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divyanshu sharma
🙏 प्रभु के सामने जो झुकता है, वह सबको अच्छा लगता है, लेकिन जो सबके सामने झुकता है, वह प्रभु को भी अच्छा लगता है। वैदिक संस्कृति @vedic_snskriti #मेरी_जुबानी_मेरी_कहनी #वैदिक_संस्कृति #divyanshu aachary
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जीवन का अर्थ है समय जो जीवन से प्यार करते हैं वे आलस्य में समय न गवाएं @vedic_sanskriti #Time #vedic_sanskriti #divyanshu #वैदिक_संस्कृति
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🙏 प्रभु के सामने जो झुकता है, वह सबको अच्छा लगता है, लेकिन जो सबके सामने झुकता है, वह प्रभु को भी अच्छा लगता है। वैदिक संस्कृति @vedic_snskriti #मेरी_जुबानी_मेरी_कहनी #वैदिक_संस्कृति #divyanshu aachary
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सुनो मुझे लगता था कि आज तक जो कुछ भी तुमसे कहा वो सब निर्रथक ही निकला तुम तो बस बोहि समझना चाहते थे जितना तुमने खुद से समझा हैं ना..................?? @वैदिक संस्कृति #HopeMessage #Divyanshu #वैदिक_संस्कृति #नोजोटो #Nojoto
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read moreवेदों की दिशा
।। ॐ ।। चक्राणासः परीणहं पृथिव्या हिरण्येन मणिना शुम्भमानाः । न हिन्वानासस्तितिरुस्त इन्द्रं परि स्पशो अदधात्सूर्येण ॥ पद पाठ च॒का॒णासः॑ । प॒रि॒नह॑म् । पृ॒थि॒व्याः । हिर॑ण्येन । म॒णिना॑ । शुम्भ॑मानाः । न । हि॒न्वा॒नासः॑ । ति॒ति॒रुः॒ । ते । इन्द्र॑म् । परि॑ । स्पशः॑ । अ॒द॒धा॒त् । सूर्ये॑ण॥ जैसे जिनको सूर्य्य (पर्य्यदधात्) सब ओर से धारण करता है (ते) वे मेघ के अवयव बादल सूर्य के प्रकाश को (स्पशः) बाधनेवाले (पृथिव्याः) पृथिवी को (परीणहम्) चौतर्फी घेरे हुए के समान (चक्राणासः) युद्ध करते हुए (हिरण्येन) प्रकाशरूप (मणिना) मणि से जैसे (सूर्य्येण) सूर्य्य के तेज से (शुम्भमानाः) शोभायमान (हिन्वानासः) सुखों को संपादन करते हुए (इन्द्रम्) सूर्यलोक को (न) नहीं (तितिरुः) उल्लंघन कर सकते हैं वैसे ही सेनाध्यक्ष अपने धार्मिक शूरवीर आदि को शत्रुजन जैसे जीतने को समर्थ न हों वैसा प्रयत्न सब लोग किया करें ॥ Just as those who hold the sun from all sides (te) are the clouds of the cloud, the clouds of the sun (splash), the (earth), the earth (Pariyanham), like the four-sided circle (Chakranas) while fighting (Hiranyen) From light-like (Manina) Mani like (Suryanayana) with the glory of Surya (Shumbhamanah), Shobhayaman (Hinavanas:) Editing the pleasures (Indram) Suryalok (not) (not) (Titiruha) can violate the army in the same way. Everybody should try as enemies do not be able to win. ( ऋग्वेद १.३३.८ ) #ऋग्वेद #वेद #सूर्य #पृथ्वी #वैदिक_विज्ञान
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read moreYuvraj singh Rathore
जिस प्रकार हथौड़ी - छेनी पत्थर पर मारने से पत्थर भी मूर्ति बन जाता उसी प्रकार सही शिक्षा मनुष्य नहीं बल्कि जानवर को भी सभ्य बना देती है ©Yuvraj singh Rathore #वैदिक शिक्षा