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Madhumati Kinikar
Caption मध्ये कादंबरीतील काही क्षण वाचा. #madhukinikar #yqtaai #yqmarathi सायकलच्या पॅडलवर हळुवार पाय मारत सिद्धार्थ गावाजवळ पोहोचला. सांजवेळीच्या सोनेरी पिवळ्या किरणांनी धरणीमाता
Technocrat Sanam
भाँति भाँति की ड्रिंक्स के दौर में गर्म पानी गटका जाएगा 'हैलो-हाय व्हाट्सअप ब्रो' भूल, हाथ जोड़, दूर से सटका जाएगा, अच्छे-बुरे सभी तरह के प्राणी अपना मुँह-नाक छिपाएंगे पिज्जा-फिज्जा खाने वाले लौकी-तुरई भी चाव से चबाएंगे , खुली सड़क में मटरगस्ती करने वाले बाबू-शोना बस जैसे-तैसे ऑनलाइन रिश्ता निभाएंगे, सूट-बूट टाइप प्रोफेसर ऊपर टी-शर्ट पहन, नीचे सिर्फ़ लोअर या लुंगी में ही पढ़ाएंगे, "अपना टाईम आयेगा" कहने वाले गबरु बांके मजबूरन फिर गुज़रे दिनों के ही स्टैटस लगाएंगे, थोड़ा-बहुत 'जान-पाडे़', 'अध-जल गगरी छलकाएंगे' घर-घर, भर-भर, घरेलू-नुस्खे बता, छाती-चौड़ियाएंगे, दुल्हन के साथ दूल्हा, बराती और जनाती सब सुबक-सुबककर सैनेटाईजर के आँसू रोएंगे , विस्की-ठर्रा से कुल्ला करने वाले जीजा-फुफा भी ग़म के मारे झुंझला कर पानी से मुँह-हाथ धोएंगे, 'सड़क-मकान बनाने वाले' और विकास लाने वाले आंसुओं के घूंट पी-पीकर दर-दर की ठोकरें खाएंगे, घर में सोफ़े पर लेटे-बैठे और पड़े-पड़े बाबू लोग रुपया-पैसा खूब कमाएंगे, महानुभाव कह गए 'सनम' से देखना- फ्यूचर में इतने भी अच्छे दिन आएँगे गिद्ध-विद्ध चील-कौवे मरेंगे भूखे-प्यासे लोग एक दूसरे को नोच-नोचकर खाएंगे ©technocrat_sanam कृपया इधर पढ़े.. 🙏 "समय-असमय" (part-2) भाँति भाँति की ड्रिंक्स के दौर में गर्म पानी गटका जाएगा 'हैलो-हाय व्हाट्सअप ब्रो' भूल, हाथ जोड़, दू
Technocrat Sanam
शीर्षक - "सबका कटेगा.." (आख़िर तक पढ़े मजा न आए तो like वापस.. 😇) तुम ग़रीब हो न? इतना ही काफ़ी है यहां सिर्फ़ भद्रजनो को ही माफ़ी है बता तेरे 'आगे-पीछे' कौन है भैय्या.. कौन किससे कहेगा- "नाइंसाफी है" तुम जान लो बात ये बिल्कुल सीधी- तुम्हारा कलेजा तो फट के कटेगा.. तुम में आख़िर जान ही कितनी, देखते जाओ कितना झट से कटेगा.. मेरा देश बदल रहा है, सबका कटेगा। जो ये सोच रहे के अपने 'सगे-संबंधी' हैं 'कुछ कौमें' तो देश में बिल्कुल ही अंधी हैं अमीरों के बाजार में भाव क्या - भावों का? जहां इंसानी जज़्बातों की सामाजिक मन्दी है, जो समझ रहे हैं ख़ुद को क़रीबी.. रुको उनका थोड़ा हटके कटेगा, मेरा देश बदल रहा है सबका कटेगा। कहीं किसी बाबू का शोना से तो कहीं किसी शोना का बाबू से किसी का हाथों-हाथ रे भैय्या तो किसी का रिश्तों के तराजू से किसी का फोकट में शक से कटेगा तो किसी का बड़े ही हक से कटेगा मेरा देश बदल रहा है सबका कटेगा। सबका कटेगा.. ©technocrat_sanam शीर्षक - "सबका कटेगा.." 😇 😅 😂 (आख़िर तक पढ़े मजा न आए तो like वापस.. 😇) तुम ग़रीब हो न? इतना ही काफ़ी है यहां सिर्फ़ भद्रजनो को ही माफ़ी ह
