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GULAM MOHMAD
किसी पे राज़-ए-मुहब्बत न आशकार किया तेरी नज़र के बदलने का इंतज़ार किया न कोई वादा था उनसे न कोई पाबन्दी तमाम उम्र मगर उनका इंतज़ार किया ठहर के मुझपे ही अह्ल-ए-चमन की नज़रों ने मेरे जुनून से अंदाज़ा-ए-बहार किया सहर के डूबते तारो, गवाह रहना तुम कि मैंने आख़िरी साँसों तक इंतज़ार किया जहाँ से तेरी तवज्जोह हुई फसाने पर वहीं से डूबती नज़रों नसे इख्तिसार किया यही नहीं कि हमीं इंतज़ार करते रहे कभी-कभी तो उन्होंने भी इंतज़ार किया ©Gulam mohmad GULAM MOHMAD शायरी गजल है #crimestory शायरी गजल
Motivational story
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया कभी तक़दीर का मातम कभी दुनिया का गिला मंज़िल-ए-इश्क़ में हर गाम पे रोना आया मुझ पे ही ख़त्म हुआ सिलसिला-ए-नौहागरी इस क़दर गर्दिश-ए-अय्याम पे रोना आया जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील' मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया ©Deep Chakraborty शायरी गजल
Motivational story
अश्क रहने दे थोड़ा पानी दे कोई दिलचस्प सी कहानी दें अभी तो दास्ताँ शुरू हुई मुझे चढ़ती हुई जवानी दे जिंदगी में मिले उतार चढ़ाव मुबारक मौके की निशानी दे में अब दुनिया को बुझ लेती हूँ समझने वाला कोई ज्ञानी दे माँ के घर में बहार बारह माह कुछ ऐसी याद मुझे पुरानी है अभी लम्बा है रास्ता सामने धूप में छाँव की मेहरबानी दे। ©Deep Chakraborty गजल शायरी
Benam Shayar
कभी कभी ये सोचकर विस्मय होता है कि सुख के लम्हे तक पहुंचते पहुंचते हम उन सब लोगो से जुदा हो जाते हैं जिनके साथ हमने दुःख झेलकर सुख का स्वप्न देखा था..।। ©Vipin Maurya #शायरी #गजल
Motivational story
इन आंधियों में दिल का सहारा रहूँ हर हाल में एक दोस्त तुम्हारा रहूँ हिचकोले ना खाये कभी कश्ती तेरी लहरों से जूझता हुआ किनारा रहूँ जब सोच के तू मंद मुस्कुराए कभी आईने से सकता में इशारा हूँ सपनों में अब सुकून बहुत मिलता है पलकों पे तेरी चमका सितारा हूँ जब आँख खुले तू ही तू नज़र आये सहरा में भी दिलकश सा नजारा रहूँ दुनिया ना समझ पाएगी ये राज़ कभी हर वक्त में बस तेरा दुलारा हूँ। ©Deep Chakraborty शायरी गजल
Motivational story
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई जैसे एहसान उतारता है कोई आईना देख के तसल्ली हुई हम को इस घर में जानता है कोई पक गया है शज़र पे फल शायद फिर से पत्थर उछालता है कोई फिर नज़र में लहू के छींटे हैं तुम को शायद मुग़ालता है कोई देर से गूँजतें हैं सन्नाटे जैसे हम को पुकारता है कोई ©Deep Chakraborty शायरी गजल