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Naveen Mahajan
'बिन्दु' छिपे हुए आयामों संग मैं बिन्दु सरीखा दीख रहा। प्रीत तेरी पाले बैठा मैं बना प्रेम का बीज रहा। #NewAgeMathematics #NaveenMahajan #Wish बिन्दु
हरीश वर्मा हरी बेचैन
कभी मैं बुंद हूं! कभी मैं सिन्धु हूं! कभी मैं झील हो जाऊं! कभी झरना बन! झर झर गिरता जाऊं! मैं दरिया हूं सागर से.. हमको मिलना है! बना मैं राह जीवन का! मैं तो बस बहती ही जाऊं मैं इतराऊं मैं इठलाऊं! मैं करती प्रेम सागर से! मैं पत्थर से भी टकराऊं! ये माना दूर है मंजिल मेरी! मगर हमको तो चलना है! मेरे किस्मत में क्या है?? कैसे मैं बता समझ पाऊं?? मिल कर मैं सागर से.. खारी हो गई हूं मैं!!!! ईश्वर की लीला को.. कैसे मैं समझ पाऊं???? हरी मैं भाप बनकर.. क्यों न प्रेम में ही समा जाऊं!? ✍️ हरीश वर्मा हरी 8840812718 मैं बिन्दु हूं..
Bijendra Shukla
जिन ४लोगों के साथ आप बैठते हैं, आपके जाने के तुरन्त बाद आप की बुराई सुरू हो जाती है, ऐसी वाणी बोलिए कोई न कहे चुप, ऐसे जगह बैठिए, कोई न कहे उठ। ©Bijendra Shukla दो बिन्दु #Health
AaYu
खुली आसमां के नीचे बैठ पूरी दुनिया को अपना लेना, अगर फिर भी तुझे मेरी याद आए तो मुझे भी अपने पास बुला लेना..!! #प्यार #याद #आयु
Kajalife....
कुदरती इन खूबसूरत वर्णो के बीच , मैं रंगहीन बिन्दु सा मालूम पड़ता हूं । -Kajalife #रंग #Nature #रंगहीन बिन्दु सा मैं ..... #Kajalife
AaYu
हम हौसला यूंही हारा नहीं करते, हम मुश्किलों से भागा नहीं करते, हम वो है जो हर पल खुद को तैयार करते है। #आयु #हौसला #ज़िन्दगी
वेदों की दिशा
।। ॐ ।। त्रायुषं जमद्गने: कश्यपस्य त्रायुषं । यददेवेषु त्रायुषं तन्नोअस्तु त्रायुषं । पद पाठ त्र्या॒यु॒षमिति॑ त्रिऽआयु॒षम्। ज॒मद॑ग्नेरिति॑ ज॒मत्ऽअ॑ग्नेः। क॒श्यप॑स्य। त्र्या॒यु॒षमिति॑ त्रिऽआयु॒षम्। यत्। दे॒वेषु॑। त्र्या॒यु॒षमिति॑ त्रिऽआयु॒षम्। तत्। नः॒। अ॒स्तु॒। त्र्या॒यु॒षमिति॑ त्रिऽआयु॒षम् ॥ है जगदीश्वर ! आपकी कृपा से जैसे विद्वान लोग विद्या धर्म और परोपकार के अनुष्ठान से आनंदपूर्वक तीनसौ वर्ष पर्यंत आयु को भोगते हैं , वैसे ही तीन प्रकार के ताप से शरीर,मन, बुद्धि,चित्त ,अहंकाररूप अंत:करण इन्द्रिय और प्राण आदि को सुख करने वाले विद्या विज्ञान सहित आयु को हम लोग प्राप्त होकर तीनसौ वा चारसौ वर्ष पर्यंत सुखपूर्वक भोगें ।। Jagadishwar! By your grace, as scholars enjoy the rituals of learning, religion and philanthropy, for the age of three to seven years, in the same way, the three types of heat, body, mind, intellect, mind, egoism, inner senses and soul, etc. We will get the age including science and enjoy it happily till the age of three or four years. ( यजुर्वेद ३.६२ ) #यजुर्वेद #वेद #आयु