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Amit Saini
ये अंधेरे अजनबी नहीं आखिर खुद को संभाल ही लेता हूं मैं रातों में मगर आखिर ना जाने क्यो खो ही जाता हूं मैं किसकी धोखे भरी बातों में ©Amit Saini #तमस #nojoto Satya Saurav Das Shahab Sudha Tripathi sana naaz
ABRAR
Pawan Shah
Bharti Vibhuti
Sangeeta Kalbhor
आयुष्य... प्रकाशाच्या वाटेने चालत रहावे कायम आपलेच आपल्यासाठी बनवून नवे नियम रहात नाही अंधार तसाही आयुष्यात ठाण मांडून आयुष्य आहे हे वेड्या कधी कधी घ्यावे की कांडूण चोथा असला म्हणून काय झाले असते सत्व त्यात उजेड येतोचं येतो गर्भार करुन रात फुटतात कळ्या टचकन अलगद अलगद उमलत समजण्यातचं माणूस करत असतो गफलत विसाव्याला असला किनारा की आयुष्य चालत राहतं थोडं थांबलं तरी ठेवावं आयुष्यभर वाहतं..... मी माझी...... ©Sangeeta Kalbhor #Identity आयुष्य... प्रकाशाच्या वाटेने चालत रहावे कायम आपलेच आपल्यासाठी बनवून नवे नियम रहात नाही अंधार तसाही आयुष्यात ठाण मांडून
Bhavana kmishra
माना कि जीवन की राहें दुर्गम हैं, तो ये इतनी आसान तो नही होंगी.. इन पर चलने के लिए, अपने अन्दर तमस मिटाकर..... हृदय में दृढ़ संकल्प रूपी "भावना" की, ज्योति पुंज जलानी होगी....। ©Bhavana kmishra #DiyaSalaai #Nojoto #poem #Hindi #viral #bhavanakmishra माना कि जीवन की राहें दुर्गम हैं, तो ये इतनी आसान तो नही होंगी..
Archana Tiwari Tanuja
अंधेरे :- ********* कहने को चकाचौंध है पर ! श्याह अंधेरे हैं। महफ़िलों में भी उदासियों के साए घनेरे हैं। खौफ़ का मंज़र छिपा बैठा है दिल में कहीं, मनहूसियत का दु:खद एहसास हमें घेरे हैं। मिलना-बिछड़ना कहां किसी के हाथ होता? मिथ्या भरम ने ही डाले न उम्मीदी के डेरे हैं। गिरते-संभलते रहे यूं तो कई-कई बार हम, पर! मेरे हौसलों को अपनों ने ही बिखेरें हैं। यूं तो सारी दुनिया ही साथ-साथ चलती है, फिर भी! न जाने क्यों तन्हाइयों के बसेरे? कौन है अपना कौन पराया पहचानू कैसे? मानस पटल पे मैंने कुछ प्रतिबंब उकेरे हैं। धैर्य रखना कब तक रहेगी ये काली रात ? तमस मिटाने को होते नित नवल सवेरे हैं। अर्चना तिवारी तनुज ©Archana Tiwari Tanuja #andhere #अंधेरे #Nojoto #motivatational #NojoroHindi #hindiwriters #MyThoughts 26/07/223 अंधेरे :- ******** कहने को चकाचौंध है पर ! श्या
Yashpal singh gusain badal'
हम दोनोँ मैँ शब्द बनूँ, तुम गीत बनो । मिल कर संगीत बन जायेँ हम, बैठा है प्रेम दूर क्षितिज पर, चलो,उसके घर सो जायेँ हम। मैं रात बनूँ तुम बात बनो, चलो ,एक दूजे को बहलायें हम, प्रेम का ढाई अक्षर पढ़, कुछ प्रेम तराने गाएं हम । मैं पवन बनूँ तुम मेघ बनो, चलो ! सैर पर जायें हम, देखें धरती का हर कोना, फिर प्रेम सुधा बरसायें हम । मैं वर्षा बनूँ, तुम नद धार बनो, मिलकर सागर तक जाएं हम, कर दें सब कुछ न्योच्छावर , फिर,सागर में मिल जाएं हम । मैं सूरज बनूँ तुम चाँद बनो , जाकर अम्बर में छायें हम, मिल कर फिर दोनों हम, धरती को स्वर्ग बनाएँ हम। मैं बाती बनूँ तुम दीप बनो! मिल कर ज्योत जलाएं हम, हर पथ को प्रकाशित कर, तमस को दूर भगायें हम । रचना-यशपाल सिंह "बादल" ©Yashpal singh gusain badal' मैँ शब्द बनूँ, तुम गीत बनो । मिल कर संगीत बन जायेँ हम, बैठा है प्रेम दूर क्षितिज पर, चलो,उसके घर सो जायेँ हम। मैं रात बनूँ त