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Veer Keh Raha
#शून्य राणा
Sethi Ji
तेरी हर मुस्कान मेरा स्वाभिमान हैं तेरा हर ख्याल देता मेरे सपनों को उड़ान हैं किसी को मोहब्बत में मुमकाल जहान नहीं मिलता तू तेरी ज़मीन मेरा आसमान हैं तू करता मेरी हर बात हर मुलाक़ात हर रात की इज़्ज़त इसलिए मेरे ख्वाबो में होता तेरा सबसे ऊंचा सम्मान हैं तुझपर मेरा प्यार फ़िदा हैं , तू ही मेरी मोहब्बत का ख़ुदा हैं तेरी सादगी से बनता मेरा भविष्य मेरा वर्तमान हैं लोग पूजते हैं ईश्वर को मंदिरों और मस्जिदों में तू आज की दुनिया में रह कर भी साधारण इंसान हैं करता हूँ मोहब्बत तुझसे दिल और जान से तुमसे जुड़ा मेरी ज़िन्दगी का ईमान हैं लोग ढूंढ़ते हैं मोहब्बत को दुनियाभर में तेरा चेहरा मेरे सपनों की पहचान हैं 💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝 🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶 ©Sethi Ji ♥️💫 इश्क़ प्यास हैं 💫♥️ ♥️💫 इश्क़ ख़ास हैं 💫♥️ चुभती ज़िन्दगी में एक मीठा एहसास है इश्क़...!! जागती आँखों का एक अधूरा ख्वाब है इश्क़...!!
सोचती स्याही
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
जब रिश्ते कमजोर पड़ते है तब ,हमसे ये टूटते रिश्ते देखे नही जाते//१ अपने ही लोग*कफस में तड़पते देखे नहीं जाते अब हमसे तो ये क़ैद परिंदे देखे नहीं जाते//२ रोज़*अश्कबार होके सोने की सज़ा है,अब हमसे ये लोग कभी रोते देखे नही जाते//३ टूटे रिश्तों पे रहम करती हैं जागती नींदे,अब हमसे ये जुल्म ख़्वाब में भी पूरे देखे नहीं जाते//४ कैसे सौदा करें अपनो की जुदाई का अब हमसे तो वो हमारे*जेहन से निकलते देखे नहीं जाते//५ उनके*दरिचो से*मायूस *चश्म रोते हैं,अब हमसे उनके*दर_ए_कशाना पे ताले देखे नहीं जाते//६ ये सब तमाशाई"शमा"का बुरा देखने पे तुले है, अब हमसे ये देखने वाले देखे नहीं जाते//७ २०/७/२२ ShamawritesBeba ©shama writes Bebaak जब रिश्ते कमजोर पड़ते है तब,हमसे ये टूटते रिश्ते देखे नही जाते//१ अपने ही लोग*कफस में तड़पते देखे नहीं जाते,अब हमसे तो ये क़ैद परिंदे देखे
diaryreena
Sakshi
रात से रिश्ता ना रखो , गम बांटती है यह , हम करवट बदल रहे होते हैं ,हमारे सँग जागती है यह, दिन कैसा बीता , पूरा हिसाब गिनवाती है यह, एक बार आदत लग जाये जो रात से मुलाक़ात की तो सारी उम्र जगाती है यह ।। ©Sakshi Soni रात से रिश्ता ना रखो , गम बांटती है यह , हम करवट बदल रहे होते हैं ,हमारे सँग जागती है यह, दिन कैसा बीता , पूरा हिसाब गिनवाती है यह, एक बार
Nisheeth pandey
#वो रात बेहया !!!! ----------- वो रात मानो ,बेहया हो गयी थी जब तुम बाल खोल कर घूर रहीं थी ... आधुनिकता में तुम्हारे शर्ट के खुले बटन नाभी के ऊपर से बाँधे शर्ट का कोर... मुझे रिझाती रहीं ... तुम्हारे होठों पर हँसी कातिल निगाहें ... वो रात बन गई थी शराब ... नहीं झेंप रहीं थी ...किसी भी बात पर अपनी अदां तुम ,मैं और वो रात कोई भी हो... मुहब्बत तन मन बेबाक सुनाती अपनी प्यास... दिल की चाहत प्यार बरसे मिटे प्यास.. इश्क़ के गीत...सरेराह गाती तुम बल्ब के घूरने पर... स्विच ऑन ऑफ करती तुम मानो 'आँख मारकर' लुभाती तुम... अपने पारदर्शी पोसाक में...इतना इतराती तुम . हाँ!बेहया सी दिख रहीं थी वो! आधुनिकता जो आज काम वासना ग्लाश में शराब शराब में घुलता बर्फ स्त्री पुरुष के हर गुण अपनाया...ये बेहयापन कैसे निभाया? दरवाज़ा बंद रहा...गैरों के लिए तो ,अपनों से भी... कभी अस्तिव बचाती थी ? धर्म पर अडिग थी हाँ! अब बेहया हो गयी थी आधुनिकता के तलब में वो! जो इरादों से अपनी आधुनिकता की पक्की थी सच में...वो रात ज़िद्दी थी... अब वो भीड़ में भी गम्भीर नही ...भीड़ से लड़ने की हुनर रखती अपनी हर मजबूरी से... हर-हाला लड़ी थी हर तूफ़ान जन्म देकर उड़ जाती जब उसके सर पे वोडका वाइन चढ़ता अपने ही ज़िस्म से चादर फाड़ देती ... ना सूरज की दरकार-ना चाँद का इंतज़ार चिटकती सड़कों पर नशे में झूमकर चलती है... हाँ! आधुनिकता में बेहया होती जा रहीं थी वो रात ! अपने हर ख्वाब को मुक़म्मल करने में हर पुरुष को ठोकर मार... खुद को बराबर जता रहीं ... स्त्रीत्व के चेहरे का नक़ाब नोंच कर पुरुष की तिलिस्म वो रच रहीं ... रात भर जागती-उघियाती , बियर के मगों से बतियाती है... कभी कुछ लिखती तो कभी संस्कार के कैनवास पर खुद को नंगी चित्रित करती है... हाँ! तुम बेहया हो गयी ! खुद को मॉडर्न बनाने में ढलती रात में , वाशना के चाशनी में मिठाई बनती रहीं... जिश्म का प्यार में रमी रहीं , रूह का गला घोंट दिया... आधुनिकता के बाज़ार में जिंदा रहेंगी मेरी साँसों के साथ वो रात और तुम , ये बात दोहराती रहेंगी ... आधुनिकता में परुष से बराबरी करना बराबरी में बेहया होने की जिद्द करना .... आधुनिकता की परिभाषा क्या था तुम्हारे लिये बस पुरुषों के दुर्गुणों का बराबरी करना .... हाँ वो रात बेहया हो गयी थी .... हाँ वो रात बेहया हो गयी थी .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #WoRaat वो रात बेहया !!!! ----------- वो रात मानो बेहया हो गयी थी जब तुम बाल खोल कर घूर रहीं थी ... आधुनिकता में तुम्हारे शर्ट के खुले बटन
Akshay Gupta