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Poetry Of SJT
जिनको सींचा था हमने कड़ी धूप में , उजाड़ गुलशन मेरा बागवान हो गए, जिन पत्थर ने हथौड़ी की मार न सही, आज मन्दिर में जाकर भगवान हो गए, जिनको इंसानियत की ख़बर ही नहीं, हमसे कहते हैं की हम शैतान हो गए , देखलो पलट के अपना पुराना चरित्र, आज बतला रहे हो तुम इंसान हो गए, ©Poetry Of SJT जिनको सींचा था हमने कड़ी धूप में , उजाड़ गुलशन मेरा बागवान हो गए, जिन पत्थर ने हथौड़ी की मार न सही, आज मन्दिर में जाकर भगवान हो गए, जिनको इ
Ashok Topno
पत्थर सदैव हथौड़ा के अंतिम चोट से ही टूटता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पहले की सभी चोटें बेकार गए सफलता निरंतर प्रयासों का ही परिणाम होता है, ©Ashok Topno हथौड़ी#viral #nojoto
Harkesh Mahar
2 Years of Nojoto जो आपकी जिंदगी में कील बनकर बार-बार चुभे उसे एक बार हथौड़ी बन कर ठोक देना चाहिए जो आपकी जिंदगी में कील बनकर बार-बार चुभे उसे एक बार हथौड़ी बन कर ठोक देना चाहिए
RAHUL VERMA
जो आपकी जिंदगी में कील बनकर बार-बार चुभे उसे एक बार हथौड़ी बन कर ठोक देना चाहिए ©RAHUL VERMA #Stop जो आपकी जिंदगी में कील बनकर बार-बार चुभे उसे एक बार हथौड़ी बन कर ठोक देना चाहिए
Aasis Kumar BFF
जो आपकी जिंदगी में कील बनकर बार-बार चुभे उसे एक बार हथौड़ी बन कर ठोक देना चाहिए #AasisBff @Aasis_Kumar_Bff
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
Anuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"