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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपई /जयकारी छन्द १ मातु-पिता को करूँ प्रणाम । वो ही रघुवर है घनश्याम ।। थाम चले वह मेरा हाथ । और न देता जग में साथ ।। २ जीवन की बस इतनी चाह । पिता दिखाए हमको राह ।। पाकर गुरुवर से मैं ज्ञान । बन जाऊँ मैं भी इंसान ।। ३ जीवन साथी है अनमोल । मीठे प्यारे उसके बोल ।। घर उसके ले गया बरात । पूर्ण किया फिर फेरे सात ।। ४ मानूँ उसकी सारी बात । कभी न मिलता मुझको घात ।। कहती दुनिया मुझे गुलाम । लेकिन जग में होता नाम ।। ०३/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपई /जयकारी छन्द १ मातु-पिता को करूँ प्रणाम । वो ही रघुवर है घनश्याम ।। थाम चले वह मेरा हाथ । और न देता जग में साथ ।। २
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- राम-राम जपते रहो , मिलें सदा आराम । राम नाम के भक्त तो , करे नहीं विश्राम ।।१ कैसे कह दूँ मैं यहाँ , अलग-अलग है वंश । हमको सब में हैं मिलें , यहाँ राम के अंश ।।२ रघुवर ही घनश्याम है , कर ले अब पहचान । तुझमें भी तो हैं वही , क्या कहता इंसान ।।३ बाल काल्य पग चिन्ह तो , मिले अयोध्या धाम । तू छूकर अब स्पर्श कर , चरण वही श्री राम ।।४ आज अयोध्या के नगर , का दुल्हन सा रूप । जिसके राजा राम जी , कहलाते है भूप ।।५ राम लला के नाम से , सजा अयोध्या धाम । जहाँ वनों के वृक्ष भी , सुनो उकेरे राम ।।६ सूरत खुशियों की कभी , बड़ी नहीं है देख । छोटी खुशियाँ दे बदल , सुन किस्मत की रेख ।।७ २८/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- राम-राम जपते रहो , मिलें सदा आराम । राम नाम के भक्त तो , करे नहीं विश्राम ।।१
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विधा दाम छन्द 121 121 121 121 सुनो रघुनाथ खडा अब दास । हरो सब ताप लगी है आस ।। न ठूँठ बने अब मानव गात । करो न भला तुम ही अब तात ।। जपूँ हरि नाम कहे हनुमान । कटे सब फंद करे जब ध्यान ।। सुनो तन मानव है हरि धाम । भजो फिर लाल सदा प्रभु राम ।। वही रघुनंदन है घनश्याम । रहा जग सुंदर है यह धाम ।। लगाकर चंदन मैं नित भाल । करूँ फिर वंदन लेकर थाल ।। २७/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा दाम छन्द 121 121 121 121 सुनो रघुनाथ खडा अब दास । हरो सब ताप लगी है आस ।।
Rajesh Sharma
जन्मदिन आया मेरे श्याम का लखदातार, खाटू वाले घनश्याम का पांडव कुल का लाला भक्तों का रखवाला तीन बाण का धारी कलयुग अवतारी लीले के असवार का जन्मदिन आया मेरे श्याम का जय श्री श्याम ®️ ©Rajesh Sharma #Krishna जन्मदिन आया मेरे श्याम का लखदातार, खाटू वाले घनश्याम का पांडव कुल का लाला भक्तों का रखवाला तीन बाण का धारी कलयुग अवतारी लीले के अ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मरहटा छन्द. अब नैना तेरे , मुझको घेरे , रहते आठों याम । मैं कैसे आऊँ , राह न पाऊँ , पनघट पे घनश्याम ।। सुन राधा तेरी, करती देरी , चलती है अविराम । है कहती मोहन , की मैं जोगन , मन है उनका धाम ।। बालो का गजरा , नैना कजरा , करता है मनुहार । अब देर न करना , चलते रहना , करती प्रीत पुकार ।। अब आओ बालम , बैठे है हम , चलने को तैयार । है छोटा सा घर , अपना है पर , खुशियों का त्यौहार ।। २०/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मरहटा छन्द. अब नैना तेरे , मुझको घेरे , रहते आठों याम । मैं कैसे आऊँ , राह न पाऊँ , पनघट पे घनश्याम ।। सुन राधा तेरी, करती देरी , चलती
Archana Tiwari Tanuja
