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Brijesh Maurya
सुनाना चाहता हूं तुझे अपने दर्द-ए-दिल की हालत, गर फुर्सत मिले तुम्हें तो बता देना। सुनाना चाहता हूं तुझे अपने दर्द-ए-दिल की हालत, गर फुर्सत मिले तुम्हें तो बता देना।
Rabindra Kumar Ram
" भुल के तुझे याद करना चाहता हूं , तुझे मुहब्बत पहली बार सा करना चाहता हूं ." --- रबिन्द्र राम भुल के तुझे याद करना चाहता हूं , तुझे मुहब्बत पहली बार सा करना चाहता हूं ." --- रबिन्द्र राम #भुल #याद
Rabindra Kumar Ram
" एक एहसास सा बिखर जाना चाहता हूं , तुझे देख यु सम्भल जाना चाहता हूं , ये नज़र अंदाज़ ठहरा कि तेरी आंखें , मुझे किस अंज़ाम में देखना पसंद करे . " --- रबिन्द्र राम " एक एहसास सा बिखर जाना चाहता हूं , तुझे देख यु सम्भल जाना चाहता हूं , ये नज़र अंदाज़ ठहरा कि तेरी आंखें , मुझे किस अंज़ाम देखना पसंद करे .
Rabindra Kumar Ram
*** कविता *** *** कोशिशे *** " मैं तुझे याद करता हूं , भूलाना चाहता हूं तुझे , कुछ रस बाकी रह गया है , फिर से यादें खारिज कर रहे हैं , यूं तो इतना आसान नहीं भूलना , फिर भी इस हाल में खुद को माहिर कर रहे हैं , ले चल मुझे इन यादों से , फिर से तेरी वादों का जाकिरा बिखरा परा हैं , सोचता हूं समेट लूं खुद को इस में , फिर से तेरी यादें कुछ हलात बिखरे परे हैं , मैं तुझे याद करता हूं , भूलाना चाहता हूं तुझे , कोशिशे हरबार बारो बार होती हैं , खुद को ही मंजूर नहीं हैं , तुझे भूल जाने की कोशिशे नाकाम करते हैं । --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** कविता *** *** कोशिशे *** " मैं तुझे याद करता हूं , भूलाना चाहता हूं तुझे , कुछ रस बाकी रह गया है , फिर से यादें खारिज कर रहे हैं , यू
Rabindra Kumar Ram
*** कविता *** *** कोशिशे *** " मैं तुझे याद करता हूं , भूलाना चाहता हूं तुझे , कुछ रस बाकी रह गया है , फिर से यादें खारिज कर रहे हैं , यूं तो इतना आसान नहीं भूलना , फिर भी इस हाल में खुद को माहिर कर रहे हैं , ले चल मुझे इन यादों से , फिर से तेरी वादों का जाकिरा बिखरा परा हैं , सोचता हूं समेट लूं खुद को इस में , फिर से तेरी यादें कुछ हलात बिखरे परे हैं , मैं तुझे याद करता हूं , भूलाना चाहता हूं तुझे , कोशिशे हरबार बारो बार होती हैं , खुद को ही मंजूर नहीं हैं , तुझे भूल जाने की कोशिशे नाकाम करते हैं । --- रबिन्द्र राम— % & *** कविता *** *** कोशिशे *** " मैं तुझे याद करता हूं , भूलाना चाहता हूं तुझे , कुछ रस बाकी रह गया है , फिर से यादें खारिज कर रहे हैं , यू
Shiva Ji Sen Gold
१२२२ //१२२२ //१२२ मै अपना इक जमाना चाहता हूं। तुझें दिल में बसाना चाहता हूं//१ आ भर दूं मांग में सिंदूर तेरी तुझे अपना बनाना चाहता हूं//२ हटाकर फोन पर तस्वीर अपनी तेरी डी पी लगाना चाहता हूं//३ हुई थी इश्क़ में जो भी खता वो गिले शिकवे भुलाना चाहता हूं//४ यहीं है आरजू मेरी "शिवाजी" मैं उसपे जाँ लुटाना चाहता हूं//५ ©Shiva Ji Sen Gold एक #मतला चंद #शेर मै अपना इक जमाना चाहता हूं। तुझें दिल में बसाना चाहता हूं//१ आ भर दूं मांग में सिंदूर तेरी तुझे अपना बनाना चाहता हूं//२ हट
Bajrangautam
.................. ©Bajrangautam बस मैं ये सुनना चाहता हूं !! "सीने से लगाना चाहता हूं, तुझे अपने पास बैठाना चाहता हूं। नींद मुझे तकिए के बिना नहीं आती, मैं तुझे तकिए की तर
Nishant Keswani
हा में डरता हूं । (Read Caption) तेरे पास आना चाहता हूं, मगर तेरे करीब आने से अब डरता हूं, परिनाम की चिंता तो पहले भी नहीं थी, मगर अब कोशिश करने से भी दारता हूं। प्यार जीत
Abhijeet
तेरी कमलनयनी झील सी आँखों में डूब जाना चाहता हूँ, गर इजाज़त हो। तेरे इस मधुरमय आवाज में कहीं खो जाना चाहता हूँ । गर इजाज़त हो। तेरे चेहरे की सिलवटे बयां कर रही है तेरी ख़ुशी, दिल तेरी घुंघराले लटों से खेलना चाहता है। चाहता हूँ एक एहसास, तेरे होने का। बस तेरे नज़रो की नुमाइश चाहता हूँ। गर इजाज़त हो। चाहता हूँ, तेरे दिल की गहराइयों में घर बनाना । तेरे एहसास को एहसास करना चाहता हूँ। गर इजाज़त हो। चाहता हूँ दो पल की ख़ुशी तुमसे गर मंज़ूर हो तुम्हे। वरना दे देना अपने हिस्से का गम, बस मैं यही चाहता हूँ। जमाने की ख़ुशी कौन चाहता है, मुझे तो बस दे दो तुम एक पल की ख़ुशी। संभाल लूंगा उस पल को ताउम्र, बस वही एक पल चाहता हूं। चाहता हूं तुझे ख़्वाबों के दरमियाँ अपना बनाना । गर इजाज़त हो। बस तुम्हे खोने के लिए ही सही ,पर पाना चाहता हु। गर इज़ाज़त हो! -अभिजीत गर इज़ाज़त हो l तेरी कमलनयनी झील सी आँखों में डूब जाना चाहता हूँ, गर इजाज़त हो। तेरे इस मधुरमय आवाज में कहीं खो जाना चाहता हूँ । गर इजाज़त हो