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N S Yadav GoldMine
श्री भगवान बोले- गान्धारी। उठो, शोक में मन को न डुबाओ पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅 महाभारत: स्त्री पर्व षड़र्विंष अध्याय: श्लोक 1-18 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 श्री भगवान बोले- गान्धारी। उठो, उठो। शोक में मन को न डुबाओ। तुम्हारे ही अपराध से कौरवों का विनाश हुआ है। तुम्हारा पुत्र दुर्योधन दुरात्मा, दूसरों से ईष्र्या एवं जलन रखने वाला और अत्यन्त अभिमानी था। दुष्कर्म परायण, निष्ठुर, वैर का मूर्तिमान स्वरूप और बड़े-बूढों की आज्ञा का उल्लंघन करने बाला था। 📜 तुमने उसको अगुआ बनाकर जो अपराध किया है, उसे क्या तुम अच्छा समझती हो? अपने ही किये हुए दोषों को यहां मुझ पर कैसे लादना चाहती हो? यदि कोई मनुष्य किसी मरे हुए सम्बन्धी, नष्ठ हुई वस्तु अथवा बीती हुई बात के लिये शोक करता है तो वह एक दु:ख से दूसरे दु:ख का भागी होता है, इसी प्रकार वह दो अनर्थों को प्राप्त होता है। 📜 ब्राहम्मणी तप के लिये, गाय बोझ ढाने के लिये, घोड़ी वेग से दौड़ने के लिये, शूद्र सेवा के लिये, वैष्य कन्या पषुपालन के लिये और तुम जैसी राज पुत्री युद्ध में लड़कर मरने के लिये पुत्र पैदा करती हैं। वैशम्पयानजी कहते हैं- जनमेजय। श्रीकृष्ण का दोबारा कहा हुआ वह अप्रिय बचन सुनकर गान्धारी चुप हो गयी उसके नेत्र शोक से व्याकुल हो उठे थे। 📜 उस समय धर्मज्ञ राजर्षि धृतराष्ट्र ने अज्ञान से उत्पन्न होने वाले शोक और मोह को रोककर धर्मराज युधिष्ठिर से पूछा- पाण्डुनन्दन। तुम जीवित सैनिकों की संख्या के जानकार तो हो ही। यदि मरे हुओं की संख्या जानते हो तो मुझे बताओ। युधिष्ठिर बोले- राजन। इस युद्ध में एक अरब छाछठ करोड़, बीस हजार योद्धा मारे गये हैं। 📜 राजेन्द्र। इनके अतिरिक्त चैबीस हजार एक सौ पैंसठ सैनिक लापता हैं। धृतराष्ट्र ने पूछा- पुरुषप्रवर। महाबाहू युधिष्ठिर। तुम तो मुझे सर्वज्ञ जान पड़ते हो; अतः यह तो बताओ कि वे मरे हुए सैनिक किस गति को प्राप्त हुए हैं। युधिष्ठिर ने कहा- जिन लोगों ने इस महा समर में वड़े हर्ष और उत्साह के साथ अपने शरीर की आहुति दी है, वे सत्य पराक्रमी वीर देवराज इन्द्र के समान लोकों में गये हैं। 📜 भारत। जो अप्रसन्न मन से मरने का निश्चय करके रणक्षेत्र में जूझते हुए मारे गये हैं, वे गन्धर्वों के साथ जा मिले हैं। जो संग्राम भूमि में खड़े हो प्राणों की भीख मांगते हुए युद्ध से विमुख हो गये थे; उनमें से जो लोग शस्त्र द्वारा मारे गये हैं, वे गुहकलोकों में गये हैं। 📜 जिन महामनस्वी पुरुषों को शत्रुओं ने गिरा दिया था, जिनके पास युद्ध करने को कोई साधन नहीं रह गया था, जो शस्त्रहीन हो गये थे और उस अवस्था में भी लज्जाशील होने के कारण जो रणभूमि निरन्तर शत्रुओं का सामना करते हुए ही तीखे अस्त्र-षस्त्रों से कट गये, वे क्षत्रीय धर्मपरायण पुरुष ब्रम्हलोक में गये हैं, इस विषय में मेरा कोई दूसरा बिचार नहीं है। 