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Prakashatvam

अगर इन्सान अपनी जीभ और जीभ के स्वाद पर काबू रख सकता है तो फिर वह अपने मन व अपनी हर इन्द्रिय को काबू में रख सकता है।

©Prakashatvam #मन_की_बात  #इन्द्रियाँ #संयम #मन

Funny Singh🐼

इन्द्रियाँ= senses😝 Mujhe bhi jis kisi ne bhi ungliyon se poke kiya tha....unhe tahedil se shukriya😂😂😂 Name fursat se likhunga😂😂 #kidding # #Humour #Typing #Senses #onlineworld #funnysingh #sixsenses

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आज के ऑनलाइन वर्ल्ड में,
लोग इतना मुँह से बोल नहीं पाते हैं!
जितना दिन भर में,
उँगलियों से टाइप कर देते हैं।

इस हिसाब से अब अपनी उंगलियों की गिनती भी, इन्द्रियों में होनी चाहिए😜😂😂🤣🤣 इन्द्रियाँ= senses😝
Mujhe bhi jis kisi ne bhi ungliyon se poke kiya tha....unhe tahedil se shukriya😂😂😂
Name fursat se likhunga😂😂

#kidding #

N S Yadav GoldMine

#raindrops {Bolo Ji Radhey Radhey} जो भी भक्त या भक्ति की ओर लग जाने वाले शरीर- इन्द्रियाँ - मन- बुद्धि सहित, अपने-आपको भगवान् श्री कृष #जानकारी

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HINDI SAHITYA SAGAR

#BudhhaPurnima संकुचित है सोंच तेरी मानता तू क्यों नहीं? सुप्त सब इन्द्रियाँ तेरी जागता तू क्यों नहीं? आ रही अवसान वेला ज़िंदगी के दिवस की। #Hindi #कविता #Nozoto #hindi_poetry #nozotohindi #hindisahityasagar

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HINDI SAHITYA SAGAR

#bhoglipsa #भोगलिप्सा संकुचित है सोंच तेरी मानता तू क्यों नहीं? सुप्त सब इन्द्रियाँ तेरी जागता तू क्यों नहीं? आ रही अवसान वेला ज़िंदगी के दि #Hindi #poem #हिंदी #hindi_quotes #vichar #hindi_poetry #समाज #hindi_poem #hindisahityasagar

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Ajayy Kumar Mahato

अब हम भी दुनिया से खो जाना चाहते हैं, उजाले को छोड़ अंधेरे में रहना चाहते हैं। निस्तब्धता में स्निग्धता को ओढ़ के, विचारों और शब्दों को विराम

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अब हम भी दुनिया से खो जाना चाहते हैं,
उजाले को छोड़ अंधेरे में रहना चाहते हैं।
निस्तब्धता में स्निग्धता को ओढ़ के,
विचारों और शब्दों को विराम देना चाहते हैं।।

उद्विग्न इच्छाएं अब मृत हो चुकी हैं,
मन की सारी तृष्णाएँ तृप्त हो चुकी हैं।
हमें तो अब हमारी ही खबर नहीं रही,
सभी इन्द्रियाँ किसी खोज में कहीं लिप्त हो चुकी हैं।।
#""Ajay""# अब हम भी दुनिया से खो जाना चाहते हैं,
उजाले को छोड़ अंधेरे में रहना चाहते हैं।
निस्तब्धता में स्निग्धता को ओढ़ के,
विचारों और शब्दों को विराम

Ansh Rajora

Pic credits - google images.. रचना शीर्षक - जीवन समर नयन कर रहे बात नयन की नयन से जीवन ये समर है स्वयं का स्वयं से #yqbaba #yqdidi #fakeera #fakeera_series

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नयन कर रहे बात 
नयन की नयन से
जीवन ये समर है 
स्वयं का स्वयं से
(Continued in caption) Pic credits - google images..
रचना शीर्षक - जीवन समर

नयन कर रहे बात 
नयन की नयन से
जीवन ये समर है 
स्वयं का स्वयं से

HINDI SAHITYA SAGAR

कविता भोगलिप्सा shailendra_rajpoot hindisahityasagar कविता : भोगलिप्सा संकुचित है सोंच तेरी मानता तू क्यों नहीं? सुप्त सब इन्द्रियाँ

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R.S. Meena

#rsmalwar #yqdidi इन्द्रियाँ इन्द्रियों को वश में करना अब किसी के बस में नहीं। कर सके जो भीष्म सी प्रतिज्ञा, ऐसा तो जग में नहीं।। आधुनिकता

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इन्द्रियाँ
इन्द्रियों को वश में करना अब किसी के बस में नहीं।
कर सके जो भीष्म सी प्रतिज्ञा, ऐसा तो जग में नहीं।।

आधुनिकता का दोष है इसमें या है कोई पागलपन,
बात-बात पर ताप बढ़ जाएँ, हो ज्वर से जलता तन।
ज्वार-भाटा की घड़ी आने पर, पकड़ से दूर जाता मन,
उतरे जब ज्वर शरीर का, प्रायश्चित करने को जाता वन।

चैन की नींद खरीदने की ताकत किसी धन में नहीं।
इन्द्रियों को बस में करना अब किसी के बस में नहीं।

आविष्कारों की भेंट चढ़ गई प्रकृति की अनुपम छाया,
बहुमंजिला इमारतों में वातानुकुलित यंत्रों को अद्भुत माया।
प्राकृतिक फलों के रस को छोड़ के, पीते कृत्रिम पदार्थ
जहर से जहर बने शरीर में, जो पल में हो जाएँ चरितार्थ।

शुद्ध हवा में विष मिलाना, अब किसी के हक में नहीं।
इन्द्रियों, को बस में करना अब किसी के बस में नहीं।

संस्कृति की राह छोड कर,  धुमिल हो रही भूमि पावन,
खान-पान का समय ना जाने, दुषित करते अपना दामन।
वाणी पर फिर संयम खोते, मद में रहते पीके नशीला पाणी,
मर्यादा की कोई बात ना सुने, विनाश की ओर जाता प्राणी।

मर्यादा में रह ले, ऐसी भावना किसी के मन में नहीं।
इन्द्रियों को बस में करना अब किसी के बस में नहीं। #rsmalwar #yqdidi 
इन्द्रियाँ
इन्द्रियों को वश में करना अब किसी के बस में नहीं।
कर सके जो भीष्म सी प्रतिज्ञा, ऐसा तो जग में नहीं।।

आधुनिकता

Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

हरिनाम-कीर्तनः कल्पतरू भगवन्नाम अनंत माधुर्य, ऐश्वर्य और सुख की खान है। नाम और नामी में अभिन्नता होती है। नाम-जप करने से जापक में नामी के

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