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somnath gawade
गावकडचं लॉजिक एखाद्याला त्याच्या गैर-कृत्यांबद्दल 'ताकीद' देवूनही 'चाप' बसत नसेल तर त्याला 'चोप' दिला पाहिजे. भाग-४
Bharat Bhushan pathak
दूसरी ट्रैण्डींग लूक में आती है वो पोशाकें जिसे प्राचीन काल में पहनने वाले को भीखमंगे,भीखारी की संज्ञा दी जाती थी,आज वही ट्रैण्डींग में है!!! जिसे पहले भीखारियों द्वारा पहनी जाने वाली पोशाकें मानी जाती थी आज उसे ही बड़े चाव से लोग पहन रहे हैं,जिसे देखना तक पसन्द नहीं करते थे,आज उसे करोड़ों खर्च कर विशेष आयोजनों के लिए मँगवा रहे हैं मतलब आज चिप्पी लगाए कपड़ों का ट्रैण्ड सा चल पड़ा है नए-नए नामोंसे सुशोभित हो बाजा़रों में ये प्रफुल्लित हो रही हैं:-सिंगल होल,डबल होल,स्पायरल होल,ईगल होल,चेष्ट साईड होल,हर्टी होल ऐसे कितने ही नामों से ये आज जानी जा रही हैं। अब तो हमने जानवरों को भी नहीं छोड़ा कुत्ता मुँह पोशाक,रैड बुल पोशाक,बिल्ली वाली पोशाक मतलब आज का बुद्दिजीवी प्राणी बुद्धि में इतना उपर उठ गया कि वह अब इन फैशनों के नाम पर अपना अस्तित्व ही भूलता जा रहा है या उसे यह शक हो रहा है कि वो पशु है या मानव। ©Bharat Bhushan pathak #पोशाक भाग-४
slni
.. खैर, फिर से भरपूर कोशिश और पूरी हिम्मत के साथ सालवी ने दरवाजा खोला और दोनों ने अन्दर प्रवेश किया। उस समय चल रही थी रीजनिंग की क्लास और अचानक हमारे पहुंचने पर पूरी क्लास हमे ऐसे देख रही थी मानो इंसानों के बीच एलियन आ गए हों, खैर जैसे तैसे जगह मिली एकदम पीछे की बेंच पर, मिल गई यही कम था क्या। चूंकि क्लास शुरू हो चुकी थी और रीजनिंग की थी तो बीच से कुछ समझ ना आ रहा था लेकिन फिर भी दोनों सहेलियां समझने की कोशिश कर रही थीं ।।चलो। अब वो समय भी आ गया जब क्लास ओवर हो गई और फिर.... क्रमशः #प्रेमांकुर #भाग#४
Vidhi
यहाँ मरने वालों की जात नहीं देखी जाती यहाँ की परवाह संघ नहीं करता राज ठाकरे का देशप्रेम यहाँ नहीं बरसता उत्साही उदारवादी भी ख़ामोशी तान लेते हैं यहाँ के बारे में लिख लिख कर कुछ लेखक नक्सलवादी करार कर दिए गए हैं मोदी हैं या थे मनमोहन यहाँ पर मरने वालों को आँकड़ा माना जाता है तुम्हारे राज में ज़्यादा मरे थे, हमारे में कम इतना भर ही मंचों से बोला जाता है #विदर्भ #किसान #आत्महत्या #YQdidi भाग-४
ek. tarfaishq
पूरी रात की जो नींद थी खप गयी करवटों में तुम्हारी यादो के झुनझुने ने मुझे ऐसे ही नही जगाया है कुछ तो जरूर मतलब होगा इनका क्योकि तुमको खोने के बाद मैंने तुम्हारी यादो को ही तो पाया है। "हितेश यादव" poetry by hitesh yadav यादें----(भाग--४)
Kedar nath Shukla
चाय पीते हुए सवाल किया, इंसान हो? या उसकी शक्ल में एक बहरूपिये / जो भेद खुलने के डर से विमूढ़ रहते हो? तुम कौन हो? जो इतने असमंजस में हो/ मेरा जबाब था। प्रेरणा हूँ, मै सूरज की लालिमा को समझने की, समय की प्रचण्डता का ज्ञान देती छोटी कड़ी हूँ, बगल से गुजरती बस के हॉर्न ने ध्यान भटका दिया, जिसमें से कुछ, बेचैन इंसानी शक्ल बाहर आ रहे थे, माशुका से बिछड़ने की रिश्तों में ढीला पड़ने की अधीरता को साथ रक्खे हुए/ मैंने इशारा किया, यही हम इंसान हैं, कुल्हड़ को खाली कर लाइब्रेरी की तरफ कदम बढ़ाते हुऐ, फिर कहा/ पड़ाव है, जीना सिख लो/ इसे अखबारों की तरह अज़ब और अज़ाब की दुकां मत बनाओ/ इसमें रोज मिलकर घुल जाओ अपनी छुपा रही कहानी को,जोर से चिल्लाओ/ अपनी इच्छाओं को सुनो,खुद लफ़्ज़ों से/ मौत लाइब्रेरी में #nojotolove #nojoto #love #life #भाग- ४ #KeNaShu
Ashu Jha
पर सोचा अब मैंने भी है कुछ की रहना तुमसे दूर है । जीना इसी जमाने में है । पर मंज़िल कुछ और है। क्युकी समझ चुका हूं अब मै । की सपनों की वो बातें हकीकत से कोसो दूर है। part =४ इस कविता के ४ भाग है । पूर्ण कविता पढ़े पूरा समझने के लिए।
Bhupendra Singh Solanki
होलिका दहन और होली की हार्दिक शुभकामनाएं। ©Bhupendra Singh Solanki *४