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Vinod Mishra
Prem
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
नफ़रत होने लगी अब तो आजकल त्योहारों से। अब प्यार नहीं रहा लिखीं है नफ़रत दिवारो पे। जब खुशियां ही अब तो मातम मेंअक्सर छा जाएं । एक दिन राखी बंधवाये और दूजे दिन लड़ाई कर जाएं। अब कलयुग में बहन देवकी और भाई कंस बन जाएं। अब कैसे कोई बहन राखी और दूज का त्यौहार मनाएं। देखते है आजकल अब तो नफरत भरी नज़रों से। रिश्ता प्यार का था भीगता मन दुआओ की बरसात से स्वार्थ से रिश्ते भर गए हैं नज़र अंदाज हमें कार गए हैं रीत यो ही नहीं बनाई होगी बुजुर्गो ने पता होगा उन्हें । नफरत मे रिश्ते बर्बाद होते देखें होगें तो रीत बनाई है कभी बहन भाई के घरतो कभीभाई बहन केघर गया है ये रीतयहनबनाई होती तो पड़तीजरूरत नहीं रिश्तों से कभी बहन रात भर चुप चाप आंसू न बहाई होती। रोने को मन करताबहुत अब कोई नहीं पूछता हाथों से पावन पर्व और पवित्र रिश्ता बनता मन में प्रेम भाव से ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कैप्शन में ✍️चार चुनर मांगी भाई तेरे धन दौलत से एक मांगी भाई तुझसे मेरा कुल बढ़ने की जब बैठी बाजोट पर 😭 दूजी मांगी चुनर जब भानजे भानजी का प
Manjeet
धरती माँ की चुनर धानी है तिरंगा, देश की तरक़्क़ी की निशानी है तिरंगा!! ©Manjeet #IndependenceDay धरती माँ की चुनर धानी है तिरंगा, देश की तरक़्क़ी की निशानी है तिरंगा!! #nojoto #trending #poetry #poem #shayari #manjeetpoo
Mohan Sardarshahari
रंग रंगीली चुनर तेरी लहरों सी लहराये जिन गलियों से तू गुजरे, उधर कइयों का चैन जाये।। तेरे बदन की खुशबू से हवा में मादकता आये मैं बैठूं मेरी मस्ती में, तू मेरा ईमान डिगाये नाक तेरे बदन की खुशबू से मुझको लूटे जाये नाक अब नाक ना रहा ,यह तेरा दास बनता जाये। मेरी आंखों के दो झरोखों से दिल में उतरी जाये शामत तो तब आये, जब तू जल्फें झटकाये लगता तू जुल्फें नहीं, मेरे दिल को झटके लगाये धक्क सा मैं रह जाता हूं, जब तू गायब हो जाये। सावन की हरियाली में तू धीरे से गाये तेरी मधुर वाणी बसंत की याद दिलाये बन पपीहा मैं पीछे उड़ूं ,जरा लाज ना आये तेरी लाल चुनरी मुझे , 'बुल फाइटिंग' का 'बुल' बनाये। घूंघरू तेरी पायल के, कानों में राग जगाये ज्यों ज्यों पैरों की आहट तेज हो , त्यों त्यों कान मुझे चिढाये संगीत पर जो मोहित ना हो, उसका दिल कहां दिल कहलाये।। ©Mohan Sardarshahari # रंग रंगीली चुनर
Mili Saha
