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AK__Alfaaz..
था उसका घर, उसके प्रेम के, हृदय की उत्तर दिशा मे, उसकी हथेलियों की रेखाओं से, चार कोस दूर, पलकों की मेड़ से सटे, जहाँ उसके एक किनारे, अश्रु सरोवर मे, खिलते हैं.. उसके, वियोग के नीलकमल, पूष की रात मे, जिन पर गिरी ओस की बूँदें, टिमटिमाती हैं, किसी.. टूटे तारे की भाँति, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #प्रेम_ग्रंथ था उसका घर, उसके प्रेम के, हृदय की उत्तर दिशा मे, उसकी हथेलियों की रेखाओं से,
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read moresubodh kumar
मै इतिहास के किसी छात्र की तरह तुमसे की गई हर इक सेकंड की बात को सहेज कर रखता हूं जैसे रखते है पुरातात्विक विभाग इतिहास के किसी नायाब चीज़ को। मै इतिहास के किसी छात्र की तरह तुमसे की गई हर इक सेकंड की बात को सहेज कर रखता हूं जैसे रखते है पुरातात्विक विभाग
मै इतिहास के किसी छात्र की तरह तुमसे की गई हर इक सेकंड की बात को सहेज कर रखता हूं जैसे रखते है पुरातात्विक विभाग #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqhindi #yqaestheticthoughts
read moreआशीष गौड़
हर युग के अवशेषों से यह प्रश्न पूछना! क्या द्वंदों के प्रतिफल से भी जीत मिला करती है! कुरुवंशज की नीति वहां पर मौन खड़ी थी, भरी सभा में जब सन्नाटे चीख रहे थे! बंधित लाये रंगमंच पर रजस्वला को, दुःशासन की जांघें व्याकुल दीख रहे थे! अपितु हमारा प्रश्न दूसरा है इति से अब, विध्वंसों में तुम क्यों दक्ष बने फिरते हो! प्रश्नों के उत्तर से चिन्तित होने वालों, अंधियारों में फिर क्यों यक्ष बने फिरते हो! सब ग्रंथों के उपसंहार में, नारी क्यों भयभीत मिला करती है! हर युग के अवशेषों से यह प्रश्न पूछना, क्या द्वंदों के प्रतिफल से भी जीत मिला करती है! महीपति तब भी चक्षुविहीन हुआ करते थे, द्वापर में भी छल से काफी काम हुए थे, आलौकिक थी त्रेता की वह प्रेम कहानी, तुलसी की रामायण में संग्राम हुए थे! योजन नापे रघुनंदन ने सेतु बनाकर, संयोजकता के बल पर वह सफल हुए थे! दम्भ में उलझे नृपों को मही में पिघलाकर, पर महिजा को पाने में वह विफल हुए थे! आसक्ति हमारी माता सिय से पूछ रही है! अग्निपरीक्षा देकर भी क्या प्रीत मिला करती है! हर युग के अवशेषों से यह प्रश्न पूछना, क्या द्वंदों के प्रतिफल से भी जीत मिला करती है! आशीष गौड़ हर युग के अवशेषों से यह प्रश्न पूछना! क्या द्वंदों के प्रतिफल से भी जीत मिला करती है! कुरुवंशज की नीति वहां पर मौन खड़ी थी, भरी सभा में जब स
हर युग के अवशेषों से यह प्रश्न पूछना! क्या द्वंदों के प्रतिफल से भी जीत मिला करती है! कुरुवंशज की नीति वहां पर मौन खड़ी थी, भरी सभा में जब स
read moreरजनीश "स्वच्छंद"
कुछ शेष नहीं है कहने को। अवशेषों का ढेर लगा, कुछ शेष नहीं है कहने को। स्वांग रचाया इतना मैंने, कुछ शेष नहीं है ढकने को। बर्बख्त मैं खुद को छलता हूँ, आवारा सा हुआ मैं चलता हूँ। कोई सोच नहीं, दृष्टि भी नहीं, बस उगता और मैं ढलता हूँ। जीवन पथ पर चला नहीं मैं, बस पांव हवा में चलाता हूँ। जो जमीं टटोली कल मैने, त्रिशंकु बन लटका पाता हूँ। कब हुआ सवेरा, शाम ढली, मुर्गा भी नहीं कि बांग दूँ मैं। भवसागर में गोते खाता हूं। हनुमान नहीं कि लांघ दूँ मैं। समरथ माने बैठा निज को, सत्य असत्य का ज्ञान नहीं। मैं ही दानव, था दैव भी मैं, निज का कतई था भान नहीं। आज अकेला बैठा हूँ, कुछ शेष नहीं है छलने को। अवशेषों का ढेर लगा, कुछ शेष नहीं है कहने को। केवट मुझको दिखा नहीं, जो खेकर पार लगा पाता। मुख पर जल की दे दो बूंदे, मुझ सोये को जगा पाता। सबरी भी नहीं थी बैर लिए, मैं जूठन के मानो योग्य नहीं। हनुमान सा तारणहार मिले, जुट पाया ऐसा संयोग नहीं। जिस पत्थर पर नाम लिखा, घुटने भर पानी में डूब गया। किस आस कदम बढाऊँ मैं, भगवन भी मेरा है रुठ गया। नीर भरी आंखों से मैं अब, अपने पदचिन्ह मिटाता हूँ। ले लेखनी निज बिम्ब बना, दर्पण मैं सबको दिखाता हूँ। अश्रुधार भी सूख गए, कुछ शेष नहीं है बहने को। अवशेषों का ढेर लगा, कुछ शेष नहीं है कहने को। ©रजनीश "स्वछंद" कुछ शेष नहीं है कहने को। अवशेषों का ढेर लगा, कुछ शेष नहीं है कहने को। स्वांग रचाया इतना मैंने, कुछ शेष नहीं है ढकने को। बर्बख्त मैं खुद को
