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Aviral Singh rajawat
अलविदा खोजा जिसको चांद 🌙की रोशनी में,आज वो हमसे जुदा हो गये, दी थी ठोकरें जिसने उनके लिये वही खुदा हो गये, जा बेवफा अब लोट के ना आना इस जिंदगी में,क्योंकि अब तेरे लिए हम भी अलविदा हो गये। #₹।जावत ब्रांड
JAINESH KUMAR ''ज़ानिब''
सांसां के डोर मोर छुटत जावत हे, क़िस्मत घलोक दर्द देवत जावत हे, मरे के डहर चलत हे क़दम मोर, मोहब्बत घलोक मोर से छुटत जावत हे, #सांसां के #डोर मोर छुटत #जावत हे, #क़िस्मत 'घलोक #दर्द देवत जावत हे, मरे के #डहर चलत हे #क़दम मोर, #मोहब्बत घलोक मोर से छुटत जावत हे,
JAINESH KUMAR ''ज़ानिब''
छत्तीसगढ़ी गीत मौसमें बहारा लहरा के आवत हस, बलखा के जावत हस, मन म समावत हस, दिल ल तड़पावत हस, छिन भर आके, छिन म उड़ जावत हस, दीदार दे, दीदार दे, दीदार दे मौसमें बहारा ।। तैं जो एक बार खिलखिला के कहीं मुश्कुरा दे, आसमान म चमकत सितारा सरमा जाये, झुकती नज़र के इशारा कहीं तीर बन जाथे, पलकें जो उठे कहीं जवां धड़कन के सहारा बन जाथे ।। लहरा के आवत हस, बलखा के जावत हस, मन म समावत हस, दिल ल तड़पावत हस, छिन भर आके, छिन म उड़ जावत हस, दीदार दे, दीदार दे, दीदार दे मौसमें बहारा ।। बरस जा सावन के पहली फुहार बन के, छागे हस कईसे मन म खुंमार बन के, हुस्न के गुलाम बनगे हे ये क़ायनात ह तोर, तभेच हर मौसम म ख़ुशबू बसे रहिथे तोर ।। लहरा के आवत हस, बलखा के जावत हस, मन म समावत हस, दिल ल तड़पावत हस, छिन भर आके, छिन म उड़ जावत हस, दीदार दे, दीदार दे, दीदार दे मौसमें बहारा ।। सु मधुर #छत्तीसगढ़ी_गीत #chhattisgarh #chhattisgarhi #लहरा के आवत हस, #बलखा के जावत हस, मन म #समावत हस, दिल ल तड़पावत हस, छिन भर आके, छिन म उड़
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Zoga Bhagsariya
जिस तरह बांस से बांस टकराता है , और पूरा जंगल जल जाता है , इसी तरह वो भी जल जायेंगे जो , सच्चाई की दुश्मन हैं ।। काफ़िर है , तो करे तेग पर भरोसा , मोमिन है , तो बे तेग भी लड़ता है सिपाही ।। ! अल्लामा इक़बाल।। राम भरोसे नैया मोरी , टूटी भी , लगे है पार, राम है मोरा खेवट , ऊ आप है धक्का देवत , मैं बन गया उसका सेवक, ऊ होते, मरा चिंता न रेवत , चिंता विंता दूर भग जावत है , टूटी भी , पार लग जावत है ।। जोगा को , कछु न आवत है , जोगा , तो बस कलम उठावत है , अपने आप , ग़ज़ल बन जावत है ।। ©Zoga Bhagsariya #Women जिस तरह बांस से बांस टकराता है , और पूरा जंगल जल जाता है , इसी तरह वो भी जल जायेंगे जो , सच्चाई की दुश्मन हैं ।। काफ़िर है , तो करे
Rohit Thapliyal (Badhai Ho Chutti Ki प्यारी मुक्की 👊😇की 🙏)
