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पंकज त्रिपाठी
जय जय श्री राम🙏🌹🙏🚩 बात यह है दोस्तों उम्मीद है भगवान श्री जुगलकिशोर जूं सरकार कि कृपा से आप सब मस्त व्यस्त और तन्दरुस्त होगे, और अब तो आपका पंकज मकरन्द फिर आपके वीच में उपस्थित हैं आपको हंसाने गुदगुदाने आ रहा है, तब तो निश्चित ही वचपन से लेकर पचपन तक के सभी आत्मीय जनो की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ ही जाएगी जय जय श्री राम🙏🌹🙏 ©पंकज त्रिपाठी एगर वैठ लेव कछु काने #Sea
JAINESH KUMAR ''ज़ानिब''
छत्तीसगढ़ी गीत शादी न काने म बाली तोरे अउ नाके म नथनी न, जे दिन तैं हां करी देबे कर लेबो शादी न, तारीफ़ म गाना तोर बर लिखे बर सिख लेहुँ, शायर जैनेश कुमार के कॉपी म लिखन दे, कर हूं हर प्रॉमिस पूरा, कर हुं हर प्रॉमिस पूरा, नई देहूं धोख़ा न, काने म बाली तोरे अउ नाके म नथनी न, जे दिन तैं हां करी देबे कर लेबो शादी न ।। पहली शादी मैनपाट म हनीमून बर डन करथों मोर जान कट सोना तैं कल एक्सेस झम करथों अनलिमिटेड मोर प्यार हरे न मया मोर सम्भाल जोही टुरा ये हीरा जईसे झन देबे तैं टार जोही तोरेच बर मरत हांवो, तोरेच बर मरत हांवो खुद ल मैं टोकेंव न काने म बाली तोरे अउ नाके म नथनी न, जे दिन तैं हां करी देबे कर लेबो शादी न ।। हांथे म हांथ होही न कलाई म कंगना न दिल के बात दिल ल कहिदे झिन तैं छूपाबे न बड़ अमेजिंग होहि हमर लव स्टोरी न संग म ले जाहूं दुनिया ले लुका के न मोर ले दूर होये के, मोर ले दूर जाये के झिन देबे मौका न, काने म बाली तोरे अउ नाके म नथनी न, जे दिन तैं हां करी देबे कर लेबो शादी न ।। 3 ।। #छत्तीसगढ़ी_गीत #jainesh_kumar काने म बाली तोरे अउ नाके म नथनी न, जे दिन तैं हां करी देबे कर लेबो शादी न ।। #love #life #mohabbat #stori
i am Voiceofdehati
आप सत्य बोलते हो,अच्छी बात है लेकिन यह सत्य कभी कभी जानलेवा हो सकता है जैसे अगर आप राजा को राजा कहकर सम्बोधित करो तो वह खुश हो जाएगा मगर काने को काना कहकर सम्बोधित करोगे तो टांगे तोड़ देगा..... ★#सत्य★ आप सत्य बोलते हो,अच्छी बात है लेकिन यह सत्य कभी कभी जानलेवा हो सकता है जैसे अगर आप राजा को राजा कहकर सम्बोधित करो तो वह खुश हो जाएग
भोजपुरिया राजा
https://youtu.be/0qKoFopBxVUआरा के ओठलाली फुल वीडियो सांग drj record bhojpuri के ऑफिसियल यूट्यूब चैंनल पर रिलीज़ हो गया है अगर आप सब अभी तक स
S. Bhaskar
