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Yusufi Media
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Yusufi Media #Yusufi_Media جب قاضی جرم کی سنگینی کی بجائے مجرم کی حیثیت کے مطابق فیصلے کرنے لگے، تو معاشرے کو تباہی سے کوئی نہیں بچا سکتا! जब क़ाज़ी जुर
Peeyush Umarav
मन की शांति ....... #NojotoQuote #jindagi #life #love #ham #busy #khuda #selfmotivation मैं अर्ज करूं क्या तुझसे, मुसाफ़िर ही तो है तू भी, कभी यहां का, कभी वहां का, क़ैद ह
CalmKazi
//सार// कभी ज़मीं पे गिरे ख़ामोश पत्तों से पूछो के वाक़िफ़ थे वो टूटने से पहले हश्र क्या रहेगा आगे ज़िंदगी का? जवाब में खामोशी ही सुनता है ये क़ाज़ी इसका इल्म ना उन्हें है ना हमें के कौनसा मोड़ आख़िरी रहेगा के किस तरफ़ ये वक़्त का साया फिरेगा बस लुका छुपी में दिन निकलता है हवाओं संग थोड़ा गुनगुना लेने से खर्चता है और किसी एक दिन धूपों का गुच्छा गोद में आ पसरता है हर एक ज़िंदगी यूँ ही सिमट के आगे चलती है और मौत के बाद राहगीरों की मिट्टी बनती है बस यही बात है ना सीखने को कहता है ना बूझने को पूछता है दरख़्त बस बिन कहे चक्र का ताना-बाना बुनता है #NaPoWriMo 3/30 Part 6 of गाथा-ए-दरख़्त Click on #GathaEDarakht for more parts. #calmkaziwrites #poetry #yqbaba
VATSA
चलो जला दो फिर से, या दफ़ना दो मुझे किसने फिर कुचला? चेहरा तो दिखा दो मुझे बहुत बार मरा हूँ, आजतक क़ातिल ना मिला बहुत सी राहें मिली, बस एक साहिल ना मिला सब वक़्त गंवा दिया बस मुझे परखने में दोस्त बहुत हैं मेरे इस शहरी महक़मे में बहुत ज़ख़्म मिले, पर कोई बिस्मिल ना मिला बहुत सी राहें मिली, बस एक साहिल ना मिला आँख मूँद कर, अंधेरे में ख़ंजर चलाते हैं अँसूँ देख ना लूँ उनके, वो मुस्कुराते हैं सब क़ाज़ी मिले मुझे, मुझसा जाहिल ना मिला बहुत सी राहें मिली, बस एक साहिल ना मिला "वत्स" ख़ुद अपना क़ातिल चुनना चाहता है ये मुंसिफ़ मेरे लब से, तेरा नाम सुनना चाहता है मौत का इल्ज़ाम दूँ, इसके भी क़ाबिल ना मिला बहुत सी राहें मिली, बस एक साहिल ना मिला #मरणोपरांत #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqbaba #hindipoem #urdupoetry चलो जला दो फिर से, या दफ़ना दो मुझे किसने फिर कुचला? चेहरा तो दि
OMG INDIA WORLD
ख़ुद बिखर कर उनको संवारा है हमने वक़्त गवाह है तारीखों से पूछलो जीती हुई बाज़ियों को भी हारा है हमने फ़रिश्ते खामोश है तो ख़ुदा से पूछलो मेरी ज़िद्द के आगे टिक पाता इतनी रक़ीब की औकात न थी मैं झुका था अपनी मोहब्बत की खातिर मोहब्बत ग़वाह है, मेरे महबूब से पूछलो उसके कुबूल बोल देने से निकाह हो जाता है तो मुझे उसने तुमसे पहले कुबूल कर लिया था ये सेहरा उतार दो तुम्हारा निक़ाह जायज़ नहीं यक़ीन नहीं है तो जाओ किसी क़ाज़ी से पूछलो महज़ हासिल कर लेना ही मोहब्बत होती तो रांझे मजनू को ज़माना याद न करता मोहब्बत सच्ची हो तो दर्द लाज़मी है। इस बात का इल्म नहीं तो शायरो से पूछो खुशकिस्मत है जो समझते नहीं कलाम मेरा होना पड़ता है बर्बाद मायने जानने के लिए थोड़ी कोशिश तो करो अल्फाज़ो को समझने की समझ न आये तो किसी बर्बाद आशिक़ से पूछ लो ©OMG INDIA WORLD ख़ुद बिखर कर उनको संवारा है हमने वक़्त गवाह है तारीखों से पूछलो जीती हुई बाज़ियों को भी हारा है हमने फ़रिश्ते खामोश है तो ख़ुदा से पूछलो मे
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
आए थे तेरे घर में एक मेहमान से हम *मंसूब हो सके ना तेरे मेजबान से हम//१ वो घर था अंकरीब गुजिश्ता बरस *बेजार लौट आए इस दफा तेरे मकान से हम//२ यूँ बे-रुख़ी से पेश न आ अहल-ए-दिल के साथ, उठ कर चले न जाएँ कहीं,तेरे इस जहान से हम//३ ये तेरी*सरकशी असल में जुल्म है*मजलूम पर,करते है हिफाजत अपने इमान की यूं ना चले जाए कहीं ईमान से हम//४ मिलते हैं रोज़ जीस्ते उम्र से पयामें-गम के अपनो से ऐसे करीब है जैसे हासिले*कूर्ब*ज़िंदान से हम//५ "शमा"अदब के*मोहतसिब लाइल्म है शायद, क्या काम ले रहे हैं*तग़ज़्ज़ुले फ़न हमजुबान से हम//६ * ©shamawritesBebaak_ #Nojotostreak आए थे तेरे घर में एक मेहमान से हम*मंसूब हो सके ना तेरे मेजबान से हम//१ *जान पहचान वो घर था अंकरीब*गुजिश्ता बरस*बेजार लौट आए इ