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Parasram Arora
उससे भी बढ़ कर विचलितबकरती है मुझे उस हितकारी की न्याय व्यवस्था जो आसमान मे बैठा पूरे ब्रह्मान्द की लगाम थामे. उसे हाँक रहा है आज तक मुझे समझ नहीं आया कि आखिर क्यो इतनी वेदनाये इंसान क़ो वो दीये जा रहा है और मेरी व्यथा तब और भी बड जाती है ज़ब मै देखता हूँ वो वेदनाग्रस्त इंसान सारी वेदनाओं क़ो विवश हो कर स्वीकार कर लेता है जो चाहता है उसे नहीं मिलता और अपने अरमानो का गला घोंट देता है और एक दिन गरीबी रेखा पर टंगी हुई उस खुर्दरी रस्सी क़ो अपने गलेमे बाँध कर झूल जांता है ©Parasram Arora गरीबी रेखा
Dr Upama Singh
गरीबी रेखा (चिंतन) किसी भी देश के लिए गरीबी एक अभिशाप है और विकास में बाधा डालता है। हमारे देश में बढ़ती जनसंख्या और शिक्षा का अभाव गरीबी का मुख्य वजह है। जब किसी की आय आम लोगों से बहुत ही कम होती है वैसे लोग गरीबी रेखा के तहत आते हैं। ऐसे लोगों को सामान्य जीवन यापन के लिए भी कई तरह के समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे दो वक्त खाने के लिए, कपड़े और घर की प्रमुख समस्याएं हैं। इनके पास कोई भी बुनियादी सुविधा भी नहीं होती है। आर्थिक, सामाजिक रूप से ये बहुत कमजोर होते है, और अशिक्षित भी होते हैं। सरकार इनकी समय समय पर मदद करती रहती है। पर भ्रष्टाचार और प्रभावहीन प्रबंधन के कारण सरकार की सारी योजनाओं का लाभ गरीबी रेखा के नीचे जीने वालों को नहीं मिल पाता है। सरकार, सामाजिक कार्यकर्ता, एनजीओ, और बड़े बड़े व्यवसायी सबको मूलरूप से गरीबी को हटाने के लिए एकजुट होकर बुनायदी ढांचा तैयार कर हर उस समस्या का निवारण करना होगा, जैसे जनसंख्या पर नियंत्रण, शिक्षा का प्रचार प्रसार, गरीबों को काम और नौकरी इन सब को ध्यान में रख कर ही बदलाव लाया जा सकता है। रचना नंबर 2 गरीबी रेखा (चिंतन) #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #kkpc24 #similethoughts #विशेषप्रतियोगिता #yqdidi #गरीबीरेखा
Tikam Bauddh
JALAJ KUMAR RATHOUR
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, आप हमेशा याद रहेंगे क्यूंकि सरकार और समाज को अपनी कलम से गरीबी रेखा से भी नीचे की गरीबी का एहसास कराने वाले, हामिद का उसकी माँ के प्रति प्रेम को दर्शाने वाले, उपन्यास सम्राट और कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद जी को उनकी जयंती पर नमन.... व धन्यवाद गोदान जैसा महान उपन्यास देने के लिए... हल्कू किसान और झबरा कुत्ता की याद दिलाने के लिए..... ... #जलज कुमार राठौर सरकार और समाज को अपनी कलम से गरीबी रेखा से भी नीचे की गरीबी का एहसास कराने वाले, हामिद का उसकी माँ के प्रति प्रेम को दर्शाने वाले, उपन्यास
writer Mahesh Bhadana
i share our country situation of today. कैसे गिनाऊँ आज के किस्से देश की हालात के है बहुत किस्से। महजब , जाति के नही है नये किस्से इन बातों
#maxicandragon
India quotes फिर से मेरा देश बनाओ थोडा गारा थोड़ा प्लास्टिक थोडा फैशन को हटवाओ डिजिटल देश हैं बढता आगे स्याही कागज कम करवाओ खूब छप रहे बैनर नेता के पकड कूची घर इन्हें भिजवाओ हरकोई करता भूमी पूजन वृक्षा-रोपण संग कराओ आधार समग्र बन गए हैं सबके डेटा सब जल्द लिंक कराओ जैसे बंटता राशन दलिया घर गाडी उतनी बटवाओ पैन कार्ड आधार बनाके गरीबी रेखा कार्ड बनाओ उद्योगपति के टैक्स का पैसा हर गरीब से लिंक कराओ नेताओ की तनख्वाह से सारे देश सेवा संगठन चलाओ फिर से मेरा देश बनाओ राशन शिक्षा मुफ्त कराओ युवा बहुत हैं मेरे देश में जितना चाहे काम कराओ #फिर_से_मेरा_देश_बनाओ #Sadharanmanushya ©#maxicandragon फिर से मेरा देश बनाओ थोडा गारा थोड़ा प्लास्टिक थोडा फैशन को हटवाओ डिजिटल देश हैं बढता आगे स्याही कागज कम करवाओ
Divyanshu Pathak
विज्ञान का ताण्डव कल ही खबर थी कि राजस्थान में कैंसर के मरीज दो गुना हो गए। यह खबर आ चुकी है कि बीकानेर आती कैंसर मरीजों की ‘कैंसर ट्रेन’ अपर्याप्त है। शीघ्र ही एक और ट्रेन अहमदाबाद के लिए शुरू होगी। यह ट्रेन भी पराली जलाने वाले किसानों से ही लदी होगी। कोई मानवीय-संवेदना से भरा व्यक्ति देख सकता है कि कौनसा जहर जला रहा है पंजाब-हरियाणा को और बढ़ रहा है शेष भारत में? जिसका धुंआ आक्रामक हो रहा है देश की राजधानी पर। इसके चलते किसी अन्य शत्रु की आवश्यकता ही क्या है? देश गरीब है। आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जी रही है। अभी तक के प्रयासों का भी आकलन कर लेना गलत नहीं होगा। आज दिल्ली में पराली का धुंआ अंधकार
मेरी आपबीती
गरीबी ©आराधना (अनुशीर्षक जरूर पढ़ें ) हम सब जानते है कि विकासशील देशों में बहुत ग़रीबी होती है ,रोजमर्रा की तरह बाजार गई थी तब ये दृश्य देख मेरा हृदय द्रवित हो उठा , अपना सब कुछ
Divyanshu Pathak
जब विज्ञान मानव प्रकृति को समझने लग जाएगा तो यह हमारे जीवन में वह सुख ला सकेगा जिसे लाने में मशीनें तथा भौतिक विज्ञान असफ़ल रहे है। मानव प्रकृति को समझे बिना विज्ञान के प्रयोग आज मानव जाति के विनाशकारी वक़्त का कारण बन रहे है । शुभ संध्या साथियों हम जानते है कि हमारे देश ने बहुत सी आपदाओं को झेला है और उनका तोड़ भी निकाला है । आज पूरे विश्व के सामने जो समस्या है उसे
Anamika Nautiyal
चीन की प्रगति और उसका भविष्य........ सोवियत संघ के पतन के बाद पेंटागन के एक उच्चाधिकारी ने कहा था कि अब हमारे स्तर का कोई शत्रु दुनिया मे न