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Sagar Joshi
Vijay Tyagi
होता है अपना जिस पर हक जानिब़ करते हैं उसी पर शक़ फितरत नहीं,ये मजबूरी इंसा होने की वरना होते खुदा हम भी, बेशक... बस ऐसे ही आप भी कोशिश करिए Open for collab #मुहावरे #दूध #अदाएं #yqdidi #yqbhaijaan #yqhindiurdu #शक़# YourQuoteAndMine #YourQuoteAndMine
Navonmeshi_Raaj
#दोहा-१ जब तू अटारी आवै, मनवा खूब हर्षाय| नैन मोह लियो गोरी, निंदिया गयीं भुलाय| ✍-राजकुमारी मात्रिक अर्धसम छंद "दोहा".....चार चरण...विषम चरणों(१,३)में १३-१३मात्राएँ, सम चरणों(२,४)में ११-११ मात्राएँ,सम चरणों के अंत में गुरु और लघु हो
Suman Rakesh Shah
रिश्ता इतना गहरा हमारा हो गया है कि तेरे संग ये जीवन सफ़र सुहाना हो गया है नहीं चाहा था ऐसा हो गया है उसे देखे ज़माना हो गया है.. "कृष्ण कुमार तूर" बह्र है। मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन, फ़ऊलुन 1222 / 1222 / 122 नहीं चाहा/ थ
Gumnaam
देखो वक़्त का भी अफसाना हो गया जिस चेहरे पर गुरुर था उन्हें आज वही कितना पुराना हो गया #hate love नहीं चाहा था ऐसा हो गया है उसे देखे ज़माना हो गया है.. "कृष्ण कुमार तूर" बह्र है। मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन, फ़ऊलुन 1222 / 1222 / 122 नहीं चाहा/ थ
Vikas Sharma Shivaaya'
*आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं....* कभी आपने किसी के घर -ऑफिस में जाते ही वहाँ एक अजीब सी नकारात्मकता और घुटन महसूस की है ? या किसी के घर -ऑफिस में जाते ही एकदम से सुकून औऱ सकारात्मकता महसूस की है ? जब हम कुछ ऐसे घरों में जाते हैं जहां जाते ही तुरंत वापस आने का मन होने लगता है- एक अलग तरह का खोखलापन और नेगेटिविटी उन घरों में महसूस होती है- साफ समझ आता है कि उन घरों में रोज-रोज की कलह और लड़ाई- झगड़े और चुगली ,निंदा आदि की जाती है-परिवार में सामंजस्य और प्रेम की कमी है- वहाँ कुछ पलों में ही हमें अजीब सी बेचैनी होने लगती है और हम जल्दी ही वहाँ से वापस आ जाता हैं ..., *वहीं कुछ घर इतने खिलखिलाते और प्रफुल्लित महसूस होते हैं कि वहाँ घंटों बैठकर भी हमें वक़्त का पता नहीं चलता ...* ध्यान रखिये...." आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं- घर की दीवारें युगों तक समेट कर रखती हैं सारी सकारात्मकता और नकारात्मकता भी...," *"कोपभवन" का नाम अक्सर हमारी पुरानी कथा-कहानियों में सुनाई देता है - दरअसल कोपभवन पौराणिक कथाओं में बताया गया घर का वो हिस्सा होता था जहां बैठकर लड़ाई-झगड़े और कलह-विवाद आदि सुलझाए जाते थे- उस वक़्त भी हमारे पुरखे सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को अलग-अलग रखने का प्रयास करते थे इसलिए " कोपभवन " जैसी व्यवस्था की जाती थी ताकि सारे घर को नकारात्मक होने से बचाया जाए* *इसलिए आप भी कोशिश कीजिए कि आपका घर "कलह-गृह" या "कोपभवन" बनने से बचा रहे...* घर पर सुंदर तस्वीरें , फूल-पौधे, बगीचे , सुंदर कलात्मक वस्तुएँ आदि आपके घर का श्रृंगार बेशक़ होती हैं... पर आपका घर सांस लेता है आपकी हंसी-ठिठोली से - मस्ती-मज़े से- खिलखिलाहट से और बच्चों की शरारतों से -बुजुर्गों की संतुष्टि से -घर की स्त्रियों के सम्मान से और पुरुषों के सामर्थ्य से , तो इन्हें भी सहेजकर-सजाकर अपने घर की दीवारों को स्वस्थ रखिये। *" आपका घर सब सुनता है और सब कहता भी है... "* इसलिए यदि आप अपने घर को सदा दीवाली सा रोशन बनाये रखना चाहते हैं तो ग्रह कलह और , निंदा , विवादों आदि को टालिये..., *"यदि आपके घर का वातावरण स्वस्थ्य और प्रफुल्लित होगा तो उसमें रहने वाले लोग भी स्वस्थ और प्रफुल्लित रहेंगे...!* विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 813 से 823 नाम 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल 812 अनिलः जो इल (प्रेरणा करने वाला) से रहित हैं 813 अमृतांशः अमृत का भोग करने वाले हैं 814 अमृतवपुः जिनका शरीर मरण से रहित है 815 सर्वज्ञः जो सब कुछ जानते हैं 816 सर्वतोमुखः सब ओर नेत्र, शिर और मुख वाले हैं 817 सुलभः केवल समर्पित भक्ति से सुखपूर्वक मिल जाने वाले हैं 818 सुव्रतः जो सुन्दर व्रत(भोजन) करते हैं 819 सिद्धः जिनकी सिद्धि दूसरे के अधीन नहीं है 820 शत्रुजित् देवताओं के शत्रुओं को जीतने वाले हैं 821 शत्रुतापनः देवताओं के शत्रुओं को तपानेवाले हैं 822 न्यग्रोधः जो नीचे की ओर उगते हैं और सबके ऊपर विराजमान हैं 823 उदुम्बरः अम्बर से भी ऊपर हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' *आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं....* कभी आपने किसी के घर -ऑफिस में जाते ही वहाँ एक अजीब सी नकारात्मकता और घुटन महसूस की ह
Shashi Bhushan Mishra
आख़िरी कोशिश भी नाकाम हुई, एक उम्र थी वो भी तमाम हुई, दिन ढ़ल गया पता न चला, अभी तो सुबह थी अब शाम हुई, ज़िन्दगी मारती रही पल-पल, मौत तो बेवज़ह बदनाम हुई, हाल-ए-दिल लिखा जिस पर, वो चिट्ठियां फक़त गुमनाम हुई, कभी रहते थे दर-ओ-बाम में जो, उनकी हस्ती भी अब बेनाम हुई, बात जो दिल ने छुपाई अबतक, हटा पर्दा तो सर-ए-आम हुई, ज़िस्म रखते थे छुपाकर 'गुंजन', नुमाईश अबकी खुले-'आम हुई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #आख़िरी कोशिश भी#
@nil J@in R@J
*''इंसान ने वक़्त से पूछा...* *"मै हार क्यूं जाता हूँ ?"* *वक़्त ने कहा..* *धूप हो या छाँव हो,* *काली रात हो या बरसात हो,* *चाहे कितने भी बुरे हालात हो,* *मै हर वक़्त चलता रहता हूँ,* *इसीलिये मैं जीत जाता हूँ,* *तू भी मेरे साथ चल,* *कभी नहीं हारेगा...........* ##anil jain## #NojotoQuote समय कभी भी हाथ में नहीं आता आप जितनी भी कोशिश करेंगे ना कामयाब होंगे