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"सीमा"अमन सिंह
2017 से आज का दिन है, न जाने कितने लोग आए यहां और चले भी गए, लोगों से मिलते जुलते, बात करते एक कारवां बन गया। आज dr sahab जैसा भाई मिला, Alpana जैसी बहन मिली, Ayuahi जैसी दोस्त मिली, pyare bhai जैसा मित्र मिला, kartik bhai जैसा यार मिला। और बहुत से लोग जो दिल ❤️ के करीब हैं वो सब लोग मिले, बहुत प्यार भी मिला, बड़ों से थोड़ा दुलार भी मिला, वैसे साथ छोड़ना कहां तक मुमकिन होता है, लेकिन समय भी तो है वो भला किसके लिए रुकता है, जाना तो पड़ेगा ही, लेकिन हां आऊंगा भी फिर से मुस्कुराऊंगा भी, और आप सब लोगों को हसाऊंगा भी, Preeti didi, mahi sis,Priya ji, Ruchi ji, Guru ji, Shahib bhai, jyoti mam, Anamika mam, Hihi 🤪😁Aafiya,Naveen, Anabhi,Anshuman,Rajeev Sir, Simran sis, PM mam, Prabha mam,Neelu mam, Varun Sir ❤️ बहुत लोग हैं जो मेरे दिल के करीब हैं और रहेंगे। फिर मिलेंगे कभी आप सब लोगो के साथ होंगे किसी शो में मस्ती करते हुए, साथ बिताए मस्ती भरे पल याद करते हुए 🙏।। ©Aman Singh Sonu फिर से मुलाकात होगी यहीं पर, लेकिन ब्रेक के बाद 😊 आप सभी लोगो को miss करूंगा बहुत अगर ना रहा गया तो जल्दी ही आ जाऊंगा।। और हां भूलना नहीं
shyam ji prajapati
एक गुजारिश है तुमसे इसे आखिरी समझना, गुजरे हुए पल को बस कहानी समझना। बहुत किया हुँ नजरअंदाज तेरी गलतियों को अब तक, आ जाऊंगा तेरे झांसे में, अब ये बात पुरानी समझना। ©shyam ji prajapati एक गुजारिश है तुमसे इसे आखिरी समझना, गुजरे हुए पल को बस कहानी समझना। बहुत किया हुँ नजरअंदाज तेरी गलतियों को अब तक, आ जाऊंगा तेरे झांसे में,
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
Shubham Mishra (Raj)
पास आ जाऊंगा तो प्यास बन जाऊंगा जो इश्क है अभी निर्मल सा उस इश्क का अंत न देख पाऊंगा ©Shubham Mishra (Raj) पास आ जाऊंगा तो प्यास बन जाऊंगा जो इश्क है अभी निर्मल सा उस इश्क का अंत न देख पाऊंगा#sadquotes
shayar_dillwala
तेरी आंखों से मेरी आंखो की गुफ्तगू हो, ये ख्वाहिश ले कर तेरे पास तो मै आ जाऊंगा। तुझे सामने पाते ही ना जाने क्यों लगता है मुझे जो करनी है वो हर एक बात मै भूल जाऊंगा। तेरी आंखों से मेरी आंखो की #गुफ्तगू हो, ये #ख्वाहिश ले कर तेरे पास तो मै आ जाऊंगा। तुझे सामने पाते ही ना जाने क्यों लगता है मुझे जो करनी है
Guftgoon Lafzon Se GLS
"ग़र हाँ तो मैं भी तेरा हूँ" ------ ज़िन्दगी है मेरी मेरे अपनों से क्या उनको तू सम्मान दे पायेगी? तुझसे मोहब्बत सारी हदें पार करके करूँगा क्या तू भी मेरा हाँथ थाम पायेगी? कहतें हैं ज़िन्दगी होती बस चार दिन की क्या एक दिन भी तू मुझे संभाल पायेगी? तुझसे जुड़े हर रिश्ते को बखूबी निभाऊंगा क्या तू भी सबको मेरे जैसा... full read in caption... _Aakash Bharti "ग़र हाँ तो मैं भी तेरा हूँ" ------- ज़िन्दगी है मेरी मेरे अपनों से क्या उनको तू सम्मान दे पायेगी? तुझसे मोहब्बत सारी हदें पार करके करूँ
रजनीश "स्वच्छंद"
मैं तो दीया हूँ।।। read the poem in description section.. #NojotoQuote मैं तो दीया हूँ।। मैं तो दीया हूँ, आज जला, कल फिर जल बुझ जाऊंगा। राह दिखाने तुझको मैं, सूरज ढलने पर फिर आ जाऊंगा।। अपने शब्दों से, अपनी कव
Unconditiona L💓ve😉
"आशीष मेरा :-- *सदा सुहागन रहो* सखी ये उस अंतिम क्षणों की कल्पना है,,,, बस आपकी याद आया तो सपने बुन लिए,, जो संभव नहीं है,, फिर भी हम जीना तो नहीं भूल सकते ना प्रिये ❤😔sor
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
रजनीश "स्वच्छंद"
एक और ज़िन्दगी चाहिए।। अधूरे पड़े हैं सारे काम, एक और ज़िन्दगी चाहिए। हुईं बेकार कोशिशें तमाम, एक और ज़िन्दगी चाहिए। क्या खुशी और क्या ग़म, लगते सारे अब बस एक से, किससे शिकायत, किसकी शिकायत सब हैं एक से। सबके चेहरे पे खुशी लाने की मुहीम में लगा रहा मैं, पुकार सकूँ अपना भी नाम, एक और ज़िन्दगी चाहिए। किस नशे में खोया था, रहा चढ़ता सर नशा किसका, मैंने मांगी एक बूंद रौशनी, जाने रहा कहकंशा किसका। रौशन करूँ घर अपना या दे दूं रौशनी उधार किसी को, ढलने को आयी अब शाम, एक और ज़िन्दगी चाहिए। दिल की ख्वाहिशें रहीं बुलंद कि छू सकूँ मैं आसमां भी, एक कदम मैं, एक कदम वो, संग चले मेरे ये कारवां भी। बिन पिये ही पांव जाने क्यूँ देखो जमीं भी अब छोड़ रहे, बस छलकता रह गया जाम, एक और ज़िन्दगी चाहिए। मैं हार सकता नहीं और हारना है मुझे आता भी नहीं, रहा भागता मृगमारीचिका में, जीत से नाता भी नहीं। मैं जो एक समर हूँ छेड़ता, सौ समर उठ हैं आते मगर, यूँ लगे मैं आ जाऊंगा काम, एक और ज़िन्दगी चाहिए। पर कतरे से गये हैं, कल का दम्भ रहा अब शेष क्या, कल था जो उड़ता आसमां में, मैं हुआ अवशेष क्या। हैं सपने अभी ज़िंदा मगर, फिर उड़ रहा मैं आसमां, लग न जाये इसपर लगाम, एक और ज़िन्दगी चाहिए। किसकी ख़ातिर मैं हंसु, रोऊँ भी तो किसकी ख़ातिर, मैं भाव मे डूबा रहा, निकली दुनिया कितनी शातिर। हर राह में हर मोड़ मिले वो, पल में हुए वो अजनबी, कैसे वसुलूँ आंसुओं के दाम, एक और ज़िन्दगी चाहिए। ©रजनीश "स्वछंद" एक और ज़िन्दगी चाहिए।। अधूरे पड़े हैं सारे काम, एक और ज़िन्दगी चाहिए। हुईं बेकार कोशिशें तमाम, एक और ज़िन्दगी चाहिए। क्या खुशी और क्या ग़म, लगत