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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपई /जयकारी छन्द १ मातु-पिता को करूँ प्रणाम । वो ही रघुवर है घनश्याम ।। थाम चले वह मेरा हाथ । और न देता जग में साथ ।। २ जीवन की बस इतनी चाह । पिता दिखाए हमको राह ।। पाकर गुरुवर से मैं ज्ञान । बन जाऊँ मैं भी इंसान ।। ३ जीवन साथी है अनमोल । मीठे प्यारे उसके बोल ।। घर उसके ले गया बरात । पूर्ण किया फिर फेरे सात ।। ४ मानूँ उसकी सारी बात । कभी न मिलता मुझको घात ।। कहती दुनिया मुझे गुलाम । लेकिन जग में होता नाम ।। ०३/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपई /जयकारी छन्द १ मातु-पिता को करूँ प्रणाम । वो ही रघुवर है घनश्याम ।। थाम चले वह मेरा हाथ । और न देता जग में साथ ।। २
Rohit Lala
एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे कहीं भी कुछ खाने को नहीं मिला. काफी देर भटकने के बाद उसे एक अंगूर का बगीचा दिखाई दिया. वह बगीचे में घुसी ताकि कुछ अंगूर खा सके. लेकिन बगीचा ऊंची दीवार से घिरा हुआ था. लोमड़ी बहुत कोशिश की पर दीवार कूद ना सकी. निराश होकर बैठने ही वाली थी कि उसे एक विचार आया. उसने सोचा कि वह बाग के रखवाले को बरगलाकर अंगूर प्राप्त कर लेगी. इसी सोच के साथ लोमड़ी बाग के बाहर जोर जोर से रोने लगी. रखवाले ने आवाज सुनी और बाहर निकल कर देखा. उसने लोमड़ी को रोते हुए देखा तो पूछा कि उसे क्या हुआ है. लोमड़ी ने कहा कि उसे बहुत प्यास लगी है और वह इसी बगीचे में लगे हुए मीठे अंगूरों का रस पीना चाहती है. रखवाला लोमड़ी की बातों में धोखा खा गया. वह यह नहीं समझ पाया कि लोमड़ी चालाकी से उसे बगीचे के अंदर जाने का मौका दिलाने के लिए यह सब कह रही है. वह दीवार का दरवाजा खोलकर लोमड़ी को अंदर ले गया. लोमड़ी अंगूर के बगीचे के अंदर गई और उसने खूब सारे अंगूर खाए. फिर वहां से निकलने का समय आया. जाने से पहले उसने रखवाले को धन्यवाद दिया और कहा कि ये अंगूर बहुत खट्टे हैं. यह सुनकर रखवाला चौंक गया. उसने सोचा कि शायद लोमड़ी की गलती से मीठे अंगूरों की जगह खट्टे अंगूर खा लिए. वह लोमड़ी की बातों में फिर से आ गया और यह देखने के लिए बगीचे के अंदर गया कि असल में अंगूर मीठे हैं या खट्टे. लोमड़ी इसी मौके की ताक में थी. जैसे ही रखवाला अंदर गया लोमड़ी ने दौड़ लगा दी और जंगल की तरफ भाग गई. रखवाला समझ गया कि लोमड़ी ने उसे धोखा दिया है. वह गुस्से से भरा हुआ था लेकिन कर भी कुछ नहीं सकता था. ©Rohit Lala एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे
Chinka Upadhyay
जुबान से मीठे और दिमाग से जहरीले शकुनी से बचे, वरना महाभारत आपकी जिंदगी में भी हो सकता है। ©Chinka Upadhyay जुबान से मीठे लोग 😂😂 #matangiupadhyay #Nojoto #thought
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- जीवन के हर रंग से , कर ले तू पहचान । इच्छा यहाँ अनंत है , करती नित व्वयधान ।।१ जीवन के इस रंग से , होते क्यों हैरान । त्याग नहीं जीवन कभी , संग चले भगवान ।।२ संकट सम्मुख देखकर , हो जाता हैरान । छोड़ चले जीवन यहाँ , पल भर में इंसान ।।३ मुश्किल से मुश्किल घड़ी , हो जाती है दूर । थोड़ा बस संयम रखो , होते क्यों मजबूर ।।४ मत कर जीवन से कभी , तू अब ऐसी चाह । जो फिर कल दीवार बन , रोके तेरी राह ।।५ धर्य-रहित जीवन जियो , संकट जाओ भूल । दें गिरधर आशीष तो , सब बन जाएं फूल ।।६ सत्य सनातन धर्म के , होते मीठे बोल । बतलाते जीवन यहाँ , सुन लो है अनमोल ।।७ जीव-जन्तु मानव यहां , सब में भरा कलेश । मृत्युलोक का है यही , सबको ये संदेश ।।८ जाना सबको है उधर , रख ले धीरज आज । अभी तुम्हारे बिन वहाँ , रुका न कोई काज ।।९ जीवन के हर रंग में , कर्म रखोगे याद । ये ही जीवन से तुम्हें , कर देंगे आजाद ।।१० ये जीवन संग्राम है , विजयी होते धीर । मीठी बोली प्रेम की , भरे घाव गंभीर ।। ११ १४/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- जीवन के हर रंग से , कर ले तू पहचान । इच्छा यहाँ अनंत है , करती नित व्वयधान ।।१ जीवन के इस रंग से , होते क्यों हैरान । त्याग नहीं जी
MohiTRocK F44
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल न मुश्किल समझ अब मुलाकात करना । मगर सोच ले दिल तू क्या बात करना ।। बुरा मत समझ तू यहाँ काम कोई । मिले काम जो भी शुरूआत करना ।। न सोचा हुआ है जहाँ में किसी का । तो फिर क्यों खुदा से सवालात करना ।। किसी के लिए मत परेशान होना । खुदा जानता है कहाँ रात करना ।। चले काम जैसे चला ले यहाँ तू । नहीं स्वार्थ में तू कभी घात करना ।। सँभल कर रहो लोग मीठे बहुत हैं । बयाँ उनसे दिल के न जज़्बात करना ।। प्रखर चाहते हो अगर तुम सिया को । नहीं दूर उसके ख़यालात करना ।। २८/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल न मुश्किल समझ अब मुलाकात करना । मगर सोच ले दिल तू क्या बात करना ।। बुरा मत समझ तू यहाँ काम कोई । मिले काम जो भी शुरूआत करना ।।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :- कोयल गाती मीठे गीत । संग चलो मेरे मनमीत । तुम बिन सूना यह संसार- प्रीति बिना सब बाते तीत ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- मात्रा भार १५ कोयल गाती मीठे गीत । संग चलो मेरे मनमीत । तुम बिन सूना यह संसार-
Umme Habiba
Umme Habiba