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Stories related to नज़्म नज़्म सोंग

Poonam

मै चुरा लेना चाहती हूं
उन नज्मों और गजलों में
लिखे एहसासों को
जो बड़े करीने से
किसी ने लिखे है किसी के लिए

मै महसूस करना चाहती हूं
उस इश्क को
जो मुझे हुआ नहीं
पहले कभी किसी से

©Poonam #freebird 
#गजल 
#नज़्म
#poonam_Singh

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित नज़्म #wellwisher_taru poetry Life #nojotohindi #Trending #writer #कवितावाचिका #शायरी #Likho

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बहर हाल= हर स्थिति 
उठो गिरो बहर हाल जैसे भी रहो किरदार ए रिश्ता भले
कितना भी सगा कोई भी हो उम्मीद किसी से भी मत करना 

ये जो सहारे की बैसाखियां होती है न एक दिन 
बदलते वक़्त के साथ इंसान को अकेला कर देती है,

तरुणा शर्मा तरु राधे राधे 🙏 🥀 🥀 
    
                       तरु की शायरियां 🥀🥀

©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित नज़्म
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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

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यकताई =लाजवाब 
कि जब बन गई यादें ही यकताई ए वजह 
फिर ज़िन्दगी से कैसा शिक़वा करना तरु

     दौर ए तकलीफ़ में मिले यकताई ए सबक़ इतने
    रिश्तों से अब दूरी बनाना तरु आसां इतना हुआ 

तरुणा शर्मा तरु राधे राधे 🙏🥀
                   
                तरु की शायरियां 🥀🥀

©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित नज़्म
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#Life #nojotohindi #Trending #writer #कवितावाचिका #शायरी 
#Likho

संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित नज़्म #wellwisher_taru poetry Life #nojotohindi #Trending #writer #कवितावाचिका #शायरी #City

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White  सरशार (नज़्म)= उन्मत्त 
 हर शख़्स का अक़्स फ़रेब से सरशार सा लगता है 
यहां हर शख़्स का अक़्स  नावाकफ़ बेइंतहा बड़ा लगता है,

फ़रेबियत की बस्ती की ईमारत ऊंची बड़ी दिखती है 
ज़ज्बातों को तलाशना ईमारतों में ईमानदारी का 
मुश्किल बड़ा लगता है,

दिन ब दिन बढ़ रही है बस्ती फ़रेबियत की ऐसी 
बचा कर खुद को तरु रखना मुश्किल बड़ा लगता है,

गुरुर ए सरशार है दिखता हर शख़्स का अक़्स तरु 
कौन है अपना तलाशना मुश्किल बड़ा लगता है,

तरुणा शर्मा तरु राधे राधे 🙏 🥀 🥀

©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित नज़्म
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#Life #nojotohindi #Trending #writer #कवितावाचिका #शायरी 
#City

Parul Sharma

वो पुराने खत जो कभी तुझ तक पहुंचे ही नहीं आज उन्हीं नज़्मों पर खूब वाहवाही मिलती है तुझे आह नहीं महसूस हुई तो क्या इस वाहवाही में किसी

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset  वो पुराने खत
कभी तुझ तक पहुंचे ही नहीं 
आज उन्हीं नज़्मों पर
खूब वाहवाही मिलती है 
तुझे आह नहीं महसूस हुई तो क्या 
 इस वाहवाही में 
किसी ना किसी की
आह दब जाती है वो बटोर लेता है 
अपने दर्द इन शब्दों के गागर में 
अगर किसी का भी दिल हल्का हो जाय 
दर्द घट जाये तो रचना पूर्ण है
इस गागर में सागर 
प्रेमिका व प्रेमी के प्रेम की अभिव्यक्ति है
जो नज़्में लिखी जाती है
अपने प्रेमी या प्रेमिका का के लिए 
जो सिर्फ एकतरफा हो दो तरफा भी हो
समझे नहीं जाते या समझे भी जाते हो
दफन तो नहीं है जाते
वो हो जाते हैं अमर कवि 
और कवि की रचना की तरह
तुमने जिन्हें जाना नहीं या 
थे अनभिज्ञ या जानबूझ कर अनजान थे
वो मेरे पुराने प्रेम पत्र 
जो पहुंचे नहीं तेरे दिल तक 
वन कर नज़्म अमर हो रहे हैं 
हर किसी के दिल में जगह बना के
किसी फिल्मी गाने की तरह
गायें जाते हैं गायें जायेंगे 
क्योंकि वो प्रेम पत्र है 
सब अब बस वो प्रेम पत्र है 
गुमनाम प्रेमिका के प्रेमी के लिए 
गुमनाम प्रेमी के प्रेमिका के लिए 
अब बस वाकई वो प्रेम पत्र ही है 
फिल्मी गानों की तरह जिन्हें 
कोई भी गा सकता है 
अपने प्रेमी प्रेमिका के लिए

©Parul Sharma वो पुराने खत जो
कभी तुझ तक पहुंचे ही नहीं 
आज उन्हीं नज़्मों पर
खूब वाहवाही मिलती है 
तुझे आह नहीं महसूस हुई तो क्या 
 इस वाहवाही में 
किसी

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, व

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इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत,
फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी।

ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया,
वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी।

चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने,
ये अमानत भी तो थी जान से प्यारी अपनी।

कौन समझेगा ये अफ़साना-ए-ग़म का मंज़र,
जब भी रोए हैं तो बस याद थी जवानी अपनी।

जिनसे उम्मीद थी वो दूर नज़र आए हमें,
छोड़ बैठे हैं वही राहगुज़ारी अपनी।

हमने चाहा था जिसे, उसने भुला डाला हमें,
और दुनिया से छुपा ली नज़्म सारी अपनी।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत,
फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी।

ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया,
व

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी, नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं। चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है, जो समझ सके, वो ही

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White बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी,
नज़्म जो दिल से निकले गाता जरूर हूं।

चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है,
जो समझ सके, वो ही सुनता जरूर हूं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
बात कड़वी हो, न लगे किसी को अच्छी,
नज़्म जो दिल से निकले, गाता जरूर हूं।

चुप रहकर भी मैंने बहुत कुछ कहा है,
जो समझ सके, वो ही

Madhur Kumar

सोंग

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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

चिलमन=पर्दे ख़लिश=शिकायत राफ़्ता= संबंधित दरमियां ए साहिल= मझधा, मुकद्दर(भाग्य) स्वलिखित गज़ल शीर्षक समंदर आंखों का विधा गज़ल भाव वास्त

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