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Varsha Upadhyay
कभी किश्तियों को किनारा मिले, कभी बादलों को भी ज़मीन का सहारा मिले, यू तो बहुत बड़ी है ये दुनियां, लेकिन इस भीड़ भरी दुनियां में कोई तो हमारा मिले। डॉ पंकज उपाध्याय किश्ती
Parasram Arora
विकसमान विश्व के जीवंत प्रवाह में मेरी ये ..... उम्र शुदा .. व्याधि ग्रस्त किश्ती भी तैर रही है .......... और. ये भी तैय है जब तक ये तैरती रहेगी तब. तक. डूबेगी नहीं तैरती रहेगी ........किश्ती
Parasram Arora
जीवन की किश्ती हमेशा तटो पर ही परवरिश पाती रही मे सागर की गहराई वो इसिलए कभी देख पाई नही इस जगत को उजालो के लिये जरूरत. हैँ एक चाँद एक सूरज की लेकिन मेरे बदनसीब ब्रह्माण्ड. पर सूरज चाँद कभी दिखे नही आकाश के तारे गवाह हैँ चाँद आया था मेरेघर की छत पर बादलो ने भी बता दिया सच कि उनकी चाँद से कभी कोई दुश्मनी रही नही जंगल की उदंड हवाओं नेअच्छे मौसम का समा बांध दिया था किंतु प्यार का कोई भी पंछी अपने घोसले से बाहर आया ही नही ©Parasram Arora जीवन की किश्ती
Shashi Aswal
बचपन की किश्ती कहाँ गुम हो चली... बचपन की किश्ती #yqdidi #yqhindi #yqhindiquotes #किश्ती #बचपन #गुम #volatilesoulquotes
Parasram Arora
किश्ती इस बार भी बदली है पर पतवार वही थीं जबकि दरिया वही था लेकिन दरिया का पानी मटमैला हो चुका था लम्बी महामारी झेलने के बाद आज बाज़ार में थोड़ी सुर्खियों दिखी है. क्रेता विक्रेता दोनों खुश थे पर महामारी का.डर अब भी बना हुआ था तूफ़ान तो इस बार भी पिछली बार जैसा ही था लेकिन इस बार किशतियों का काफ़िला डूबा नही था दुनिया देखने के लीये हमने घर अपना छोड़ा था लेकिन भटकने के बाद ज़ो तज़ुर्बा हासिल हुआ. कि जिसे छोड़ा वही घर ठीक था ©Parasram Arora किश्ती...कई बार....
Ayush kumar gautam
मसरूफ हैं वो जाने कहां खुशियों की महफिल में कश्ती प्यार की ,गमों के समुंदर में हमें संभालनी पड़ती है एहसास होता है किश्ती मोहब्बत की भयंकर तूफान में भी मंझदार से साहिल तक लानी पड़ती है बेदम शायर आयुष की कलम से(मेरी एक नज्म का हिस्सा) किश्ती मोहब्बत की
कुछ लम्हें ज़िन्दगी के
किश्ती लेके उतरा हूँ दरिया में, ज़हन में लाखों ख़ामोश ख़याल। सफ़ऱ तो है इस पार से उस पार का, पतवार का भी रंग हो रहा है लाल। क्या ख़ता है पतवार के वारों में, राम मेरे रखना दरिया का ख़याल। लहरें लगती दरिया के इश्क़ में, वरना ज़ख्मों का क्यूँ इतना मलाल। चीर के रख दिया है अपनी फ़ुर्ती में, बेज़ुबान लहरों का है ये सवाल ? पल्टी किश्ती , जा फँसा इक भँवर में, डूबा मेरा रोम - रोम और बाल- बाल। मैं , किश्ती और पतवार अब दरिया में, लगा लहरों की होगी ये चाल। संजोग और वियोग देख तू "सतिन्दर", राम ने रख्खा। दरिया का ख़याल। ✍️ सतिन्दर 08.12.17 #satinder #सतिन्दर #नज़्म #किश्ती