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Parasram Arora

देवलोक कीं रूहे #FindingOneself #कविता

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देवलोक मे रहने वाकी दिव्य रूहे
इर्षा करने कगी है धरती की  भटकती हुई
आत्माओ से
क्यिंकि  उन्हे  पृथ्वी के सुख दुख  से मिलने  वाले आनद को  चखने  का अभी तक सौभाग्य  मिला नहीं
देवलोक के  अपार ऐशो आराम के सुख भोगते भोगते अब वे ऊब चूके है
और अगर  ये  स्थिति  आगे भी कायम रही तो
उनकी ऊब खुदकशी मे रूपात्रित हो सकती है
तो तब तक मैं क्यो न करू कोशिश पृथ्वी की
आत्माओं को  ये समझने की कि धरती का
सुख मिश्रित दुख. पीते  रहे  ताकि कभी
ऊब से उनका सामना न हो सके   और  खुदकशी
के लिए कभी मन न बनाना पडे

©Parasram Arora देवलोक कीं  रूहे 

#FindingOneself

नारद

देवलोक में आपका स्वागत है #RajniMeme #न्यूज़

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vishnu prabhakar singh

देवलोक।। #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #Inspiration poetry

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गाँव की धरती
दूर मंदिर की छवि
तुलसी की शीतलता 
नदी के तट पर स्मारक
सहस खिंचती है
विशेष प्रभाव में
यह सहजता
यह विशिष्टता
मूल है
ग्रामीण है। देवलोक।।


#विप्रणु #yqdidi #yqbaba #inspiration #poetry

KHATOLA MUSIC

Motivational indar jeet group

#जीवन दर्शन 🌹 " देवलोक " में अवस्थित उस " कल्पवृक्ष " की मान्यता सही नहीं है , जिसके नीचे बैठकर मनुष्य अपनी आवशकता पूर्ण करता है !.i. j #विचार

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जीवन दर्शन 🌹
" देवलोक " में अवस्थित उस " कल्पवृक्ष " की मान्यता सही नहीं है , जिसके नीचे बैठकर मनुष्य अपनी आवशकता पूर्ण करता है !.i. j

©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹
" देवलोक " में अवस्थित उस " कल्पवृक्ष " की मान्यता सही नहीं है , जिसके नीचे बैठकर मनुष्य अपनी आवशकता पूर्ण करता है !.i. j

Uttam Dixit

(मेनका = देवलोक की सबसे खूबसूरत अप्सरा) (आफ़रीन = खूबसूरत) #नमकीन #जिंदगी #dedicated #हसीन #someone_special #udquotes #udghazals

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तुम जो मिले तो जिंदगी, कितनी हसीन हो गयी,
थी जो बिना नमक के, वो अब नमकीन हो गयी..!!

साँसों पे अपनी मैंने, अब तेरा नाम लिख दिया,
धड़कन भी तुमसे जुड़के, देखो ये रंगीन हो गयी..!!

खुशियाँ ही खुशियाँ मेरे, जीवन में तुम हो लाई,
ग़म की वजह तो खुद ही, अब ग़मगीन हो गयी..!!

आदत तेरी ऐसी लगी, जैसे कि हो तुम जिंदगी,
बाक़ी की सारी आदतें भी, तेरी शौक़ीन हो गयी..!!

छूकर के तुमने मुझको, है मुकम्मल-सा कर दिया,
तेरे आने से ये दुनिया मेरी, और बेहतरीन हो गयी..!!

चेहरा तो अपना देखो, इक ग़जब का ही नूर है,
तेरी खूबसूरती से, मेनका की भी तौहीन हो गयी..!!

कि जिस दिन से तुम्हें मैंने, अपनी कलम बनाया है,
"मतवाला" मेरी कलम भी तबसे, आफ़रीन हो गयी..!! 
(मेनका = देवलोक की सबसे खूबसूरत अप्सरा)
(आफ़रीन = खूबसूरत)

Uttam Dixit

(मेनका = देवलोक की सबसे खूबसूरत अप्सरा) (आफ़रीन = खूबसूरत) #नमकीन #जिंदगी #dedicated #हसीन #someone_special #udquotes #udghazals

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तुम जो मिले तो जिंदगी, कितनी हसीन हो गयी,
थी जो बिना नमक के, वो अब नमकीन हो गयी..!!

साँसों पे अपनी मैंने, अब तेरा नाम लिख दिया,
धड़कन भी तुमसे जुड़के, देखो ये रंगीन हो गयी..!!

खुशियाँ ही खुशियाँ मेरे, जीवन में तुम हो लाई,
ग़म की वजह तो खुद ही, अब ग़मगीन हो गयी..!!

आदत तेरी ऐसी लगी, जैसे कि हो तुम जिंदगी,
बाक़ी की सारी आदतें भी, तेरी शौक़ीन हो गयी..!!

छूकर के तुमने मुझको, है मुकम्मल-सा कर दिया,
तेरे आने से ये दुनिया मेरी, और बेहतरीन हो गयी..!!

चेहरा तो अपना देखो, इक ग़जब का ही नूर है,
तेरी खूबसूरती से, मेनका की भी तौहीन हो गयी..!!

कि जिस दिन से तुम्हें मैंने, अपनी कलम बनाया है,
"मतवाला" मेरी कलम भी तबसे, आफ़रीन हो गयी..!! 
(मेनका = देवलोक की सबसे खूबसूरत अप्सरा)
(आफ़रीन = खूबसूरत)

Dinesh Sharma Dinesh

गंगा पतित पावनी गंगा स्वर्ग से आती है धरा पर भागीरथी हो जाती है लेकिन गंगा यूं ही भागीरथी नहीं होती #कविता

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Dinesh Sharma Dinesh

गंगा पतित पावनी गंगा स्वर्ग से आती है धरा पर भागीरथी हो जाती है लेकिन गंगा यूं ही #Hindi #poem #कविता

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Bazirao Ashish

असित - गिरि - समं स्यात् कज्जलं सिन्धु - पात्रे । सुर - तरुवर - शाखा लेखनी पत्रमुर्वी ॥ लिखति यदि गृहीत्वा #पौराणिककथा

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असित - गिरि - समं   स्यात्   कज्जलं  सिन्धु - पात्रे ।
सुर - तरुवर - शाखा          लेखनी           पत्रमुर्वी ॥
लिखति      यदि      गृहीत्वा      शारदा    सर्वकालं ।
तदपि    तव      गुणानामीश     पारं     न      याति ॥

अर्थ: हे प्रभु (शिव जी)! यदि नीले या काले रङ्ग के समान पर्वतों को सागर रूपी दवात में घोलकर काली स्याही और देवलोक के कल्पवृक्ष की शाखाओं की लेखनी/कलम बनायी जाय/जा सके।
यदि माँ शारदा/सरस्वती स्वयं अनन्तकाल तक आपके गुणों की व्याख्यान लिखती रहें तब भी आपके सम्पूर्ण गुणों का को नहीं लिखा जा सकता। अर्थात् आप आदि व अनन्त हैं।
🙏

©Bazirao Ashish असित - गिरि - समं   स्यात्   कज्जलं  सिन्धु - पात्रे ।
सुर - तरुवर - शाखा          लेखनी           पत्रमुर्वी ॥
लिखति      यदि      गृहीत्वा
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