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AwadheshPSRathore_7773
“गिरा जहाँ पर खून वहाँ का,पत्थर-पत्थर जिन्दा है! जिस्म नहीं है मगर नाम का,अक्षर-अक्षर जिंदा है!! जीवन में यह अमर कहानी,अक्षर-अक्षर गढ़ लेना! शौर्य कभी सो जाए तो,राणा प्रताप को पढ़ लेना!! वीर शिरोमणि-राष्ट्रगौरव..अदम्य,अविजित-आजीवन स्वतंत्र महाराणा प्रताप जी की जयंती पर उनका पुण्य स्मरण एवं भावपूर्ण कोटिशः नमन।* मातृभूमि के लिए आपका त्याग और बलिदान राष्ट्र के लिए अप्रतिम प्रेरणा है। #MahaRanaPratapJayanti🙏 Awadhesh PS Rathore ©AwadheshPSRathore_7773 वीर शिरोमणि-राष्ट्र गौरव....अदम्य,अविजित- आजीवन स्वतंत्र महाराणा प्रताप जी की जयंती पर उनका पुण्य स्मरण एवं भावपूर्ण कोटिशः नमन।* मातृभूमि क
हरीश दुबे
सच शैलेन्द्र नहीं है सानी (पुण्य स्मरण, १४ दिसम्बर) सरल - सहज शब्दों में देखी, दर्शन की गहराई हिन्दी फिल्मों के गीत
Vikas Sharma Shivaaya'
जांमण मरण बिचारि करि कूड़े काम निबारि । जिनि पंथूं तुझ चालणा सोई पंथ संवारि । जन्म और मरण का विचार करके ,बुरे कर्मों को छोड़ दे-जिस मार्ग पर तुझे चलना है उसी मार्ग का स्मरण कर- उसे ही याद रख -उसे ही संवार सुन्दर बना। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' स्मरण
Ajay tondwal
रस्सी से बँधी नाव... मुझे स्त्री का.. स्मरण करती है !!!! -Ajay स्मरण !!!
Rakesh Kumar Giri
आनंद लूट ले वन्दे,प्रभु के वंदगी का ना जाने कब छूट जाय,साथ एक अच्छी जिंदगी का। ©Rakesh Kumar Giri स्मरण
NIRANJAN
रोरो कर नयनों को रो डाला डाल् डाल् कर मुझे हि मार् डाला क्यै कसुर थि रे गोपाला जान् पर मेरे आपना कैसे ये रिश्ते और मन का कैसा कब्जा ढाला ढाल् ढाल् कि मुझे मार् डाला रे गोपाला बुलन्द मेरे टुटि टुट लगि है सम्भाल् लेना रे गोपाला बे खुदि से भले साथ ही देना हमारि जग को और मुझे साथ देना रै गोपाला ©NIRANJAN स्मरण
मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
हमारे कृत्य से किसी को हानि और दुःख नहीं होना चाहिए यही पुण्य है। दूसरों को और स्वयं को ख़ुश रखना सबसे बड़ा पुण्य है। ©जागृती.. (जय पाठक) #पुण्य
arvind bhanwra
वतन के शहीदों का स्मरण। जब भी हो जाए आंखे नम हो जाए दिल भी उदास हो जाए । वो थे बांके मौत से न डरते थे चट्टानों से टकराते सर बांधे कफन रखते थे । वो न डरते तोप से,तलवारों से देते थे जवाब, दुश्मन को जोशीली ललकारों से। दीवाली खेले आग से वो खेलते खून से होली न परवाह दुश्मन की कौन सी, कब लग जाए गोली। अरमान लेके मन मे चले थे वीर सेनानी भारत को आजाद कराने की सबने थी मन मे ठानी । वो भी थे मांओ के राज दूलारे बहनों के थे प्यारे किसी के माथे का चंदन थे बाप की आंखो के थे तारें। फंदे चूमे, सर कटाए पर सर न कभी झुकाए उनकी बलिदानी देखकर आसमान ने फूल बरसाए वो मजबूत हड्डी की नींव भारत भूमि पर डाल गए बलिदान दिया, जो रंग लाया गगन मे फिर तिरंगा फहराया । वीर शहीदो की चिताओं पर लगते है मेले हमे देकर खुशिया सारी गये दुनिया से वो अकेले । #Desh_ke_liye स्मरण ।