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Vijay Besharm
Vijay Tyagi
अंजू, मंजू, विद्या, बाला लोटन, छोटन, मोटा लाला देखो "काका" ने बना डाली 108 नाम की माला... कविता नीचे अनुशीर्षक में पढ़ें👇 मेरे मित्र और छोटे भाई Palash Chouhan का आभार जो उन्होंने मुझसे काका की इतनी सुंदर और कलात्मकता से परिपूर्ण कविता को साझा किया... इसमें काका ने 108नामों को अपने चुटीले अंदाज़ में समाहित किया है,आप सभी आनंद लें...🤗🙏 नाम-रूप के भेद पर कभी किया है ग़ौर ..? नाम मिला कुछ और तो शक्ल-अक्ल कुछ और।। शक्ल-अक्ल कुछ और नयनसुख देखे काने । बाबू सुंदरलाल बनाये ऐंचकताने ।।
Prem kumar gautam
आज हास्य शिरोमणि काका हाथरसी जी का जन्मदिन भी है और पुण्य तिथि भी ।उनकी स्मृतियों को नमन करते हुए उनकी इस रचना का आनंद लीजिए :- स्त्रीलिंग : पुल्लिंग --------------- काका से कहने लगे ठाकुर ठर्रा सिंग, दाढ़ी स्त्रीलिंग है, ब्लाउज़ है पुल्लिंग। ब्लाउज़ है पुल्लिंग, भयंकर ग़लती की है, मर्दों के सिर पर टोपी पगड़ी रख दी है। कह काका कवि पुरूष वर्ग की क़िस्मत खोटी, मिसरानी का जूड़ा, मिसरा जी की चोटी। दुल्हन का सिन्दूर से शोभित हुआ ललाट, दूल्हा जी के तिलक को रोली हुई अलॉट। रोली हुई अलॉट, टॉप्स, लॉकेट, दस्ताने, छल्ला, बिछुआ, हार, नाम सब हैं मर्दाने। पढ़ी लिखी या अपढ़ देवियाँ पहने बाला, स्त्रीलिंग ज़ंजीर गले लटकाते लाला। लाली जी के सामने लाला पकड़ें कान, उनका घर पुल्लिंग है, स्त्रीलिंग है दुकान। स्त्रीलिंग दुकान, नाम सब किसने छाँटे, काजल, पाउडर, हैं पुल्लिंग नाक के काँटे। कह काका कवि धन्य विधाता भेद न जाना, मूँछ मर्दों को मिली, किन्तु है नाम जनाना। ऐसी-ऐसी सैंकड़ों अपने पास मिसाल, काकी जी का मायका, काका की ससुराल। काका की ससुराल, बचाओ कृष्णमुरारी, उनका बेलन देख काँपती छड़ी हमारी। कैसे जीत सकेंगे उनसे करके झगड़ा, अपनी चिमटी से उनका चिमटा है तगड़ा। मन्त्री, सन्तरी, विधायक सभी शब्द पुल्लिंग, तो भारत सरकार फिर क्यों है स्त्रीलिंग? क्यों है स्त्रीलिंग, समझ में बात ना आती, नब्बे प्रतिशत मर्द, किन्तु संसद कहलाती। काका बस में चढ़े हो गए नर से नारी, कण्डक्टर ने कहा आ गई एक सवारी। (काका हाथरसी) #hindipoetry #KakaHathrasi ©Prem kumar gautam #Mic
Arun kumar singh
बाबू सर्विस ढूँढते, थक गए करके खोज ... अपढ़ श्रमिक को मिल रहे चालीस रुपये रोज़ ... #KakaHathrasi
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
काका हाथरसी की कलम से प्रस्तुत है- बिना टिकिट के ट्रैन में चले पुत्र बलवीर जहाँ "मूड" आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर खींच लई ज़ंजीर, बने गुंडों के नक्कू, पकड़े टी.टी., गार्ड, उन्हें दिखलाते चक्कू गुंडागर्दी, भ्रष्टाचार बढ़ा दिन- दूना प्रजातंत्र की स्वतंत्रता का देख नमूना #KalamSe #KakaHathrasi
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