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Sangeeta Kalbhor
White नही चाहता.. सुनते क्यूँ नही अब तुम पुकार कब से लगा रहा हूँ थककर बैठा हूँ देखो मैं कब से खुदको जगा रहा हूँ हारुँगा नही मैं कभी उलझन में मगर पड़ गया हूँ कहाँ जाऊँ कैसे जाऊँ सोचविचारों में अड़ गया हूँ आओ , आओ मुझे बताने और आओ मुझे समझाने नही नही मैं नही चाहता टूटकर यूं बिखर जाने..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #Night नही चाहता.. सुनते क्यूँ नही अब तुम पुकार कब से लगा रहा हूँ थककर बैठा हूँ देखो मैं कब से खुदको जगा रहा हूँ हारुँगा नही मैं कभी उलझन
joshi joshi diljala
उड़ जाएगी खाकर मेरी दुनिया के तराने में। गूंजेंगे गीत मेरे एक दिन सभी जवानों में। अल्लाह ताला आपको जन्नत में जगा दे। ©joshi joshi diljala उड़ जाएगी खाकर मेरी दुनिया के तराने में। गूंजेंगे गीत मेरे एक दिन सभी जवानों में। अल्लाह ताला आपको जन्नत में जगा दे।
Anjali Singhal
Anjali Singhal
Internet Jockey
रात के अंधेरों से भी रोशनी आती है दिल में एक आशा की किरण जगा लो तो चाँद के दाग से होकर भी चाँदनी आती है ©Internet Jockey रात के अंधेरों से भी रोशनी आती है दिल में एक आशा की किरण जगा लो तो चाँद के दाग से होकर भी चाँदनी आती है
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल उसके होंठो पे दुआ हो जैसे । फूल पत्थर पे खिला हो जैसे ।।१ दिल में इक दर्द उठा हो जैसे । तीर फिर दिल में चुभा हो जैसे ।।२ क्यों उसे देख के ये है लगता । खुलते होंठो को सिला हो जैसे ।।३ हाथ हाँथों में सनम ये लेकर । दूर कुछ साथ चला हो जैसे ।।४ उनकी बातों से यही लगता है । दिल में कुछ और छुपा हो जैसे ।५ वो पुकारेगा यकीं है मुझको । फिर भी लगता वो खफ़ा हो जैसे ।।६ जिस तरह कर रहा दिलवर खिदमत । बाद बरसों के मिला हो जैसे ।।७ इस तरह हाँफता है वो उठकर । खुद से जंग लड़ा हो जैसे ।।८ इस तरह देखता है वो मुड़कर । नींद से आज जगा हो जैसे ।।९ ०५/०३/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल उसके होंठो पे दुआ हो जैसे । फूल पत्थर पे खिला हो जैसे ।।१
Ashutosh Mishra
--समुद्रतट-- समुद्र तट के किनारे को छूती समुद्र की लहरें, अनायास दिल में हलचल पैदा कर रही है। सूनसान जगह सूनी आंखों में---------- एक पुनः प्रयास की अलख जगा रही है। निराशा हल नहीं किसी समस्या का, पुनः प्रयास का यत्न बात रही है। अंत जीवन का समाधान नहीं है, एक कायर की पहचान है-------। सागर के किनारे रहने वाले हमेशा सजग रहते हैं, वो जानते हैं---------- सागर कब शांत और कब उग्ररूप थर सकता है। जिंदगी के उतार चढ़ाव भी इसी तरह होतें है। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #seashore समुद्र तट के किनारे को छूती लहरें, अनायास दिल में हलचल पैदा कर रही है। सुनसान जगह सूनी आंखों में----- एक पुनः प्रयास का अलख जगा र
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- आरजू अपनी छुपा के चल दिए । हर खुशी उन पे लुटा के चल दिए ।।१ चूड़ियाँ वो फिर बजा के चल दिए । प्यास दिल मे वो जगा के चल दिए ।।२ पूछता ही मैं रहा उनका पता । जो हथेली से मिटा के चल दिए ।।३ आज सिखलाओ मुहब्बत तुम हमें। होठ सुर्खी वह लगा के चल दिए ।।४ तुम ठहर जाओ इधर कुछ देर अब । यार दीवाना बना के चल दिए ।।५ एक हसरत थी नज़र भर देख लूँ । रूख अपना जो छुपा के चल दिए ।।६ प्रीत कब तक मैं छुपाऊँगीं प्रखर । वज्म़ में अपनी बुला के चल दिए ।।७ १७/०१/२२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आरजू अपनी छुपा के चल दिए । हर खुशी उन पे लुटा के चल दिए ।।१ चूड़ियाँ वो फिर बजा के चल दिए । प्यास दिल मे वो जगा के चल दिए ।।२
Dalip Kumar Deep
Shayer tera ©Dalip Kumar Deep 😔🍂🍂 एक दिन सुला के सौ दिन जगा गये✍🏿🥀🥀
Shiv Sharma
तुमसे मिलकर अच्छा लगा जो सपना था वह हकीकत हो गया सपना ही हकीकत था और हकीकत ही सपना हो गया ©Shiv Sharma नींद से जब में जगा #Exploration