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Dalip Kumar Deep
ख़ौफ ज़दा है हर शख़्स ईमान डगमगाने लगा है लुटतीं हैं रोज़ परियाँ सरे राह फरिश्ते ख़मोश हुये शैतान मुस्कराने लगा है सुबूत माँगने लगा ज़माना जब से वफ़ाओं के मुहोब्बत करने वाला दिल अब घबराने लगा है 'दीप'..✍️ शायर तेरा🌷 ©Dalip Kumar Deep 🧡ख़ौफ ज़दा है हर शख़्स🍁🍂🍂
mustajaab Hasan
खौफ ज़दा है 'हसन' आशियाना इस डर से परिंदों के पर निकल आय हैं ©Hasan_Sheikh खौफ ज़दा है 'हसन' आशियाना इस डर से परिंदों के पर निकल आय हैं @hasan #BlueEvening
... मोलिका
ये जो चमक उठता है चांद, तुम्हे देखकर इन काली सियाह रातों में, सच बताओ जां... ये तुम्हारी कोई अदा है, या फिर ये चांद भी तुम पर फिदा है...!! क़िंदील :- सितारे, लालटेन, दीप, दीपक, चिराग़, दिया हैरत-ज़दा :- आश्चर्य-चकित #जानाँ #YourQuoteAndMine Collaborating with AARAV
Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
वफा खुलूसो मुहब्बत अदा किरदार देता है, खुदा देने पे आये हुस्न तो भरमार देता है, नहीं कोई नहीं सानी यक़ीनन उस मुसव्विर का, बड़ी हैरत ज़दा वो हिकमत ए फख्खार देता है, सिर्फ_________________________तुम💘 मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, वफा खुलूसो मुहब्बत अदा किरदार देता है, खुदा देने पे आये हुस्न तो भरमार देता है, नहीं कोई नहीं सानी यक़ीनन उस मुसव्विर का, बड़ी हैरत ज़दा वो
Vijaliwala Achal
✓New shayari... ✓सितम ज़दा - हेरान , उत्पीडीत ✓साकी - शराब पिलाने वाली ✓मयखाना - शराबखाना Follow me on Instagram for more.... Username: aa
Shivank Shyamal
सुनो! मुझे तेरी ख़ुमारी और तुझे मेरा नशा होगा। तू रुक ज़रा, ‘तेरा ज़िक्र’ भी अब मेरा पता होगा।। मेरी हसरतों के क़िस्से सुनोगी तो शर्मा जाओगी। तुझे जी भर गले लगाने पर मज़ा ही मज़ा होगा।। जां इतना भी आसान नहीं जुदाई का बोझ उठाना। यार तेरे हिज़रत में तो मौसम भी ग़म ज़दा होगा।। ©Shivank ‘श्यामल’ सुन मुझे तेरी ख़ुमारी है और तुझे मेरा नशा होगा। तू रुक ज़रा, ‘तेरा ज़िक्र’ भी अब मेरा पता होगा।। मेरी हसरतों के क़िस्से सुनोगी तो शर्मा जाओ
Sultan Mohit Bajpai
रेहन–रक़बा–ओ–अफसुर्दा–मकीं,मुफलिस–जदा–कुनबा बहुत ताराज है सुल्तां , मुहब्बत के इलावा भी ©Sultan Mohit Bajpai बहुत ता–राज है सुल्तान😔 .............. रेहन–गिरवी रकबा–भूमि का क्षेत्र फल ओ–और अफसूर्दा –दुखी,बुझा हुआ, खिन्न ,उदास मकीं–मकान में रहने वाले
Sangeeta Patidar
तुझसे ज़्यादा लिया होता गर मैंने नाम ख़ुदा का, कसम ख़ुदा की,मिल गया होता इनाम सदा का। आँसुओं की दास्ताँ, ख़त्म होने का लेती ना नाम, देख के शिद्दत तो घुल गया होता फ़ाम अदा का। निढाल होकर आँसू, तेरे काँधे को क्यों ढूँढ़ता है? जान बदहाली, वह भूल गया होता वाम गदा का। उसी के लिए बहते ये भी जिसे ना फ़िक्र, ना क़द्र, ख़ुद को पाने से,मिल गया होता मक़ाम सदा का। इल्म है हालात का फिर भी बाज़ आता नहीं 'धुन', बरतते एहतियात,सिल होता ज़ख़्म ग़म-ज़दा का। सदा- Call, shout, फ़ाम- Colour, वाम- Debt, गदा- A beggar सदा- हमेशा Rest Zone Competition Poem शीर्षक - आँसुओं की आत्मकथा
Khushi Rahul Mishra
तुम अक्सर रात साथ मेरे होते हो, तकिया बनकर मेरे सिरहाने में। एक अजब अन्दाज़ -ए- सुकून मिलता है, ख़ामोशी में, वीराने में। दिल, महर -ओ- वफ
Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
!! खुदा का शुक्र है मुझ पर खुदा की मेहरबानी है!! !!मेरी आँखों में बाकी आज भी गैरत का पानी है!! !!किसी भी गम ज़दा के गम को अपना गम बना लेना!! !!मेरी अपनी नहीं आदत ये आदत खानदानी है!! !! ये दुनियाँ है यहाँ अच्छे बुरे दोनों ही शामिल हैं!! !! कि दुनियाँ को हमें हमको ये दुनियाँ आजमानी है!! !! तजुर्बे के लिए तुम रू ब रू इक आईना रक्खो!! !! करो फिर फैसला तोहमत हमें किसपे लगानी है!! !! चलो माना हकीकत है बहुत बेज़ार हूँ लेकिन!! !! मैं कैसे दर गुज़र कर दूँ ये मेरी ज़िन्दगानी है!! !! फकत ततबीर पर ही मैं भरोसा कर नहीं सकता!! !!मेरी तकदीर का हर फैसला तो आसमानी है!! !! परीशां हूँ ये मेरा जिस्म बूढ़ा हो गया लेकिन!! !! मेरे जज़्बात ओ हसरत में अभी बाकी जवानी है!! !! मुहब्बत में लगाई ज़िंदगी भी दाँव पर अपनी!! !! मुझे मालूम थोड़ी था की बाज़ी हार जानी है!! !! मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा!! !! खुदा का शुक्र है मुझ पर खुदा की मेहरबानी है!! !!मेरी आँखों में बाकी आज भी गैरत का पानी है!! !!किसी भी गम ज़दा के गम को अपना ग