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vipin morya
Secrets वो आज भी रोती होगी जब किसी ओर की बाहों में सोती होगी।। याद पिया की
Shishpal Chauhan
आई सुहानी हरियाली तीज, बारिश में तन मेरा गया भीग। हृदय तरह-तरह के हिलोरे खाता है, त्योहार बीते हुए दोनों की याद दिलाता है। मैं हूं अलबेली नार, मेरे पिया गए हैं उसे पार। अकेले न दिन कटता है न रात, कौन मन को बहलाए कौन करे प्यार की बात ? मेघों की घर गर्जना, दिल में दर्द दिए जाए सजना। तेरे बिन बेकार सजना संवरना, दिल का तेज हो गया है धड़कना। जिस प्रकार धरती बिन पानी प्यासी, मैं भी हूं तेरी दीदार की प्यासी। मैं हूं तेरे चरणों की दासी, अकेले में तुझे याद करके चेहरे पर छा जाती है उदासी। आंखों में तस्वीर आपकी बसी है, क्या करूं जान आपात में फंसी है। आपको याद करके आंखों से अश्रु बहते हैं, जुदाई का दर्द बहुत हम सहते हैं।। ©Shishpal Chauhan # याद पिया की आए
RJ ATHAR
उदास कर देती है, हर रोज़, ये शाम मुझे.... ऐसा लगता है, भूल रहा है कोई, मुझे रफ़्ता रफ़्ता..... ©RJ ATHAR याद पिया की आये.. ये दुख सहा ना जाये....
Anita Saini
तन मन में अगन लगावे। निर्लज्ज हुए बदरा बिदेसी।। कारी रातों में झमाझम होवे। ज्यूँ लग गयी रुत चौमासी।। मोहे याद पिया की तड़पावे। मोरे निर्मोही पिया भये परदेसी।। तन मन में अगन लगावे। निर्लज्ज हुए बदरा बिदेसी।। कारी रातों में झमाझम होवे। ज्यूँ लग गयी रुत चौमासी।। मोहे याद पिया की तड़पावे। मोरे निर्मो
Sonia Miglani
इतनी मस्त चली पुरबाई। उसपर याद पिया की आई। अँगड़ाई कुछ महक गई तो, कुछ मत कहना कुछ मत कहना------ नई नवेली साँस सुहागिन पग धरती जैसे गजगामिन जागी ऐसी प्यास अभागिन पनघट जान लगी पनिहारिन ऐसे में सर से गर चुनरी सरक गई तो कुछ मत कहना यौवन तक ले आया सावन यौवन में पुलकित स्पंदन देह हुई है कुन्दन चन्दन सारी सृष्टि में अभिनन्दन ऐसे में दर्पण की दृष्टि बहक गई तो कुछ मत कहना गीत ग़ज़ल या कोई रुबाई तुलसी की अदभुत चौपाई मैं जब शब्द शब्द इतराई कलियों ने पहिनी तरुणाई तरुणाई में कोई कली गर चटक गई तो कुछ मत कहना माटी की है कौन सहेली कितनों की संगत है झेली फिर भी इतनी रही अकेली माटी ही माटी से खेली पर इसकी तन्हाई कहीं से दरक गई तो कुछ मत कहना ख़ामोशी सन्नाटे चुपचुप खिड़की सब दरवाज़े चुपचुप नैनों के अंगारे चुपचुप गीत मिलन के सारे चुपचुप ऐसे में साँसों की सरगम दहक गई तो कुछ मत कहना ऐसा पहली बार हुआ है पहला पहला प्यार हुआ है तन्हाई पर बार हुआ है जब सोलह सिंगार हुआ है ऐसे में सोनम की चूड़ी खनक गई तो कुछ मत कहना इतनी मस्त चली पुरबाई। उसपर याद पिया की आई। अँगड़ाई कुछ महक गई तो, कुछ मत कहना कुछ मत कहना------ नई नवेली साँस सुहागिन पग धरती जैसे
Kamal Kalu Dahiya
शीर्षक :- पियां की याद आना सून भरे इस वक्त में, हर बात तेरी सताती है.. आज मुझे मेरे पिया की बहुत याद आती है..! भरे रंगीन ये हाथ मेरे, पिया के हाथों पले गये.. यूं अकेली छोड़ मुझे, पिया परदेशों चले गये.. हमेशा की तरह ये भोर भी निकल आती है..... बिन साजन के नाम की, ये संध्या भी ढल जाती है.. आज मुझे मेरे पिया की, बहुत याद आती है...! बिन साजन अब न जाने, ये घड़ी कैसे बताउंगी.. आप तो सजणा छोड़ गये, अब खरी किसे सुनाउंगी.. हर छोटी-सी बात तेरी, मुझे बहुत रुलाती है.. आज मुझे मेरे पिया की, बहुत याद आती है...! देख तस्वीर अब पियां की, ये दिन वर्ष-से बह रहे... क्या करुं में बता सजणा, हम तरस के रह रहै..! बिन सजणा आप के, ये घड़ी भी मुझे सताती है.. आज मुझे मेरे पियां की, बहुत याद आती है.....! रचनाकार :- अशोक जांगिड़ पिया की याद आना #peace
Bikrant Kumar Bikko
#OpenPoetry कागा सब तन खैयो चुन चुन खैयो मास, दो नैना मत खैयो जिन्हे पिया मिलन की आस Bikrant kumar पिया मिलन की आस