📜 राजन। इनके सिबा, जो लोग इस युद्ध की सीमा के भीतर रहकर जिस किसी भी प्रकार से मारे डाले गये हैं, वे उत्तर कुरूदेष में जन्म धारण करेंगे। धृतराष्ट्र ने पूछा- बेटा। किस ज्ञान वल से तुम इस तरह सिद्व पुरुषों के समान सब कुछ प्रत्यक्ष देख रहे हो। महाबाहो। यदि मेरे सुनने योग्य हो तो बताओ। ©N S Yadav GoldMine #Love श्री भगवान बोले- गान्धारी। उठो, शोक में मन को न डुबाओ पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅 महाभारत: स्त्री पर्व षड़र्विंष अध्याय: श्लोक 1-18 {Bolo
Kamaal Husain
नशा करके नशें में डूब जाना चाहता था वो और आधे उम्र ही टूट जाना चाहता था वो जुल्म उसके मेरी तौबा क़यामत जब लगे ढाने तो मैं उसके लिए उसको लगी अच्छे से समझाने कोई कहता तेरा आशिक शराबी है जुवाडी है उसे कुछ भी नहीं आता वो तो बिल्कुल अनाडी है है मेरी आरजू वो काबिले तारीफ हो जाये जिसे भूले ना ये दुनियाँ वो एक तारीख हो जाये छोडकर बोतल को वो अब लडखडाना छोड़ दे रोज सुबह शाम वो मुझको सताना छोड़ दे वक्त सबके वास्ते है पर मेरे खातिर नहीं चाहती हूँ देर से वो रोज आना छोड दे फेंकदे दे वो शौक से अब मयकशी के जाम को ताकि लोग बदनाम कर डालें ना उसके नाम को आज में जीता है वो कल की फिकर करता नहीं कुछ समझता है नहीं वो अपने ही अंजाम को देख ले है कौन अच्छा मैं या तेरी मयकशी मुझसे मिलती है खुशी और मय से जाती है खुशी रहता है जिस दिल में तु उसको ही क्यों बता हद से ज्यादा वो भला करता क्यों हर दिन दुखी ये नशें की लत तुझे बर्बाद करके जायेगी जिन्दगीं से तुझको ये आजाद करके जायेगी तेरे माँ बापू और भाई बहेन पत्नी और पुत्र को देखना सबको ये लत नाशाद करके जायेगी खैर इस रचना से हटकर विनतीं ये करता हूँ मैं आपके चरणों पे अपने सर को अब रखता हूँ मैं हो ना जाये हादसा जब नशें आप हो इसलिए ही मैं बहुत शराब से डरता हूँ मैं #yourquote #yqdidi #yqbhaijaan#AndMine #yourquote#alpamehta #Kamalhusain #sarabsenafratkaro शराब के नशे में जो पत्नी को प्रताड़ित करतें है
Anita Saini
अदावतें इश्क़ में, आज किसी मरीज़-ए-इश्क़ की जान जाने वाली है उफ़्फ़.!!!लबों की शोख़ सुर्ख़ी! ख़ुदाया कैसी क़यामत ढाने वाली है! अदावतें इश्क़ में, आज किसी मरीज़-ए-इश्क़ की जान जाने वाली है उफ़्फ़.!!!लबों की शोख़ सुर्ख़ी! ख़ुदाया कैसी क़यामत ढाने वाली है! #क़यामत #कोराकाग़ज़ #yq
SURAJ आफताबी
वक्त पर सब ज़हीर ज़ाहिर हो गये छोड़ हमें मझधार खुद साहिल हो गये सहेजता रहा जिन्हें मै कतरा-कतरा वो अश्क भी अब जरिफ़ से काहिर हो गये !! जरऱ व्यक्त करने को भी अब नहीं निकलती कोई फुगां शायद दर्द निहां रखने में मेरे जर्ब़ भी अब माहिर हो गये कभी किसी जमाने में हुआ करते थे हम शायर अब तो बस अल्फाजों की जुस्तजु में साहिर हो गये !! जहीर- अजीज, खास जरिफ- कोमल काहिर- कहर ढाने वाले जरर- शोक, व्यथा फुगां- दर्द भरी पुकार जर्ब़- घाव साहिर- जादूगर #yqbaba #yqdidi #love #shayar
