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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी दोहरी जिंदगी,उलझा देती है कितनी जिम्मेदारी गले लगा लेती है बोझ परिवार और ऑफिस का बखूबी निभा लेती है नारी ही है जो खुद हर फर्ज कितनी भी कीमत देकर अपना सब कुछ दाँव पर लगा लेती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Problems दोहरी जिंदगी,उलझा देती है #nojotohindi
JAINESH KUMAR ''ज़ानिब''
छत्तीसगढ़ी गीत छोड़ झन जाबे छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे, जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे, जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे तोर बिना जीना का काम के, तोर संग जिनगी रंगीन लगथे तोला देख देख सांस चलथे, तोर बिना मर जाहूं जईसे लगथे छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे, जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे ।। तोर तो बिना जाय पल भी नई कटय न चांद जईसे चेहरा तोर नैना म ही बसय न ।। 2 ।। दिल करे तोला दिन रात देखे जाओं मैं हा देख देख तोला मोर आंखी घलोक नई थकय न ।। तोला देख देख सांस चलथे, तोर बिना मर जाहूं जईसे लगथे छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे, जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे ।। हर ख़ुशी वारों मैं तोर एक मुश्कान म जैनेश कुमार तोला बसाए हे दिलो जान म ।। 2 ।। हिरदे म राखेंव तोला मैं तो अपन जान के छोड़ दिये मोला तैं तो पराया मान के ।। तोला देख देख सांस चलथे, तोर बिना मर जाहूं जईसे लगथे छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे, जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे ।। #छत्तीसगढ़ी_गीत #jainesh_kumar छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे जिनगी ल रोग बनाके झन जाबे छोड़ झन जाबे, दिल तोड़ झन जाबे जिनगी ल रोग बनाके झन जाब
Vibha Katare
दोहरी रीति, दोहरी नीति... दोहरी मति की ही संगति.... दोहरी जीवन मंजरी... आज दोहरी सत्ता सुंदरी... देखकर इतना दोहराव, मन मे उठने लगे दोहरे भाव.. नये युग की कोई दौड़ है या, घोर कलयुग का ठहराव.. भगवानों की कद्र नहीं, हैवान बन रहा आज फरिश्ता... क्या ब्रह्मारचित सृष्टि यही है.. क्या यही यही है मनु-संहिता !! #olddiary #fakeworld #दोहरी
Rupesh Patel
मोर सुरता म भइया दुख झन पार सुरर सुरर झन दाई रोवै हाय !
Naveen Mahajan
'मेरी कविता' हर कविता दो बार है बनती एक लोगों की, एक तेरी दोनों का मज़मून है तू पर बात है किसकी? बस मेरी। #NaveenMahajan दोहरी कविता #NaveenMahajan #TumBinIshqNahi
Sita Negi
यूं तो पूजा जाता है मुझे साल के कई महीनों ,दिनों में देवी बनकर प्रतिमा रख दी जाती हैं घरों में ,लक्ष्मी और सीता का रूप भी मै हूं ये बताया भी जाता है हमें सीता जैसा चरित्रवान बनने का उदाहरण भी दिया जाता हैं हम ,कितनी दोहरी मानसिकता हैं ना लोगो की इस कलयुग में भी वही त्रेतायुग वाली सीता को देवी स्वरूप पूजा जाता हैं। ©Sita Negi दोहरी मानसिकता वाला समाज
Naveen Mahajan
'तेरी कविता' हर कविता दो बार है बनती एक लोगों की, एक मेरी कविता दो हैं, श्रोता दो पर बात है किसकी? बस तेरी। #NaveenMahajan दोहरी कविता #NaveenMahajan #TumBinIshqNahi