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Anurag Surana
होठों से जो तू ने लगाया साखी, तो पानी भी शराब बन गया, हम करते रहे तसदीक़ कत्लें-आमों की, देखा तुझे तो तेरा हुस्न जवाब बन गया !! होठों से जो तू ने लगाया साखी, तो पानी भी शराब बन गया, हम करते रहे तसदीक़ कत्लें-आमों की, देखा तुझे तो तेरा हुस्न जवाब बन गया !! . YourQuote
होठों से जो तू ने लगाया साखी, तो पानी भी शराब बन गया, हम करते रहे तसदीक़ कत्लें-आमों की, देखा तुझे तो तेरा हुस्न जवाब बन गया !! . YourQuote #yourquote #yourquotebaba #yourquotedidi #तेरा_हुस्न_जवाब_बन_गया
read moreSita Prasad
उत्सव- अनोखा पर प्यारा कृपया अनुशीर्शक में पढें। #restzone #rzलेखकसमूह #rztask90 उत्सव- अनोखा पर प्यारा जब भी दादाजी करते थे गुजारिश, गर्मी का मौसम, आमों की बारिश, दादी बना लेती थीं अचार,
#restzone #rzलेखकसमूह #rztask90 उत्सव- अनोखा पर प्यारा जब भी दादाजी करते थे गुजारिश, गर्मी का मौसम, आमों की बारिश, दादी बना लेती थीं अचार,
read moreVandana
....मशहूर-ए-ज़माना हैं 'क़तील' उस की उड़ानें वो दाम-ए-मोहब्बत में गिरफ़्तार ही कब था क्या उस का गिला कीजे उसे प्यार ही कब था वो अहद-ए-फ़रामोश वफ़ादार ही कब था उस ने तो सदा पूजे हैं उड़ते हुए जुगनू वो चाँद-सितारों का परस्त
क्या उस का गिला कीजे उसे प्यार ही कब था वो अहद-ए-फ़रामोश वफ़ादार ही कब था उस ने तो सदा पूजे हैं उड़ते हुए जुगनू वो चाँद-सितारों का परस्त
read moreVandana
💜💜 क्या उसका गिला कीजे उसे प्यार ही कब था वो अहद-ए-फ़रामोश वफ़ादार ही कब था उस ने तो सदा पूजे हैं उड़ते हुए जुगनू वो चाँद-सितारों का परस्तार ह
क्या उसका गिला कीजे उसे प्यार ही कब था वो अहद-ए-फ़रामोश वफ़ादार ही कब था उस ने तो सदा पूजे हैं उड़ते हुए जुगनू वो चाँद-सितारों का परस्तार ह #qateel_shifai
read moreRupam Jha
❤गांव❤🏠 गांव की वसुधा भी स्नेहिल है एवं है अपरिमित, सूरज की पहली किरणें यहाँ करता है मुख-मंडल ओजित, सुप्रभात की बेला में यहाँ भँवरे गाते सुंदर गीत, आमों की डाली पर बैठी कोयलें करती वातावरण गूँजीत, मधुर स्वरों में गीत सुनाकर करती तन-मन को हर्षित, तितलियों के मीत-प्रीत यहाँ करती बागों को सुरभित, और रंग-बिरंगी पुष्पों की खुशबू करती पर्यावरण सुगंधित, पंछियों के कलरव कानों में गूँजते,अहा!कितना अद्भुत है प्रकृति, कलकल करती नदियाँ यहाँ समझाती हमें जीवनगति, पेड़ हरे-भरे देता है हमें वायु एकदम प्रदूषण रहित, और लहराती फसलें खेतों को करती है शोभित, इतने मनमोहक प्रकृति पर करते हैं हम तन-मन अर्पित, बृह्ममुहूर्त में यहाँ सब जाग जाते,होता है जिससे शरीर का हित, स्त्रीगण की टोली सुबह मंदिर को जाती,करती हैं वो पूजा नित, देवालयों की सांझ-आरती सुन,मन-मस्तिष्क को होती है शांति की अनुभूति, इन सारे सकारात्मकता के कारण होता है सबका भाग्य उदित, बड़े-बुजुर्गों की हँसी-ठिठोली करता है मन को आह्लादित, उनके आशीर्वादों से ही तो होता है हमारा जीवन प्रकाशित, इतने सारे सदगुणों से गांव रहता है सुसज्जित, गांव की महिमा है अगम्य-अपार,सब हैं इसकी खूबी से परिचित, गांव स्नेहों से है भरा,ये बात तो है सर्वविदित, यहां की इस सुंदरता को देख अंतर्मन भी होता है चकित, वजह यही है गांव से स्नेह का,गांव है मेरे ह्र्दयपटल पर अंकित!!💓 PLEASE READ FULL QUOTE HERE🙏👇🤓 ममत्व जहाँ कण-कण में रहता निहित, जहाँ आते ही होता है प्रसन्न चित्त, मिट्टी की सौंधी खुशबू से जहाँ मन होता है
यशवंत कुमार
कोयल के बच्चे (Read Full story in caption) #childrenstory #kidsstory #junglebook #birdsstory Photo credit- Shutterstock कोयल के बच्चे अपनी आदत से मजबूर कोयलिया ने फिर से कौवे के घो
#childrenstory #kidsstory #junglebook #birdsstory Photo credit- Shutterstock कोयल के बच्चे अपनी आदत से मजबूर कोयलिया ने फिर से कौवे के घो
read moreMirza
वही कच्चे आमों के दिन गांव में हैं , वही नर्म छांवों के दिन गांव में हैं । मगर ये शहर की अजब उलझने हैं न तुम गांव में हो , न हम गांव में ह वही कच्चे आमों के दिन गांव में ह Havaruni Dueby Divya Joshi Sachika Gupta Gagandeep Singh Hansh Dattar Joshi
वही कच्चे आमों के दिन गांव में ह Havaruni Dueby Divya Joshi Sachika Gupta Gagandeep Singh Hansh Dattar Joshi #शायरी
read moreRAHUL VERMA
शहर के कोलाहल में पली संताने कस्बे,गांव की खामोशियां नही पढ़ सकती…! वो कभी नही समझ पायेंगें कि खट्टे आमों को तोड़ने के लिए गुलेल कैसे बनाई जाती है…! शहर के कोलाहल में पली संताने कस्बे,गांव की खामोशियां नही पढ़ सकती…! वो कभी नही समझ पायेंगें कि खट्टे आमों को तोड़ने के लिए गुलेल कैसे बनाई जात
शहर के कोलाहल में पली संताने कस्बे,गांव की खामोशियां नही पढ़ सकती…! वो कभी नही समझ पायेंगें कि खट्टे आमों को तोड़ने के लिए गुलेल कैसे बनाई जात
read moreRAHUL VERMA
.... शहर के कोलाहल में पली संताने कस्बे,गांव की खामोशियां नही पढ़ सकती…! वो कभी नही समझ पायेंगें कि खट्टे आमों को तोड़ने के लिए गुलेल कैसे बनाई जात
शहर के कोलाहल में पली संताने कस्बे,गांव की खामोशियां नही पढ़ सकती…! वो कभी नही समझ पायेंगें कि खट्टे आमों को तोड़ने के लिए गुलेल कैसे बनाई जात #गांव_की_मिट्टी #शहर_का_शोर
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