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुझे शीत मौसम रिझाने लगा है । मिरा हमसफ़र याद आने लगा है ।।१ वही बाजरे की बनी गर्म रोटी मुझे याद उसकी दिलाने लगा है ।।२ परोसी नही थी कभी शर्द थाली । यही सोचकर आँख भिगाने लगा है ।।३ पराठे बहुत ही सुहाने बने है । मिरा पेट यादें दिलाने लगा है ।।४ गया है मुझे जो यहाँ छोड़ करके । वही रात दिन तो सताने लगा है ।।५ कहूँ क्या कदम आज उठते नही है । कि घर भी मुझे अब डराने लगा है ।।६ लगी उम्र ढलने प्रखर की अभी से बहुत कहर अब शीत ढाने लगा है ।।७ २०/१२/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुझे शीत मौसम रिझाने लगा है । मिरा हमसफ़र याद आने लगा है ।।१ वही बाजरे की बनी गर्म रोटी मुझे याद उसकी दिलाने लगा है ।।२ परोसी नही थी कभी श
शुभी
तू सिर्फ इंसान ही होगा. (check caption) ना हिंदू होगा ना मुसलमान होगा, होंगी जब कब्रें मुकर्रर तू सिर्फ इंसान ही होगा. एक अनागत पे ज़ुल्म ढाने वाले, इंसान तू हो नही सकता हैवान ही
its yadav kuldeep2001
सजना सवरना छोड़ो कयामत ढाने के लिए तुम्हारी सादगी ही काफी है । और अगर सजना है तो हम तुम्हें शब्दों से सजा सकते हैं ।। अप्सराओं से भी ज्यादा खूबसूरत बना सकते हैं । सूरज डूबा सकते हैं, चांद की चांदनी मिटा सकते हैं ।। तुम्हारे लिए आसमां से खुदा को बुला सकते हैं । और हम शायर हैं चाहे तो तुम्हारे लिए कायनात को झुका सकते हैं ।। ✍️🖋️ Kuldeep YADAV ©its yadav kuldeep2001 सजना सवरना छोड़ो कयामत ढाने के लिए तुम्हारी सादगी ही काफी है । और हम शायर हैं चाहे तो तुम्हारे लिए कायनात को झुका सकते हैं ।।
vishwadeepak
अब तो, अपने बेगाने नज़र आने लगे हैं, बातों से अपनी वो कहर ढाने लगे हैं, हांथों को अपने हटाने लगे हैं, कह ना दूँ कुछ, दूर हमसे वो जाने लगे हैं, अब तो, जिंदगी के दिन जैसे गिनाने लगे हैं, चार दिन की जिंदगानी बताने लगे हैं, साथ ना देंगे आखिर तक, ये हमसे जताने लगे हैं, इसलिए रूठकर दूर हमसे वो जाने लगे हैं, अब तो, दिन में भी तारे नज़र आने लगे हैं, उजालों में भी अँधेरे डराने लगे हैं, हल्की सी आहट से भी सहम जाने लगे हैं, छोटी सी बात भी दिल से लगाने लगे हैं, अब तो, बीती बातों को भुलाने लगें हैं, दूरियाँ दिल की लोगों से बढ़ाने लगे हैं, खुद की खुद से पहचान कराने लगे हैं, दूर जाने वालों से बहुत दूर जाने लगे हैं, अब तो, भूलकर हम भी सबको, मुस्कुराने लगे हैं, अकेले - अकेले ही गुनगुनाने लगे हैं, संभाल के खुद को बदलाव लाने लगे हैं, ये जिंदगी है जिंदगी खुद को समझाने लगे हैं............................ लेखक :- दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia #अब तो, अपने बेगाने नज़र आने लगे हैं, बातों से अपनी वो कहर ढाने लगे हैं, हांथों को अपने हटाने लगे हैं, कह ना दूँ कुछ, दूर हमसे वो जाने लगे ह
Mr.Poet
तुमने न देर की हसरत ए आशियाँ को ढाने में हमको जमाने लग गए थे इक आशियाँ बनाने में।। Black_Day 😓😓 तुमने न देर की हसरत ए आशियाँ को ढाने में हमको जमाने लग गए थे इक आशियाँ बनाने में।। 😓😓😓😓😓😓