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Namit Raturi
पहिए पे है यह जिंदगी, कभी गिरी तो कभी चढी, कभी लुढकी यह ढलान पे, कभी घसीटी पूरी जान से, कहीं रोड़े-कंकर,कहीं फिसलन कहीं फूलों की नर्मी,कहीं कांटों की चुभन, संभाले कोई कभी,कभी कोई भी ना संभाले, खुद गुजरना है अगर,तो मरहम साथ उठाले, चोट भी है कभी,कभी तो है दिलासे, जिंदगी है यह,जाहिर है होंगे तमाशे, बेवसन आए और देखो ले गए कफन, बस इतनी दौलत कमाई जीवन मे "रत्नम", मझधार पे है यह जिंदगी, कभी उठी तो कभी डूबी, कभी सौदे करे यह उफान से, कभी मौसम से हुए,परेशान से कहीं घहरा समंदर,कहीं किनारों पे जीवन, कहीं रेत की गर्मी,कहीं पैरों पे जख़्म ।। for weak eyes.. पहिए पे है यह जिंदगी, कभी गिरी तो कभी चढी, कभी लुढकी यह ढलान पे, कभी घसीटी पूरी जान से, कहीं रोड़े-कंकर,कहीं फिसलन कहीं फूलो
Namit Raturi
पतलकार भाग - 1 कुछ कडवी बातें होंगी,मुँह मे शहद बनाए रखें । 1. कोई रबिश कुमार यह नहीं पुछेगा ममता बैनर्जी से कि "जय श्री राम" का नारा अपमान जनक कैसे हुआ ? करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का अपमान नहीं दिखा क
Namit Raturi
पतंगें भी आज कातिल हो जाएगी, मुझे आसमान का हत्यारा कह दिया जाएगा, हिन्दू हूँ ना...सब उम्मीद मुझसे रखी जाएगी, read full in caption.. पतंगें भी आज कातिल हो जाएगी, मुझे आसमान का हत्यारा कह दिया जाएगा, हिन्दू हूँ ना...सब उम्मीद मुझसे रखी जाएगी, मै ही रंग नहीं उडाऊंगा,मै ही पट
Namit Raturi
रंग कई है मेरे,तुम ने कौन सा रंग देखा है ? गिनती मेरी कितनी है मैनें तो बस पहला अंक फेंका है, मै क्या किरदार हूँ,यह मुझसे बेहतर कौन जानता है? उम्र लग गई मुझे खुद को समझने मे, यह जो समझने का दावा करता है मुझे,किस गली का नेता है ? मेरी दिवारों को पता है मै कितना टूटा हूँ, मेरी खिडकियों के पर्दों को पता है मै किन हालातों से छुपा हूँ तुम कहते हो तुम जानते समझते हो मुझे, मै तुम्हें ना समझा,तुम्हारी झूठी महफिलों से अक्सर उठा हूँ, मै हारा भी,मै जीता भी हूँ,मैने लेकिन दाव लगाना ना छोडा, कुछ साँसों की माशूक है जिंदगी,शुक्र है मैने भी दम ना तोडा, सब तमाशा है,सब तमाशबीन है, यही कमाई मेरी,परदा गिरने के बाद कहीं फूलों को पकडा,कहीं तालियों को बटोरा, मेरी हद समझता हूँ मै,मुझे कहाँ रुकना है, कहाँ मिलना है आँख उठा के और कहाँ झुकना है, मेरी सरहद कहाँ है,मेरी कहाँ रेखा है, रंग कई है मेरे,तुम ने कौन सा रंग देखा है ? ।। for weak eyes.. "रंग" रंग कई है मेरे,तुम ने कौन सा रंग देखा है ? गिनती मेरी कितनी है मैनें तो बस पहला अंक फेंका है, मै क्या किरदार हूँ,यह
Namit Raturi
एक पुरानी कविता,,आजकल सबको किसान याद आ रहे है तो उनके लिए...।। नमस्ते दोस्तों, मेरी नई कविता "किसान" ,किसानों कि व्यथा उनके दर्दों को दर्शाति हुई,अफसोस भारत जैसे कृषि प्रधान देश मे भी किसानों कि यह दुर्
Namit Raturi
बदलाव कहाँ है? Read Article in Caption. अरे छोडिए यह दिखावा की आपको फर्क पडता है,यह उबाल मैंने दिल्ली में भी देखा था,आपकी कोशिश को छोटा नहीं कहना चाहता,लेकिन कटू सत्य यह है कि 2012
Namit Raturi
"कुत्ते का नजरिया" Read Story in Caption. #indianmedia पेनलिस्ट "घुंवर लाल घुंगराले" आते ही पूछ चुके थे "कि यह टीवी मे कब आएगा ?" वो इस सच से अपरिचित थे की यह डीबेट शो लाइव आएगा । कुर्सी पे अपनी
Namit Raturi
आखिर जानवर कौन है? caption me पढें ।। Note - You may agree or disagree to this poem,just dont get offended. Just my old poetry from 2014. आखिर जानवर कौन है?” झटका हो या हो हला
Namit Raturi
"कुछ भी" #2015 read in caption. "कुछभी" chapter 2 :बिहार_रिएक्टस_ओन_तबैकोबैन प्रस्तुतकर्ता - कीचक चोर हसिया के साथ कैमरामैन गजनी की रिपोर्ट वेलकम बैक टू "कुछभी",भारत का
Namit Raturi
"धर्म ना होता तो क्या होता" "धर्म ना होता तो क्या होता" कहीं मस्जिद ना होती,कहीं मंदिर ना होता, माथे पे तिलक ना होता,टोपी से ओढा सिर ना होता, सोचता हूँ धर्म ना होता