Manoj Nigam Mastana
हमारे पीछे क्यों ऐसे पड़े हो ना बाबू हू ना शोना तुम्हारा मशहूर #अतीक_अहमद की कलम से 😂😂 ©Manoj Nigam Mastana हमारे पीछे क्यों ऐसे पड़े हो ना बाबू हू ना शोना तुम्हारा मशहूर #अतीक_अहमद की कलम से 😂😂
Mayank Sharma
सुनो.. चाय पे बुलाओ तो शक्कर मत मिलाना मिठास के लिये, तुम्हारा प्यार है ना! और खाने पे बुलाओ तो डेजर्ट में तुम 😉😍 (काफ़ी टाईम बाद बाबू-शोना वाला पोस्ट) Savage when u are diabetic 😂✌️ #yqbaba #yqdidi #yopowrimo #yqda
Mayank Sharma
सुनो.. प्यार नींद से है और इश्क़ तुमसे है दोनों साझा कर लो तो कुछ बात बने! और फ़िर सपनों में घंटो बातें किया करेंगे 😉😘😂❤️ भई, अब पढ़ना-लिखना भी है, खाना-सोना भी है, तो बाबू-शोना में adjustment करना ना पड़ेगा 😂😂🙏 #
Mayank Sharma
सुनो.. यूँ हर छोटी बात पर राई का पहाड़ बनाना अब बंद भी करो यूँ हर घड़ी बात करने का जुगाड़ लगाना अब बंद भी करो देखो, ये बाबू शोना, लोलो, पोच्चो... हमसे ना हो पाएगा 🙏🙏 U have known my love for you since I have been in love with you and I don't think it
Rahul Singh
अकेली ख़ुश हूं परेशान मत कर, इश्क़ है तो इश्क़ कर, एहसान मत कर...!!! वह बार बार यह एहसान करता है कि सिर्फ उसी की वजह से रिश्ता चल रहा है, वो सिर्फ इसलिए क्यों कि मुझे आजकल के लोगों की तरह बाबू शोना बेबी बच्चा
AK__Alfaaz..
हृदय के मकान मे, इक दिन, उम्मीद की खिड़की से, आशा की इक, नवजात किरण, तुलसी के आँगन मे, उसके आँचल तले, गोद मे उसकी, सर रख...मुस्काने लगी, ममता से तुलसी ने, माथा चूमा, और..अपनी पवित्रता, अपने नेहाश्रुओं संग, उसे थमा दी, हृदय के मकान मे, इक दिन, उम्मीद की खिड़की से, आशा की इक, नवजात किरण, तुलसी के आँगन मे, उसके आँचल तले, गोद मे उसकी,
AK__Alfaaz..
बीती कुछ रातों से वो, सोच रही थी, यादें अपनी, बंद पलकें दुःस्वप्न से भर गयीं, उन्नींदी उसकी उचट गयी, कुछ दहलीज से जाते पाँव, और.., छूटते हाथों से रिश्तों के नाम, चाहती थी वो, कोई हौले से पुकारे, जाने से पहले, लेकिन.., दिखने लगी उसे, चौखट पर ब्याह मे लगाये, अपने हल्दी वाले शगुन के हाथ, और..भीगी पलकें उदास, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #मातृपक्ष बीती कुछ रातों से वो, सोच रही थी, यादें अपनी, बंद पलकें दुःस्वप्न से भर गयीं,