चारू चंद्र की चंचल किरणें चारु चंँद्र की चंचल किरणें, स्वर्ण सी आभा निश्छल किरणें, शनै:-शनै: स्नेह स्पर्श कर वसुंधरा को, विस्तृत स्वरूप दर्शाती हैं ये स्वच्छंद किरणें। रात की चुनर से छन कर आती, तम में निखरती उज्जवल सी लगती, चहुँओर बिखेरकर स्वर्ण सी नर्म चांँदनी, कल-कल बहती सरिता के जल को है छूती। चंँद्र संग इठलाती और बलखाती, कभी शर्माती हुई वो मंद-मंद मुस्काती, स्याह अंँधेरी रात में देखकर चंँद्र की झलक, प्रीत रंग में रंग कर फूलों सी खिल-खिल जाती। कभी तरु कभी कुसुम का श्रृंगार, कभी बन ये रत्नगर्भा के गले का हार, पवन की ताल पर नृत्य मुद्रा में सुसज्जित, अपना संपूर्ण सौंदर्य यह प्रकृति में बिखेर देती। कभी ले जाए यह यादों के पार, कभी खोले है किसी के दिल का द्वार, देख चंचल किरणों की ये मनोरम चंचलता, चंद्र भी स्वप्न तरी में विराजित होकर करे विहार। लेखक के कलम की कहानी, कवियों के दिल से निकलती वाणी, चारु चंँद्र की चंचल किरणों की आगोश में, कभी कोई नज़्म तो कभी ग़ज़ल बनती सुहानी। किरणों से सजा धरा का कण-कण, देखकर ही आनंद विभोर हो जाता मन, अद्वितीय छटा झलकती चंद्र संग किरणों की, जिसे देखने को किसके व्याकुल नहीं होते नयन। ©Mili Saha चारू चंद्र की चंचल किरणें चारु चंँद्र की चंचल किरणें, स्वर्ण सी आभा निश्छल किरणें, शनै:-शनै: स्नेह स्पर्श कर वसुंधरा को,
Sumit Khanna
लिखा तकदीर का मै खुद से टालूँ कैसे, तुझे दिल से मै अपने निकालूँ कैसे, दिल तड़पता है दिन-रात तेरी याद में, तू ही बता मै इस दिल को सम्भालूँ कैसे। ©Sumit Khanna #phool दिल को संभालू कैसे
एक इबादत
लोगो ने सवाल पूछा... तुम्हारी खुशी - मैं मेरी लाडली तुम्हारी हसी- लाडली के चेहरे की मुस्कान तुम्हारी दुनिया- माँ के बाद सिर्फ़ लाडली तुम्हारा प्यार-लाडली और उसका ख्वाब़ तुम्हारी चाहत-लाडली और उसकी पसंद की मंजिल तुम्हारा सुकून-सिर्फ़ वो तुम्हारी हिम्मत,हौसला और जुनून- सिर्फ़ वो ,सिर्फ वो और सिर्फ़ वो तुम्हारा आत्मविश्वास-लाडली का साथ तुम्हारा गुरूर- उसका सम्मान तुम्हारी हार- उसकी सादगी तुम्हारी जीत- उसके सिर पर चुनर मतलब....मतलब की यही सब कुछ सिर्फ़ वो! लोगो ने सवाल पूछा... तुम्हारी खुशी - मैं मेरी लाडली तुम्हारी हसी- लाडली के चेहरे की मुस्कान तुम्हारी दुनिया- माँ के बाद सिर्फ़ लाडली तुम्ह
Sarita Shreyasi
मातृभूमि की भक्ति हूँ, अपनों की आसक्ति हूँ, कोटि की अभिव्यक्ति हूँ, अभिव्यक्ति की शक्ति हूँ। मैं हिंदी हूँ। #गंगा यमुना की वाणी हूँ, शिक्षा संवाद का पानी हूँ, भारत की चुनर धानी हूँ, राष्ट्रभाषा स्वाभिमानी हूँ। मैं हिंदी हूँ। मातृभूमि की भक्ति हूँ,
Sarita Shreyasi
मातृभूमि की भक्ति हूँ, अपनों की आसक्ति हूँ, कोटि की अभिव्यक्ति हूँ, अभिव्यक्ति की शक्ति हूँ। मैं हिंदी हूँ। #गंगा यमुना की वाणी हूँ, शिक्षा संवाद का पानी हूँ, भारत की चुनर धानी हूँ, राष्ट्रभाषा स्वाभिमानी हूँ। मैं हिंदी हूँ। मातृभूमि की भक्ति हूँ,