Bhupendra Rawat
शांति स्थापित करने के लिए लड़े गए युद्ध खून बहाने के लिए पढ़ाए गए नवीनतम पाठ ''अहिंसा परमो धर्म'' को हटाकर छाप दिए गए, नए धर्मग्रंथ और लिख दिया गया ''हिंसा परमो धर्म'' छोड़ दिये गए मानव जाति के अवशेष अवशेषों को सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए संग्राहालय हथियारों की उपज के लिए बनाए गए कारख़ाने कारखानों में एक ओर भरा गया लाल स्याह मज़दूर दूसरी ओर से निकाला गया आमजन का रक्त भुपेंद्र रावत 27।02।2022 ©Bhupendra Rawat शांति स्थापित करने के लिए लड़े गए युद्ध खून बहाने के लिए पढ़ाए गए नवीनतम पाठ ''अहिंसा परमो धर्म'' को हटाकर छाप दिए गए, नए धर्मग्रंथ और लिख द
Swarima Tewari
कितने आँसू हैं जो लड़के पी गए कितनी बातें हैं जो लड़कियाँ बोली नहीं "आँसू लड़कियों की भाषा है और बोली लड़कों की" ये कहकर कितने पुरुषों के आँसू स्त्रियों की आँखों से बहाए गए कितनी बातें स्त्रियों की पुरुषों के ज़ुबाँ से सुनी गई बाँधा गया है सदियों से दोनों को भाषायों में अगर बोली स्त्री की भाषा नहीं थी तो उसकी ज़ुबाँ का होना कुदरत का मज़ाक रहा होगा अगर आँसू की भाषा केवल स्त्री जानती है तो पुरुषों का आँखों के साथ जन्म लेना एक संयोग मात्र . हमको पढ़ाया गया केवल शरीर का विज्ञान भाषा विज्ञान जला दिया गया फिर बचे अवशेषों ने पोंछ दिये आँसू और काट दी ज़ुबाँ! कितने आँसू हैं जो लड़के पी गए कितनी बातें हैं जो लड़कियाँ बोली नहीं "आँसू लड़कियों की भाषा है और बोली लड़कों की" ये कहकर कितने पुरुषों के आँसू स
कितने आँसू हैं जो लड़के पी गए कितनी बातें हैं जो लड़कियाँ बोली नहीं "आँसू लड़कियों की भाषा है और बोली लड़कों की" ये कहकर कितने पुरुषों के आँसू स #स्त्री #hindiquotes #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqdidihindi
read moreSunita D Prasad
पूर्व में घटित त्रासदियों से सबक लेने से अधिक आवश्यक है.. प्रेम को समझना, सहेजना और उसको सँवारना। ताकि भावी पीढ़ियों को आवश्यकता ही न पड़े कट्टर धर्म अभिलेखों की अहंकार में होने वाले आपसी संघर्षों/युद्धों का।। --सुनीता डी प्रसाद💐💐 (कैप्शन में पढ़िए) #एक दिन...... एक दिन संग्रहालयों में.... दुर्लभ धर्मग्रंथों, खंडित प्रतिमाओं और सभ्यता के अवशेषों के स्थान पर संग्रहित किए जाएँगे..... वे
#एक दिन...... एक दिन संग्रहालयों में.... दुर्लभ धर्मग्रंथों, खंडित प्रतिमाओं और सभ्यता के अवशेषों के स्थान पर संग्रहित किए जाएँगे..... वे #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo
read moreAK__Alfaaz..
अगहन का महिना, शुरू हो चला, आज, दिन के सारे काम निपटा के, त्रिपता, जा बैठी, दरीचे से झाँकती, गुलाबी सर्दी की, सुनहरी धूप मे, अपनी साँसों के, आसमानी ऊन के लच्छे लिए, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे.. #क्रोशिया अगहन का महिना, शुरू हो चला, आज, दिन के सारे काम निपटा के,
#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे.. #क्रोशिया अगहन का महिना, शुरू हो चला, आज, दिन के सारे काम निपटा के, #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes
read moreAnita Saini
तुम जानते हो ना जीर्णोद्धार हो जाता है हर ऐतिहासिक जीर्ण शीर्ण स्तंभ या किले द्वार और राजप्रासाद आदि का। होते देखा होगा ना उनका नवीनीकरण! भूतकाल की त्रुटियों का कभी जीर्णोद्धार नहीं कर सकते! शेष रह जाती हैं, त्रुटियाँ भग्नावशेष होती हैं भूतकाल की! जीर्ण-शीर्ण स्मृतियाँ! शेष रहती हैं ! उनके कुछ छोर भग्नावशेष के रूप में वर्तमान के सिरे से बँधे रह जाते हैं! तुम जानते हो ना जीर्णोद्धार हो जाता है हर ऐतिहासिक जीर्ण शीर्ण स्तंभ या किले द्वार और राजप्रासाद आदि का। होते देखा होगा ना उनका नवीनीकरण!
तुम जानते हो ना जीर्णोद्धार हो जाता है हर ऐतिहासिक जीर्ण शीर्ण स्तंभ या किले द्वार और राजप्रासाद आदि का। होते देखा होगा ना उनका नवीनीकरण! #yqdidi #YourQuoteAndMine #yqrestzone #collabwithrestzone #rzWOTD #rzWOTDभग्नावशेष
read moreRavendra
भारतीय किसान परिषद द्वारा आयोजित की गई किसान गोष्टी रविवार को नवाबगंज विकासखंड के अंतर्गत बाबा परमहंस की कुटी पर एक किसान सभापति का आयोजन #न्यूज़
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