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Anamika Nautiyal
तीसरे दिन की रचना टीम कैप्टन अनामिका नौटियाल टीम सदस्य:- 1 कमला रावत जी 2 रोशनी रावत जी 3 नैनी जी 4 भाग्य श्री बैरागी जी 5 संदीप डबराल सैंडी जी (अनु शीर्षक में पढ़ें) Dedicating a #testimonial to कोरा काग़ज़ ™️ team 24 रंगीला हिंदुस्तान का आज का विषय नशा नहीं नाश था जिस पर टीम के सदस्यों द्वारा एक कहानी
Anamika Nautiyal
अनु शीर्षक में पढ़ें होली का दिन था पूरे मोहल्ले में चहल-पहल थी । हां कोई खामोश था तो वह थी लाजवंती वह अपनी ही किसी दुनिया में खोई थी ।और वह दुनिया थी उसके अतीत
Anamika Nautiyal
टीम रंगीला हिंदुस्तान की अंतिम दिन की रचना अनु शीर्षक में पढ़ें Dedicating a #testimonial to कोरा काग़ज़ ™️ टीम 24- रंगीला हिंदुस्तान team captain -Anamika Nautiyal Team captain :- Anamika Nautiyal
Shyamu Patel
लोग कहते हैं मीठा बोलो मीठा कितना भी बोलो मुंह से शक्कर थोड़ी ना निकलेगा आप तो मीठा दूसरों से बोलोगे मगर सामने सुनने वाले को शुगर हो जाएगा इसलिए मीठा उतना ही बोलो जितना अच्छा रहता है यह एक सत्य है और इसे मानना ही होगा ©Shyamu Patel #KhulaAasman मिस्टर श्यामू पटेल
Shyamu Raidas
मेरे प्रिय सभी सम्मानित एमपी के साक्षरता प्रेरको से निवेदन है की नियमिती करण सरकार से करवाने के लिये पहल करे -श्यामू रैदास कटनी 01/08/2019 स
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
Anuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"