मान को बहुत अधिक महत्व दिया गया है किंतु वर्तमान में औरतों के साथ अभद्रता की पराकाष्ठा हो रही है। एक नारी का अपमान अर्थात संसार का, समाज का नैतिक पतन है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि का सम्मान दिया गया है। एक समय था जब औरत को उसके पति के देहांत के बाद उसे उसके साथ जिंदा जलकर सती हो जाना पड़ता था। ऐसी ही समाज की अनगिनत कुप्रथाओं के कारण औरत को हर युग में रीति-रिवाजों की बेडियो में बांँधकर समाजिक सुख सुविधा, गतिविधियों और शिक्षा से दूर रखा जाता था। किंतु इन सभी बंँधनों के बावजूद भी कितनी ही ऐसी महिलाएंँ हैं जिन्होंने अपने हिम्मत और हौसले से अपनी उपस्थिति को हर क्षेत्र में दर्ज़ करवाया है, इतिहास रचाया है, अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवाया है। पूर्व काल से ही नारी अपने हक के लिए लड़ती आई है और आज भी लड़ रही है। इस हक की लड़ाई का ही परिणाम है कि आज महिलाएँ हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर देश और समाज की प्रगति में अपनी भूमिका अदा कर रही है। उन्होंने अपनी शक्ति और कौशल से कर दिखाया है कि वो किसी भी मायने में कमजोर नहीं, एक शक्ति है जो अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है। ©Mili Saha // अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है // औरत" जिसके बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती को अगर इस सृष्टि का मूल कहा जाए तो यह सर्वा