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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
मै हमशीरी पे कोई झूठा फरेब नही लगाती, गर हो जाए सरकश भाई बहन,तो उनपे कोई ऐब नही लगाती//१ हूं जुबा से कुद्रतन खरी,मेरी इस खूबी में तुमको नजर आ जाती है खामी,"शमा"किरदार पे खामी की जेब नहीं लगाती//२ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #brokenbond मै हमशीरी पे कोई झूठा फरेब नही लगाती,गर हो जाए सरकश भाई बहन, तो उनपे कोई ऐब नही लगाती//१ हूं जुबा से कुद्रतन खरी, मेरी इस खूबी
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
ताउम्र परवाजे परिंद जो आसमान में थे ,अपने इसी जोशे मार्फत ही वो उड़ान में थे//१ तेरे*मंसूबों के*पैकर जो मेरे ध्यान में थे, तमाम *जीस्त के मंज़र भी मेरे ही मकान में थे//२ * जुगनू_ए_लम्स सजे थे मेरे दामन में,तेरे वजूदे तसव्वूरात भी मेरे ही*गुमान में थे//३ किसी की*गर्विदा_उल्फत थी मुझपे मेहरबान,और *सरकशे*लश्कर भी मेरे ही *दर्मियान में थे//४ पढ़ रही हूं,मैं सरकशो की *चश्मे*तहरीर,कि ये सोजे दर्द भी शुमार मेरे ही बयान में थे//५ सभी बेवफ़ा यहाँ उनको वफ़ाशियार लगे ,ये साजिशे *ऊंवा भी उल्फत के ही *इम्तिहान में थे//६ तेरी *कुर्बत भी वो पाता तो कैसे शमा, तेरा*बेबाक होना भी तेरी ही ज़ुबान में थे//७ ShamawritesBeba ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #बादल#चांद ताउम्र परवाजे परिंद जो आसमान में थे,अपने इसी जोशे मार्फत ही वो उड़ान में थे//१ तेरे*मंसूबों के*पैकर जो मेरे ध्यान में थे,तमाम *जी
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
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सरकशो का बेकसों पे हो रहा तशदुदे इंतकाम हरदम, रकीबों की साजिशों से रहा है,अपनों पे इल्जाम हरदम//१ बातिल की महफिल में जो करते है,हां में हां हरदम,वो खुद हैं ख़तावार,और लगाए तहज़ीब पे इल्ज़ाम हरदम//२ अदालते अदू में गुर्गों ने दी है गवाही हरदम,के माफियों ने लगाए,मजलूमों पे संगीन इल्ज़ाम हरदम//३ बदस्तूर बदगुमानी उनकी रहती है जारी,किसको लगाए लगाम,और किसको दे इल्जाम हरदम//५ *इशरर्तों ने तो उनकी जीस्ते संवार डाली,होता है, हौंसला ए मसर्रत में *अदीब पे कोहराम हरदम//५ तोहमतें तशददूद में जीना नही मुनासिब,अब"शमा" को लगता नहीं है अच्छा,मजहब पर इंतकाम हरदम//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #ballet सरकशो का*बेकसों पे हो रहा तशदुदे इंतकाम हरदम,रकीबों की साजिशों से रहा है,अपनों पे इल्जाम हरदम//१*असहाय बातिल की महफिल में जो करते ह
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
आए थे तेरे घर में एक मेहमान से हम *मंसूब हो सके ना तेरे मेजबान से हम//१ वो घर था अंकरीब गुजिश्ता बरस *बेजार लौट आए इस दफा तेरे मकान से हम//२ यूँ बे-रुख़ी से पेश न आ अहल-ए-दिल के साथ, उठ कर चले न जाएँ कहीं,तेरे इस जहान से हम//३ ये तेरी*सरकशी असल में जुल्म है*मजलूम पर,करते है हिफाजत अपने इमान की यूं ना चले जाए कहीं ईमान से हम//४ मिलते हैं रोज़ जीस्ते उम्र से पयामें-गम के अपनो से ऐसे करीब है जैसे हासिले*कूर्ब*ज़िंदान से हम//५ "शमा"अदब के*मोहतसिब लाइल्म है शायद, क्या काम ले रहे हैं*तग़ज़्ज़ुले फ़न हमजुबान से हम//६ * ©shamawritesBebaak_ #Nojotostreak आए थे तेरे घर में एक मेहमान से हम*मंसूब हो सके ना तेरे मेजबान से हम//१ *जान पहचान वो घर था अंकरीब*गुजिश्ता बरस*बेजार लौट आए इ
Mr.Roshan poddar005
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
©हमारी ही*बुनियाद पर जो खड़ी इमारत करते हैं,वो अब हमसे ही मालिकाना सवालात की बात करते है//१*नींव हमारे खात्मे को,जो एकदिन रात करते है,वो ऐसे दोस्त है,के अब*अदू को भी मात की बात करते है//२*शत्रु जो हमको*खाकसारी खुद को*बरतरी देके,रब से नहीं डरते है,वो*हश्र में खुदके *आला मकामात की बात करते है/३ *तुच्छता*बड़प्पन*न्याय के दिन *सर्वोपरि तमाम हुकूमते*कायनात उस रब की ही है,वो कैसे लोग है जो मेरा*आईन मेरी हुकूमत की बात करते है//४ *सृष्टि*कानून जो*गद्दीनशीन बदलके तेवर तानाशाही की बात करते है,वो अहले*अहमक भी *कयामत की बात करते है//५ *सत्ताधारी*दीवाना*विनाश जो जुबां को*खंजर सी और दामन को मजलुमों के खूँ से *सनी लिए फिरते है,वो*बेज़ा *सरकश भी*अदले करामात की बात करते है//६ *चाकू*हद से पर *क्रूर*भरी हुई*न्यायिक चमत्कार करने दो उनको हमारी बुनियाद पे सवालात जिनका कोई अता पता नहीं,के वो*सनम भी अब "शमा"से जवाबात की बात करते है//७*बुत #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #hibiscussabdariffa ©हमारी ही*बुनियाद पर जो खड़ी इमारत करते हैं,वो अब हमसे ही मालिकाना सवालात की बात करते है//१*नींव हमारे खात्मे को,जो ए
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