न आए कान्हा :- बर्षो किया इंतज़ार पर तुम न आए कान्हा, ले-ले तेरा नाम जग सारा मारे मुझको ताना। नज़र भर देखना चाहतीं ये प्यासी अखियां, करना चाहती बावरी तोसे हिय की बतियां। तुम न आए मनमोहन फिर भी राह निहारु, व्याकुल हृदय से लिखती हूं मैं तोहे पतियां। हम पापन फूटे भाग हमारे जो तुम छोड़ गए, मोह,नेह, अपनेपन का सारा नाता तोड़ गए। भक्ति-भाव न जानू मैं! प्रेम समर्पण ही मानूं, क्या भूल हुई हमसे माधव जो मुख मोड़ गए? वृन्दावन की गली-गली में ढूंढूं तोहे घनश्याम, इक छलक मिले तेरी मन पा जाएगा विश्राम। मुक्त करो प्रभु जी इस मिथ्या जीवन बंधन से, वृन्दावन की रज लपेटे पुकारु मैं तेरा ही नाम। अर्चना तिवारी तनुजा ©Archana Tiwari Tanuja #janmashtami #Nojoto #न_आए_कान्हा #MyThoughts 07/09/2023 बर्षो किया इंतज़ार पर तुम न आए कान्हा, ले-ले तेरा नाम जग सारा मारे मुझको ताना। न
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
रोला छन्द गीत हरते सबके कष्ट हैं , देखो राधेश्याम । घर-घर सुमिरन हो रहा , राधा कान्हा नाम ।।दो० आए हैं घनश्याम , संग राधा को लेकर । कर लो उन्हें प्रणाम , खड़े है यमुना तटपर ।। आए हैं घनश्याम .... बरसेगा अब प्रेम , धरा पर रिमझिम-रिमझिम । देख गगन में आज , सितारे करते टिम-टिम ।। मगन सभी है लोग , खबर कान्हा की पाकर । आए तारन हार , खुशी है अब यह घर-घर ।। आए हैं घनश्याम ..... बरस रहें है मेघ , बोलते देखो दादुर । पवन चली है जोर , खुशी से होकर आतुर ।। सभी जताएं हर्ष , आज देखो जी भरकर । कान्हा राधा संग , सभी के रहते घर-घर ।। आए है घनश्याम .... मंदिर-मंदिर आज , भीड़ भक्तों की भारी । स्वागत में तैयार , जगत की हर नर नारी ।। मेवा फल औ फूल , सभी लाएं हैं चुनकर । अधरो पर मुस्कान , निखर आई है खुलकर ।। आए हैं घनश्याम..... हाथ जोड़ सब लोग अब , कर लो इन्हें प्रणाम । प्रकट भये घनश्याम फिर , देखो मथुरा धाम ।।दो० आए हैं घनश्याम , संग राधा को लेकर । कर लो उन्हें प्रणाम , खड़े हैं यमुना तट पर ।। ०६/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR रोला छन्द गीत हरते सबके कष्ट हैं , देखो राधेश्याम । घर-घर सुमिरन हो रहा , राधा कान्हा नाम ।।दो०
Ravendra
Gurudeen Verma
शीर्षक - आजा रे आजा घनश्याम तू आजा ---------------------------------------------------------------------- (शेर)- दीन-दुःखियों के स्वामी , तुमको यह धरती पुकारे। अधर्मियों का विनाश करने के लिए, तू घनश्याम आरे।। घोर कलयुग आया है और पाप छाया हुआ है घरती पर। ऐसे पापियों से भारत को मुक्त कराने, तू कन्हैया आरे।। ------------------------------------------------------------------- आजा रे आजा, घनश्याम तू आजा। राधा पुकारे, राधेश्याम तू आजा।। आजा रे तू बाँसुरीवाले मुरलीधर। गोमाता पुकारे, गोपाल तू आजा।। आजा रे आजा----------------------।। देवकी के पूत तू यशोदा के कान्हा। वासुदेव की जान तू ब्रज के ग्वाला।। नंदबाबा के लाड़ले, बलराम के भ्राता। रुक्मिणी पुकारे, नंदलाल तू आजा।। आजा रे आजा----------------------।। तेरे बिना है, सूनी सूनी यह मथुरा। बहुत है उदास, सखा सुदामा तेरा।। गोपियों के संग, कौन खेले अब होली। माखन चुराने, माखनचोर तू आजा।। आजा रे आजा-----------------------।। पाप बढ़ रहा है, घोर कलयुग आया है। व्यभिचार- अधर्म का,अंधेरा गहराया है।। अधर्मियों- पापियों से, धरती को मुक्त कर। सारा भारत पुकारे, गोविंद तू आजा।। आजा रे आजा--------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #आजा रे आजा घनश्याम तू आजा