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Diwan G
कालिख नहीं थी चेहरे पे, कि हम कैसे पहचानते। काला दिल है सीने में उनके, आंखिर हम कैसे जानते। ©Diwan G #कालिख #काला #दिल #हम #दिवानजी
pankaj balania
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी स्याही से रँगे थे अखबार शब्द थे कत्ल ,वाहवाही बहुत थी अहमियत जनता की थी नही हर पेज पर आवभगत विज्ञापनो से, सरकारी थी लगा ऐसा जैसे आईने पर सच्चाई की कालिख पुती हुयी थी प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho आईने पर जैसे सच्चाई की कालिख पुती हुयी थी #nojotohindi
Ravi Ranjan Kumar Kausik
R K Mishra " सूर्य "
तुम तो कच्चा सौदागर निकले अपना जीवन लुटाकर निकले देख अपने उजड़े हुए घर को जाने क्या क्या गवाकर निकले तुम तो कच्चा....... सेखी बघारते हो सिर्फ़ घर में अपने हाथों सब जलाकर निकले संस्कार नीलाम हुआ जिसके लिए उसकी अर्थी को सजाकर निकले तुम तो कच्चा....... क्यों रो रहे हैं ये मां बाप खूनी आंसू फुंसी को फोड़ा बनाकर निकले आग लगा था तो धुआं क्यों नहीं देखा "सूर्य" आज कालिख लगाकर निकले तुम तो कच्चा....... ©R K Mishra " सूर्य " #कालिख Sethi Ji Rama Goswami poonam atrey Anshu writer PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान'
Nisheeth pandey
शीर्षक- नेता जी जिंदाबाद ◆◆◆◆◆◆◆◆ लगा दो आग , जल जाने दो घर , झुलस जाने दो लोग , जला डालो लोगों के उबलते खून, हम नेता हैं जनाब , तमाशा देखेंगे पहले , फिर तमाशा दिखाएंगे , बुझाएंगे ठंडी आग , घरों की कालिख धोएंगे अपनी आँशु से , झुलसे लोग को खिलाएंगे दया भाव से , जो लोग जाएंगे बच , उनके घरों को पेंट कराएंगे , लोग खुंशी में बहते आँशु को पोझेंगे , फिर लोग बोलेंगे मेरे घर को नेता जी ने दिया सवाँर , नेता जी जिंदाबाद जिंदाबाद !!! 🤔🤔🤔 @निशीथ ©Nisheeth pandey शीर्षक- नेता जी जिंदाबाद ◆◆◆◆◆◆◆◆ लगा दो आग , जल जाने दो घर , झुलस जाने दो लोग , जला डालो लोगों के उबलते खून, हम नेता हैं जनाब ,
Archana Tiwari Tanuja
सुनहरा :- *********** देखने को देखता है हर कोई ख्वाब सुनहरा, पर लगा हुआ उस पर वक़्त का कड़ा पहरा। हकीकत से परे ही नज़र आई सच्ची दास्तां, भीतर कालिख भरी!बाहर सजा रंग ज़हरा। रफ़्तार ज़िंदगी की हर दिन बढ़ाते रहें सभी, मौत है सच्चाई!इसके आगे हर कोई ठहरा। कब दबा दिया अरमानों को सात परतों तले! पता भी चला नहीं! रहता समाज का पहरा। छिछला दिखा पानी जहां मैंने पांव रखा वहां, वो भ्रम जाल था सारा मौत का दरिया गहरा। जिधर देखो आदमी हैं फिर भी! सभी तन्हा, गांवों,शहरों से तो अच्छा लगे मुझको सहरा। ज़िंदगी की किश्ती उतारी जहां के समंदर में, था छेद मेरी कश्ती में और पास न था डहरा। अर्चना तिवारी तनुजा ✍️✍️ ©Archana Tiwari Tanuja #Sunhera #सुनहरा #MyThoughts 08/09/2023 देखने को देखता है हर कोई ख्वाब सुनहरा, पर लगा हुआ उस पर वक़्त का कड़ा पहरा। हकीकत से परे ही नज़र
Harshita Wadhwani
#काव्यार्पण
तू बेलगाम सा घोड़ा है मै अनुशासन प्रिय नारी हूं तू बेशक गंदा पानी है मैं भागीरथी दुलारी हूं दो बोल जो मीठे बोल दिये तू सर पर मेरे बैठ गया कैसे तूने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। मेरे झुमके के उद्दवेलन से ये पवन सुहानी चलती है एक पल को मैं मुस्काऊं तब ये कच्ची कलियां खिलती हैं जब केश मेरे लहराते हैं तब काली घटा छा जाती है मेरे यौवन से ले सुगंध रति में सुंदरता आती है तू पाप की गठरी जोड़ रहा मैं पुण्य की भागीदारी हूं तूने जब मन को सहलाया मैं उस पल की आभारी हूं तू शहर का शोर शराबा है मैं गांव की कोयल प्यारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 2.तुम वर्तमान की कालिख हो प्रारब्ध की मैं पुरवाई हूं तुम आभासी प्रतिबिंब सदा मैं अंतस की गहराई हूं तुम धूं धूं कर के जलते हो मैं सरिता जैसी बहती हूं तुम टोंका टांकी करते हो मैं पृथ्वी सा सब सहती हूं गर लगे हमारे मुंह तो अब हम दुर्गा ही बन जायेंगे है यू पी पुलिस में धाक बड़ी ऐंटी रोमियो बुलायेगे मैं पति प्राइवेट सेक्टर हूं ना मैं जनहित में जारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 3. ना बातचीत का ढंग तुझे मैं कितनी ही मृदुभाषी हूं तू नॉनस्टॉप-सा म्यूजिक है मैं मौन की बस अभिलाषी हूं है नई नई तेरी दौलत इसलिए तुझे अभिमान हुआ मेरा परिवार सदा से ही संस्कारों से धनवान हुआ है नशा तुझे दौलत का तो ये निश्चय क्षीण हो जायेगा अपनी मृत्यु पर क्या फिर तू पैसे से भीड़ जुटाएगा है ब्राह्मण कुल में जन्म हुआ है गर्व मुझे संस्कारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। 4.तुम चाइनीज मोबाईल हो और मैं एप्पल का ब्रांड प्रिये तुम बेशक बादशाह होगे मैं हनी सिंह की फैन प्रिये तुम कपिल की बकबक सुनते हो और मैं बिग बॉस की दर्शक हूं तुम खुद को सलमान समझते हो मैं तुमसे भी आकर्षक हूं हम सीतापुर वाले साहब कट्टाधारी कहलाते हैं यदि बात हमारे प्रेम की हो तो नतमस्तक हो जाते हैं चिंदी चोर चांदनी चौक के तुम मैं नैमिषधाम दुलारी हूं। कैसे तुमने ये सोंच लिया मैं अब से सिर्फ तुम्हारी हूं। कवयित्री - प्रज्ञा शुक्ला सीतापुर ©#काव्यार्पण #proposeday #kavyarpan #nojoto #sitapur #HappyRoseDay तू बेलगाम सा घोड़ा है मै अनुशासन प्रिय नारी हूं तू बेशक गंदा पानी है मैं भागीरथी