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Prashant Mishra
अच्छा है सितम्बर में 'वैलेंटाइन' नहीं है सड़कों पे आशिकों की लंबी लाइन नहीं है ट्रैफिक के नियम तोड़ना तो मँहगा हो गया 'दिल' तोड़ने पे मग़र कोई 'फाइन' नहीं है --प्रशान्त मिश्रा ट्रैफिक नियम पर कविता
ट्रैफिक नियम पर कविता
read morePraveen Jain "पल्लव"
Tum Ghazal Ban gayi पल्लव की डायरी ख्वाबो में सपने बुनने लगा हमसफ़र की तारीफों में शब्दों का जखीरा बढ़ने लगा कोरे कागजो में महबूब का चेहरा पढ़ने लगा चाँद की खूबसूरती को महबूबा के प्यार में पेश करने लगा तुम ही मेरी पहली पसंद सिर्फ तुम्हारे लिये में गजल कविता लिखने लगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" गजल कविता लिखने लगा #GhazalBanGayi
गजल कविता लिखने लगा #GhazalBanGayi
read moreKumar Manoj Naveen
अजीब दास्तां है सुनाए न बने, पर बिन कहे भी दिल कैसे रहें। बच्चे थे तब सोचते थे कब होंगे हम बड़े, अब सोचते है क्यों हुए हम बड़े? न होते बड़े,न होती जिम्मेदारी, रोजी-रोटी के संघर्षों से सदा होती दूरी। ना आफिस की होती चिंता, न बास शब्द कोई जानता? होती नही हमारी शादी, न होते बीबी- बच्चे, नहीं होती रोज किच-किच। घर में शांति होती। क्या नजारा होता? बस अपना ही राज होता। घर तब हमारा होता। मां-पापा, भाई-बहन सब साथ होते, एक-दूसरे संग हिल-मिल दिन बिताते। मां के हाथ की रोटी का स्वाद होता, पापा के डांट का बस अख्तियार होता। पर प्रकृति के नियमों पर जोर चलता कहां है? होता वही है जो विधना ने लिख दिया है। ***नवीन कुमार पाठक (मनोज)***** ©Kumar Manoj प्रकृति के नियम#
प्रकृति के नियम#
read moreSailakshmi
ज़िंदगी भी क्या कमाल है जवाब से ज्यादा सवाल है, जिन्दगी भी क्या कमाल है यहा प्यार से ज्यादा नफरत है, जिन्दगी भी क्या कमाल है हर किसी की व्यव्हार में कई रंग हैं, जीन्दगी भी क्या कमाल है अछायी के जगह बुराई बहुत है। #जिन्दगी#के#नियम
Gopal Kajale
अपने जिंदगी में एक नियम रखो, सिधा बोलो,सच बोलो और मुह पर बोलो जो अपने हेगे वो समझ जाएगे जो नाम के होगे वो दूर हो जाएगे ©Gopal Kajale #जिंदगी के नियम
Vivek Singh rajawat
"तुम" क्या क्या बताऊँ तुझे तेरे ही बारे में, किस तरह जीता हूँ मैं! तेरे रुख्सार ऐ झलक के सहारे में, मोहब्बत एक तरफा ही सही, एक पाक आदागी हैं! आपकी तरफ से न ही सही, तेरे अश्क़ के दीदार को सपने देखता हूँ, अब ये तुम्हे कैसे समझाऊँ! तुम में मैं ख़ुद को खोजता हूँ, मेरे दिन की झलक हो तुम, हर ख्वाब मुक्कमल कहाँ! मेरे स्याह रात की ललक हो तुम। विवेक सिंह राजावत। नया तरीका है कविता लिखने का।
नया तरीका है कविता लिखने का।
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