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Saheba
Penman
ना कोई ऐसी ऋतु है कि तुझे भुला सके हम, तेरा नाम के बिना हर मौसम कैसे बिताए हम। ©Tarun RAJPUt #ऋतु
Shivam Choudhary
कोई ऋतू तो होगी जिसमे प्यार की सोंधी सोंधी खुशबू होगी कोई मौसम तो होगा जिसमे मोहब्बत का इजहार होगा आखिर कब तक रोकूं मैं खुद को कोई रूह तो होगी जिसे मुझसे प्यार होगा ©Shivam Choudhary #ऋतु
teri mohabat
तरस जाएंगी आंखें आपकी एक तन्हाई सी रह जाएगी थोड़ी तन्हाई थी, थोड़ी तन्हाई है थोड़ी तन्हाई सी रह जाएगी हो जाती अगर किसी से यारी हो जाती अगर किसी से यारी ... तो यादों में गहराई सी रह जाएगी मांगी ना खुदाई किसी से मांगा ना कुछ भी, रहेगा कुछ भी नहीं इस , दिल में रुसवाई सी रह जाएगी आयेंगे कई मौसम, पर ज़िन्दगी में तन्हाई सी रह जाएगी सिख गई हैं बेगैरत आंखें मेरी के शरमाई सी रह जाएंगी तरस जाएंगी आंखें आपकी एक तन्हाई सी रह जाएगी ☝😓#RiTu# #ऋतु
Brandavan Bairagi "krishna"
हर तरफ हरियाली ही हरियाली और ये मौसम सुहाना है। भरे है खेत पानी से तालाबों सा नजारा है। खिले है फूल गुलशन में, बिखरी है खुश्बू भी हवाओं में। आने वाली है शरद ऋतु, अब यही शोर है फिजाओं में। बृन्दावन बैरागी"कृष्णा" ©Brandavan Bairagi "krishna" शरद ऋतु
chahat
,शीत ऋतु शीत ऋतु आती है वर्षा ऋतु के बाद। जब लौटती है,मानसून पवन तब ठंडा हो जाता उत्तर पश्चिमी भाग।। नवंबर से फरवरी। चलती हवा ठंडी सरसरी।। दो भागो में होता इसका विभाजन। लगती शीत ऋतु अति मन भावन।। हल्की गुलाबी जाड़े को कहते हेमंत ऋतु प्यारी। तीखी कड़क ठंड कहलाती शिशिर ऋतु न्यारी।। दोनो ऋतुएं करती हमारी परंपरा को प्रभावित। होती वर्षा कभी हल्की कभी तीव्र संभावित।। शीत ऋतु में रहता हर कोई स्वस्थ। खान पान होता सही सब रहे तंदुरस्त।। सुबह नाश्ते में दूध काजू-बादाम,। सलाद, दूध, घी लेना चाहिए भोजन में उड़द,मलाई, मक्खन, हरी साग-भाजी, गाजर,का सेवन करना चाहिए। औषधियों में च्यवनप्राश, शिलाजीत, मूसली पाक, सेमल आंवला मुरब्बा लाभकारी है। शीत ऋतु बर्फ की चादर सी लगती बढ़ी प्यारी। दिन में धूप,रात में सुंदर रजाई मन को भाती।। ©chahat शीत ऋतु
Parasram Arora
ये ऋतु चक्र के अनुशासित बदलाव कुदरत के करिश्मे है... हर अँधेरे के गर्भ में उजाला ठाठे मार रहा है बसंत का आगमन होते ही पतझड़ी मौसम भी कहा चुप रहता.... वो भी एकदिन आ धमकता है लू का हर थपेड़ा आने वाली शीतल फुहारो का इंतज़ाम कर जाता है और पहाड़ी झरना नदियों कों अस्तित्व दें जाता है कोहरे की हर परत के पीछे सूरज छुपा रहता है धुंध की अपारदर्शिता एक कवि कों नए छण्द मुहैया करा जाती है जबकि छाया की अप्रतिम फांके वृक्षों कों आँख मिचौनी का खेल सिखाने का काम करती है बादलो से घिरे हुए खलिहान वर्षा से लहलहा उठते है और वो फूल काँटों के बीच रहते हुए भी पूराखिल जाने की हिम्मत कर पाता है ©Parasram Arora ऋतु चक्र.....