अनलिमिटेड मोहब्बत सभी महान लोगों की कहावत है, कि- "जिनके भी अहम की छुट्टी होवत है, उनके भीतर अनलिमिटेड मोहब्ब्त बढ़ती जावत है! क्योंकि जो खुद को अनलिमिटेड खोवत है, वही तो अनलिमिटेड मोहब्बत होवत है! बस इतना ध्यान हम सबके भेजे में महान लोग ओर घुसावत है, कि- सिर्फ शुरुआती सूरत देखकर आकर्षण मोहब्बत नहीं होवत है, पर जिनके बीच में भी होले-होले सीरत का आर्कषण बढ़ता जावत है, उनके बीच में ही अनलिमिटेड मोहब्बत ड्यूटी करने आवत है! और उनकी छुट्टी होवत है, यानि कि छुट्टी ही अनलिमिटेड मोहब्बत होवत है!" 🦸♀️🦸♂️🧚♀️🧚♂️❤💎👂🔔🤛😁😂 @बधाई हो छुट्टी की प्यारी मुक्की👊😇की🙏 #Love #BadhaiHoChuttiKi सभी महान लोगों की कहावत है, कि- "जिनके भी अहम की छुट्टी होवत है, उनके भीतर अनलिमिटेड मोहब्ब्त बढ़ती जावत है! क्योंकि
Rohit Thapliyal (Badhai Ho Chutti Ki प्यारी मुक्की 👊😇की 🙏)
मेरी परछाई मुझे दोस्तों, सुबह निंदिया रानी से छुट्टी दिलाने के लिए मेरे कानों में जोर से घन्टा बजावत है👂🔔🤛 और कहती है कि- "उठ देख जरा रौशन दान से भी सुबह का उजाला तुझको पुकारत है, यदि तू जल्दी उठत नहीं तो मैं, प्रकृति भी तरह-2 से रात की छुट्टी होने का घण्टा बजावत है! गर तू प्यार से ना उठत है, तो मैं तुझको लठ से तुझको बजावत है! लठ के डर मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो जावत है, फिर मेरी निंदिया रानी छुट्टी पे चली जावत है!" और इस तरह से मेरी परछाईं मुझे रोज सुबह उठावत है! बज गई घँटी, हो गई छुट्टी 👂🔔🤛😂😁 @बधाई हो छुट्टी की प्यारी मुक्की👊😇की🙏 #MeriParchai #BadhaiHoChuttiKi दोस्तों, मेरी परछाईं मुझे सुबह निंदिया रानी से छुट्टी दिलाने के लिए मेरे कानों में जोर से घन्टा बजावत है,👂🔔🤛
_Ram_Laxman_
इहाँ के मनखे मन हा गुजराती गरबा ला हमर छत्तीसगढ़ मा अपनावत हे…। सुवा, करमा, ददरिया नृत्य ला छोड़ के गरबा सीखे ला जावत हे ..। अऊ वाह रे छत्तीसगढ़ के निपोरवा निपोरवीन हो...! आधा तो हमरे सब्बे झन के सेतिक हमर बोली भाखा अऊ हमर संस्कृति हा नंदावत..। ©_judwaa_writes_ इहाँ के मनखे मन हा गुजराती गरबा ला हमर छत्तीसगढ़ मा अपनावत हे…। सुवा, करमा, ददरिया नृत्य ला छोड़ के गरबा सीखे ला जावत हे ..। अऊ वाह रे छत्
Mamta Singh
बेइ्ंन्तहा आपके ईश्क में सरकार अक्सर कर बैठते हैं ये गुस्ताखी। आपके पीछे आपकी किताबाें से भी दिल लगा लेते है, अब गलती हाे गयी हुकुम दे दीजिये हमे माफी।। अब दिवाली का बख्त है कुछ ईधर-उधर हाे जावत है दिन भर ताेहरे काम करत है ई बतियां काहे नहीं बुझावत है ता्ेहरे पीछे भी ताेहरी शेरनी सिर्फ ताेहस
Technocrat Sanam
सनम के दोहे हृदय बसी छवि सांवरी.. सुपन सों भरे नैन..! याद करत बरसे सावन.. भूले मिले न चैन!! टालत दिन कटे नहीं.. जागत गुज़रे रैन..! मारग सो नैना धरे.. कबों मिलेंगे बैन..!! बावरी बंसी भयी.. छोड़ गए पिया सॉवरे..! सुध खोय खोजत फिरे.. कब मिले तन-छाँव रे!! आवत स्वास पूछत.. जावत बिसरे नहीं नाम..! जहाँ बसे पिया सावरे.. तहाँ हमारो धाम..!! किस विधि मिलूं स्याम सो..लागूं कैसे अंग..! लागी फिर छूटे नहीं.. मैं तो जानूँ प्रेम रँग..!! श्रावण बूंद लगी तन - सों.. उठी अगन नाय बुझी, पिया मिलन की! व्याकुल अखियाँ आतुर भई.. कबों बुझैगी पिपास मोरे मन-हिरन की!! ©technocrat_sanam Here's my #art 🎨work 😇in the #background 😀🙃😌 (जब वक्त था तब ये भी एक शौक़ था..😄 और #दोहे.. 😇वो भी मेरे ही है 😛😄 कुछ नहीं #कबीर बनने की ना