बाबा नगरिया हो चल हो भाई चल, बाबा नगरिया हो, भगवा रूप धर, चल बन के कावरिया हो। चल हो भाई -२ गंगा तीरे पानी भर, कांवड़ उठाव हो, चल डेगारे चल, बोल बम गाव हो, बाबा धाम चल के जलवा चढाव हो, चल बन के कावरिया हो। चल हो भाई चल -२ नंदी के काने बोली, भक्तन के सुन लो पुकार हो, बाबा के दुवरिया बानी, जल ले के खाड़ हो, भोर से तकाताड़न दर्शन तोहार हो, चल बन के कावरिया हो। चल हो भाई चल -२ चढ़ते सूरज चल, रास्ता बा लंबा ठाढ़ हो, सब रास्ता पे बिछल बेटे, बाबा के आड़ हो, बोल बम के गाव गीत भक्ति आपार हो, चल बन के कावरिया हो। चल हो भाई चल -२ बाबा नगरिया हो चल हो भाई चल, बाबा नगरिया हो, भगवा रूप धर, चल बन के कावरिया हो। चल हो भाई -२ गंगा तीरे पानी भर, कांवड़ उठाव हो, चल डेगारे च
Anjali Ahir
विधवा नहीं थी कोई गलती मेरी,बात बड़ों की मानी थी जिंदगी के कसमे खाकर ,नई शुरुवात कर डाली थी शोभा बना था जो सिंदूर ,माथे की बिंदिया , होठो की वो लाली थी खो चला सब........ कहलाई वो विधवा नारी थी । लगा के माथे पर विधवा का टीका समाज के तानो से गुंजी काने थी तो क्या विधवा को हक नहीं फिर मांग में सिंदूर लगाने की क्यों नहीं समाज विधवा को अपनाता है फिर क्यों पिता अपनी बेटी के जीवन को अधूरा कह जाता है क्या हक नहीं उसे लाल जोड़ो में बंध जाने का अपने सपने पूरे कर रंगो में बस जाने का फिर मांग में सिंदूर लगा सुहागन कहलाने का........ विधवा नहीं थी कोई गलती मेरी,बात बड़ों की मानी थी जिंदगी के कसमे खाकर ,नई शुरुवात कर डाली थी शोभा बना था जो सिंदूर ,माथे की बिंदिया , होठो
Monika jayesh Shah
यशवंत कुमार
तुम भी राजा हो सत्ता के मद में पूरा ही चूर होकर ; बची थोड़ी प्रतिष्ठा को भी खोकर ; निपोर अपने दाँतो को वो शान से चलते हैं ; और जुमलों से ठगे गए जन ही हाथ मलते हैं । दिखाने के और हैं; खाने के और हैं । अंधों में काने के सिर ही तो मौर है । विकल्प भी क्या है ; सच ही कहते हो ; राशन तो मुफ़्त है बंधु ! तुम कहाँ रहते हो? कौन- सी जगह ; हवा से है खाली? और जहाँ भी है ये ; किसने है डाली? न तुमने , न मैंने ; यह तो जगह भरती है ; ग़र भूख लगती है तो ही हाँडी चढ़ती है। पूत के पाँव पलने में ही दिख जाते हैं ; लोग भी दर्दों को तभी तक छिपाते हैं ; जबतक बर्दाश्त की हद तक वो जाता नहीं है; कोई राज करने तो इस धरती पे आता नहीं हैं। ग़र शोषण होता है तेरा ; तो तेरी मर्जी से । तुम छले भी जा रहे हो; तो अपनी गरज़ी से । औकात बराबर है सबकी ; बात जान लो तुम । तुम भी राजा हो ; बस कुछ करने की ठान लो तुम ! तुम भी राजा हो सत्ता के मद में पूरा ही चूर होकर ; बची थोड़ी प्रतिष्ठा को भी खोकर ; निपोर अपने दाँतो को वो शान से चलते हैं ; और ज
Vijay Tyagi
अंजू, मंजू, विद्या, बाला लोटन, छोटन, मोटा लाला देखो "काका" ने बना डाली 108 नाम की माला... कविता नीचे अनुशीर्षक में पढ़ें👇 मेरे मित्र और छोटे भाई Palash Chouhan का आभार जो उन्होंने मुझसे काका की इतनी सुंदर और कलात्मकता से परिपूर्ण कविता को साझा किया... इसमें काका